Geography class 11 cbse course A अध्याय 3


📘 अध्याय 3 — पृथ्वी का आंतरिक भाग (Interior of the Earth)


1. भूमिका (Introduction)

  • पृथ्वी कई आंतरिक परतों से बनी है, जिनकी संरचना और घनत्व अलग-अलग है।
  • सतह से कुछ ही किलोमीटर नीचे तक सीधा अवलोकन संभव है।
  • इसलिए वैज्ञानिक अप्रत्यक्ष स्रोतों का उपयोग करते हैं जैसे—भूकंप तरंगें, गुरुत्वीय मापन, चुंबकीय क्षेत्र और उल्कापिंड।

2. अप्रत्यक्ष स्रोत (Indirect Sources)

2.1 खनन (Mining)

  • मनुष्य अधिकतम लगभग 12 किमी गहराई तक ही खुदाई कर पाए हैं।
  • यह केवल भूपर्पटी (crust) के बारे में जानकारी देता है।

2.2 ज्वालामुखी विस्फोट

  • मैग्मा सतह पर आता है → इससे मेंटल के रासायनिक संघटन का पता चलता है।

2.3 उल्कापिंड (Meteorites)

  • सौर मंडल के प्रारम्भिक पदार्थ।
  • इनकी संरचना पृथ्वी के अंदरूनी भाग से मिलती-जुलती है।

2.4 गुरुत्वाकर्षण (Gravity)

  • गुरुत्वीय विचलनों से पृथ्वी के आंतरिक घनत्व का पता चलता है।

2.5 चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field)

  • तरल बाहरी कोर में लोहे के प्रवाह से पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बनता है।

2.6 भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves)

(सबसे महत्वपूर्ण स्रोत)

  • भूकंप के दौरान उत्पन्न होती हैं और पृथ्वी के भीतर से गुजरती हैं।
  • तरंगों की गति और व्यवहार से आंतरिक संरचना का अनुमान मिलता है।

3. भूकंप (Earthquake)

3.1 परिभाषा

  • पृथ्वी की पर्पटी में अचानक ऊर्जा के मुक्त होने से कंपन उत्पन्न होना।

3.2 फोकस

  • वह बिंदु जहाँ भूकंप उत्पन्न होता है।

3.3 उपकेंद्र (Epicenter)

  • सतह पर फोकस के ठीक ऊपर स्थित बिंदु।

3.4 परिमाण (Magnitude)

  • रिक्टर स्केल से मापा जाता है।

3.5 तीव्रता (Intensity)

  • प्रभावों के आधार पर मर्केली स्केल से मापी जाती है।

4. भूकंपीय तरंगें (Earthquake Waves)

4.1 बॉडी वेव्स (Body Waves)

(a) पी-वेव्स (P-Waves)

  • सबसे तेज़ तरंगें।
  • ठोस, द्रव और गैस—तीनों में चल सकती हैं।
  • धक्का–खींच (compression–rarefaction) पैदा करती हैं।

(b) एस-वेव्स (S-Waves)

  • पी-वेव्स से धीमी।
  • केवल ठोस में चलती हैं → इससे पता चलता है कि बाहरी कोर द्रव है।
  • दाएं-बाएं हिलाने वाली तरंगें।

4.2 सतही तरंगें (Surface Waves)

(a) लव तरंगें (Love Waves)

  • क्षैतिज हिलावट → अत्यधिक विनाशकारी।

(b) रेले तरंगें (Rayleigh Waves)

  • समुद्री लहर जैसी रोलिंग गति → काफी नुकसानदायक।

4.3 तरंगों का व्यवहार

  • पी-वेव्स द्रव में धीमी → बाहरी कोर के तरल होने का प्रमाण।
  • एस-वेव्स बाहरी कोर में नहीं जातीं → यह निश्चित रूप से द्रव है।
  • विभिन्न परतों में तरंगों की गति बदलती है → परतों की पहचान होती है।

5. भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquake)

5.1 प्राथमिक प्रभाव (Primary Effects)

  • भूमि का हिलना
  • धरातल फटना
  • इमारतों का ढहना
  • सतह पर दरारें

5.2 द्वितीयक प्रभाव (Secondary Effects)

  • भू-स्खलन
  • आग लगना
  • सुनामी
  • मिट्टी का द्रवीकरण
  • बांध टूटने पर बाढ़

6. पृथ्वी की परतें (Layers of the Earth)

पृथ्वी तीन मुख्य रासायनिक परतों में विभाजित है:

  • भूपर्पटी (Crust)
  • मेंटल (Mantle)
  • कोर (Core)

7. भूपर्पटी (The Crust)

7.1 विशेषताएँ

  • सबसे बाहरी और सबसे पतली परत।
  • मोटाई:
    • महासागरीय पर्पटी: लगभग 5 किमी
    • महाद्वीपीय पर्पटी: लगभग 30–40 किमी

7.2 संरचना

  • महासागरीय पर्पटी → बेसाल्टिक, सिलिका + मैग्नीशियम (SIMA)
  • महाद्वीपीय पर्पटी → ग्रेनाइटिक, सिलिका + एल्युमिनियम (SIAL)

7.3 घनत्व

  • महासागरीय पर्पटी महाद्वीपीय पर्पटी से अधिक घनी।

8. मेंटल (The Mantle)

8.1 विशेषताएँ

  • 30 किमी से 2900 किमी तक फैली।
  • पृथ्वी के कुल आयतन का 84% हिस्सा।

8.2 संरचना

  • मैग्नीशियम और लौह के सिलीकेट।

8.3 ऊपरी मेंटल

  • आंशिक रूप से पिघली हुई परत → एस्थेनोस्फियर
  • यही प्लेट टेक्टोनिक्स को नियंत्रित करती है।

8.4 निचला मेंटल

  • उच्च दाब के कारण ठोस और घना।

9. कोर (The Core)

9.1 विशेषताएँ

  • 2900 किमी से 6370 किमी तक।
  • दो भागों में:
    • बाहरी कोर (Outer Core): द्रव
    • आंतरिक कोर (Inner Core): ठोस

9.2 संरचना

  • मुख्यतः लोहा और निकल (NIFE)

9.3 बाहरी कोर

  • तरल धातु के प्रवाह से पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बनता है।

9.4 आंतरिक कोर

  • अत्यधिक दाब के कारण उच्च तापमान के बावजूद ठोस।

10. ज्वालामुखी (Volcanoes)

10.1 परिभाषा

  • पृथ्वी की पर्पटी में छिद्र जहाँ से मैग्मा, राख और गैस बाहर निकलती है।

10.2 कारण

  • प्लेटों की गति
  • तापमान में वृद्धि
  • दाब में कमी
  • रासायनिक परिवर्तनों से मैग्मा बनना

11. ज्वालामुखी और ज्वालामुखीय स्थलरूप (Volcanoes and Volcanic Landforms)

11.1 ज्वालामुखियों के प्रकार

(a) सक्रिय ज्वालामुखी

  • बार-बार विस्फोट।
  • उदाहरण: स्ट्रोम्बोली, एटना।

(b) सुप्त ज्वालामुखी

  • लंबे समय से शांत, पर पुनः विस्फोट की सम्भावना।
  • उदाहरण: वेसुवियस।

(c) निष्क्रिय ज्वालामुखी

  • हजारों वर्षों से कोई विस्फोट नहीं।
  • उदाहरण: किलिमंजारो (निष्क्रिय माना जाता है)।

11.2 ज्वालामुखीय स्थलरूप

A. बाह्य स्थलरूप (Extrusive Landforms)

1. लावा पठार

  • बड़े, समतल क्षेत्र जो ठोस लावा से बने हों।

2. शील्ड ज्वालामुखी

  • ढलानें कम; लावा तरल → आसानी से बहता है।

3. संयोजी ज्वालामुखी (Composite Volcanoes)

  • राख + लावा की परतें; खड़ी ढलानें।

4. सिंडर कोन

  • छोटे, खड़े, ज्वालामुखीय टुकड़ों से बने।

B. आंतरिक स्थलरूप (Intrusive Landforms)

1. बैथोलिथ

  • बड़े, गुंबदाकार मैग्मा निकाय।

2. लैकोलिथ

  • मैग्मा चट्टानों को ऊपर उठाकर गुंबद बनाता है।

3. डाइक

  • खड़ी दरारों में जमे मैग्मा।

4. सिल्स

  • क्षैतिज परतों में फैला मैग्मा।

12. निष्कर्ष (Conclusion)

  • पृथ्वी का आंतरिक भाग जटिल और गतिशील है।
  • भूकंपीय तरंगें पृथ्वी की परतों को समझने का सबसे विश्वसनीय साधन हैं।
  • भूपर्पटी, मेंटल और कोर रासायनिक व भौतिक गुणों के आधार पर भिन्न हैं।
  • भूकंप और ज्वालामुखी पृथ्वी की आंतरिक उष्मा तथा प्लेट गतियों के परिणाम हैं।
  • पृथ्वी की आंतरिक संरचना का अध्ययन प्राकृतिक आपदाओं को समझने और मानव सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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