political science CBSE class 12th course A अध्याय 1 sample paper


🧾 कक्षा 12 – राजनीति विज्ञान (Course A)

अध्याय 1: द्विध्रुवीयता का अंत (The End of Bipolarity)

CBSE पैटर्न नमूना प्रश्नपत्र (उत्तर सहित)

कुल अंक: 50 | समय: 2 घंटे


🟩 खंड – A (अति लघु उत्तरीय प्रश्न – 1 अंक प्रत्येक)

(प्रत्येक प्रश्न के उत्तर 30–40 शब्दों में दीजिए।)


प्र.1. सोवियत व्यवस्था क्या थी?
उत्तर:
सोवियत व्यवस्था एक समाजवादी राजनीतिक व आर्थिक प्रणाली थी जिसमें सभी संसाधनों का स्वामित्व राज्य के पास था। इसका उद्देश्य समानता और निजी संपत्ति का उन्मूलन था।


प्र.2. मिखाइल गोर्बाचेव कौन थे?
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ के अंतिम नेता थे जिन्होंने ग्लासनोस्त (खुलापन) और पेरेस्त्रोइका (पुनर्गठन) जैसी सुधार नीतियाँ लागू कीं।


प्र.3. सोवियत संघ का विघटन कब हुआ?
उत्तर:
सोवियत संघ का विघटन 26 दिसंबर 1991 को हुआ, जिससे 15 स्वतंत्र गणराज्य बने जैसे रूस, यूक्रेन, कज़ाख़स्तान आदि।


प्र.4. ‘शॉक थेरेपी’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
शॉक थेरेपी का अर्थ है—समाजवादी व्यवस्था से पूंजीवादी व्यवस्था की ओर अचानक परिवर्तन। इसमें निजीकरण, मूल्य उदारीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया।


प्र.5. सोवियत संघ के विघटन के बाद बनी दो स्वतंत्र राष्ट्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
रूस और यूक्रेन।


प्र.6. गोर्बाचेव द्वारा किए गए दो प्रमुख सुधारों के नाम बताइए।
उत्तर:

  • ग्लासनोस्त – राजनीतिक खुलापन
  • पेरेस्त्रोइका – आर्थिक पुनर्गठन

प्र.7. सोवियत संघ के विघटन का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर:
आर्थिक अक्षमता, राजनीतिक जड़ता और विभिन्न गणराज्यों में बढ़ता राष्ट्रवाद इसके प्रमुख कारण थे।


प्र.8. द्विध्रुवीयता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
द्विध्रुवीयता उस स्थिति को कहते हैं जब विश्व दो महाशक्तियों – अमेरिका और सोवियत संघ – के बीच विभाजित हो।


प्र.9. एकध्रुवीय विश्व क्या होता है?
उत्तर:
एकध्रुवीय विश्व वह है जिसमें केवल एक महाशक्ति प्रभावी होती है। 1991 के बाद अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बन गया।


प्र.10. शॉक थेरेपी का रूस पर एक प्रभाव बताइए।
उत्तर:
इससे बेरोज़गारी, गरीबी और महँगाई में भारी वृद्धि हुई।



🟩 खंड – B (लघु उत्तरीय प्रश्न – 3 अंक प्रत्येक)

(प्रत्येक उत्तर लगभग 80–100 शब्दों में लिखिए।)


प्र.11. सोवियत राजनीतिक व्यवस्था की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. एकदलीय शासन: केवल कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में थी।
  2. केन्द्रीय योजना: पाँच वर्षीय योजनाओं के माध्यम से आर्थिक नियंत्रण।
  3. कल्याणकारी दृष्टिकोण: सभी नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की गारंटी।

प्र.12. सोवियत व्यवस्था की असफलता के तीन कारण लिखिए।
उत्तर:

  1. आर्थिक कमजोरी: प्रतियोगिता के अभाव से उत्पादकता घटी।
  2. राजनीतिक दमन: जनता को स्वतंत्रता नहीं थी।
  3. सैन्य व्यय: हथियारों पर अत्यधिक खर्च से संसाधनों की कमी।

प्र.13. सोवियत संघ के विघटन के तीन राजनीतिक परिणाम बताइए।
उत्तर:

  1. शीत युद्ध का अंत।
  2. 15 नए स्वतंत्र राष्ट्रों का गठन।
  3. अमेरिका का प्रभुत्व स्थापित हुआ।

प्र.14. गोर्बाचेव के सुधारों से सोवियत संघ का पतन क्यों तेज़ हुआ?
उत्तर:

  1. सुधारों से राजनीतिक नियंत्रण कमजोर हुआ।
  2. गणराज्यों में स्वतंत्रता की मांग बढ़ी।
  3. जनता का असंतोष बढ़ने से केंद्र कमजोर हुआ।

प्र.15. ‘शॉक थेरेपी’ की मुख्य बातें समझाइए।
उत्तर:

  • राज्य के नियंत्रण को कम करना।
  • उद्योगों का निजीकरण।
  • विदेशी निवेश को प्रोत्साहन।
    इससे अर्थव्यवस्था तेजी से पूंजीवाद की ओर बढ़ी, पर सामाजिक असमानता भी बढ़ी।

प्र.16. शॉक थेरेपी के सामाजिक प्रभाव बताइए।
उत्तर:

  1. गरीबी में वृद्धि।
  2. स्वास्थ्य व शिक्षा पर व्यय में कमी।
  3. संपत्ति का असमान वितरण।

प्र.17. ग्लासनोस्त का अर्थ व प्रभाव बताइए।
उत्तर:
ग्लासनोस्त का अर्थ है खुलापन। इससे जनता को सरकार की आलोचना की स्वतंत्रता मिली, परंतु इसका परिणाम गणराज्यों में असंतोष के रूप में हुआ।


प्र.18. सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्पन्न तनावों और संघर्षों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. जातीय संघर्ष: चेचन्या, जॉर्जिया आदि में गृहयुद्ध।
  2. सीमा विवाद: रूस–यूक्रेन संघर्ष।
  3. राजनीतिक अस्थिरता: नए राष्ट्रों में सत्ता संघर्ष।


🟩 खंड – C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न – 5 अंक प्रत्येक)

(प्रत्येक उत्तर 150–200 शब्दों में दीजिए।)


प्र.19. सोवियत संघ के विघटन के मुख्य कारणों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:

  1. आर्थिक कमजोरी: केंद्रीकृत योजना असफल रही।
  2. राजनीतिक जड़ता: कम्युनिस्ट पार्टी ने विपक्ष को दबाया।
  3. राष्ट्रवाद का उदय: गणराज्य स्वतंत्रता चाहते थे।
  4. शस्त्र प्रतिस्पर्धा: अमेरिका से प्रतिस्पर्धा ने संसाधन नष्ट किए।
  5. सुधारों की असफलता: गोर्बाचेव के कदमों से एकता टूटी।
    इस प्रकार, आंतरिक व बाहरी दबावों ने मिलकर 1991 में सोवियत संघ को समाप्त कर दिया।

प्र.20. शॉक थेरेपी की विशेषताएँ और रूस पर उसके प्रभाव बताइए।
उत्तर:
विशेषताएँ:

  • तीव्र आर्थिक परिवर्तन,
  • उद्योगों का निजीकरण,
  • वैश्विक बाजार से जुड़ाव।
    प्रभाव:
  • महँगाई और बेरोज़गारी में वृद्धि,
  • कुछ धनिक वर्गों का उदय,
  • राजनीतिक अस्थिरता।
    इस प्रकार, अचानक पूंजीवाद अपनाने से आर्थिक संकट गहरा गया।

प्र.21. साम्यवादी देशों में शॉक थेरेपी के परिणाम बताइए।
उत्तर:

  1. जातीय संघर्ष बढ़े।
  2. सामाजिक असमानता में वृद्धि।
  3. लोकतंत्र की चुनौतियाँ।
  4. रूस–पश्चिम तनाव।
  5. ऊर्जा व सीमा विवाद।

प्र.22. शीत युद्ध के अंत के बाद विश्व राजनीति में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर:

  1. एकध्रुवीयता का उदय: अमेरिका सर्वोच्च बना।
  2. वैश्वीकरण का प्रसार।
  3. नए क्षेत्रीय संगठन बने।
  4. संयुक्त राष्ट्र की भूमिका बढ़ी।
  5. स्थानीय संघर्ष और आतंकवाद का उभार।
    इस प्रकार, विश्व राजनीति में शक्ति संतुलन पूरी तरह बदल गया।

प्र.23. गोर्बाचेव के सुधारों का महत्व बताइए।
उत्तर:

  1. उनका उद्देश्य समाजवाद को आधुनिक बनाना था।
  2. ग्लासनोस्त से राजनीतिक खुलापन आया।
  3. पेरेस्त्रोइका से आर्थिक लचीलापन।
  4. लेकिन इन सुधारों से व्यवस्था अस्थिर हुई।
  5. अंततः सुधार ही विघटन का कारण बने।


🟩 खंड – D (स्रोत/प्रकरण आधारित प्रश्न – 6 अंक)


प्र.24.
“सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस संयुक्त राष्ट्र में तो रहा, पर उसकी शक्ति कम हो गई।”

(क) रूस का प्रभाव क्यों घटा?
(ख) नए गणराज्यों को कौन-सी दो प्रमुख चुनौतियाँ थीं?
(ग) विश्व शक्ति संतुलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर:
(क) आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के कारण रूस कमजोर हुआ।
(ख) लोकतंत्र स्थापित करना और अर्थव्यवस्था को स्थिर करना।
(ग) अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बन गया, जिससे विश्व एकध्रुवीय हो गया।


प्र.25.
“शॉक थेरेपी से रूस में निजीकरण बढ़ा लेकिन आम जनता को कठिनाई हुई।”

(क) इसका उद्देश्य क्या था?
(ख) एक सकारात्मक और एक नकारात्मक प्रभाव लिखिए।
(ग) इसकी आलोचना क्यों की गई?

उत्तर:
(क) पूंजीवाद स्थापित करना और वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ना।
(ख)

  • सकारात्मक: विदेशी व्यापार बढ़ा।
  • नकारात्मक: बेरोज़गारी और गरीबी बढ़ी।
    (ग) सामाजिक लागत की अनदेखी और असमानता बढ़ाने के कारण इसकी आलोचना हुई।


🟩 खंड – E (मूल्याधारित प्रश्न – 5 अंक)


प्र.26.
“द्विध्रुवीयता के अंत ने विश्व को नई सीखें दीं।”
ऐसे पाँच सबक लिखिए जो विश्व ने इससे सीखे।

उत्तर:

  1. शांति और संवाद का महत्व।
  2. आर्थिक सहयोग की आवश्यकता।
  3. लोकतंत्र और स्वतंत्रता का मूल्य।
  4. मानवाधिकारों की रक्षा।
  5. वैश्विक समस्याओं पर एकता का दृष्टिकोण।

🧭 निष्कर्ष:

यह प्रश्नपत्र विद्यार्थियों को सोवियत संघ, शीत युद्ध के अंत, और नई विश्व व्यवस्था की गहन समझ प्रदान करता है।
इससे वे राजनीतिक परिवर्तनों, सुधारों और वैश्विक संबंधों का विश्लेषण करना सीखते हैं।


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