political science CBSE class 12th course A अध्याय 1


अध्याय 1 — द्विध्रुवीयता का अंत (The End of Bipolarity)


1. सोवियत प्रणाली क्या थी? (What was the Soviet System)

  1. सोवियत संघ (USSR) की स्थापना 1917 की रूसी क्रांति के बाद हुई, जिसे व्लादिमीर लेनिन ने नेतृत्व दिया।
  2. इसका लक्ष्य था – सामाजिक समानता, वर्गविहीन समाज और राज्य के स्वामित्व वाली अर्थव्यवस्था
  3. सभी उत्पादन साधन जैसे भूमि, उद्योग, खदानें और बैंक – राज्य के नियंत्रण में थे।
  4. निजी संपत्ति की अनुमति नहीं थी; राज्य ही तय करता था कि क्या उत्पादित होगा और कैसे वितरित होगा।
  5. केंद्रीय नियोजन (Central Planning) के तहत पाँच वर्षीय योजनाएँ (Five-Year Plans) बनाई जाती थीं।
  6. इन योजनाओं का उद्देश्य था — औद्योगिकीकरण, शिक्षा का विस्तार, स्वास्थ्य सुविधाएँ, और रोजगार सृजन
  7. सोवियत प्रणाली ने गरीबी घटाने और शिक्षा स्तर बढ़ाने में सफलता पाई।
  8. परंतु, यह प्रणाली राजनीतिक स्वतंत्रता, व्यक्तिगत अधिकारों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से वंचित थी।
  9. केवल कम्युनिस्ट पार्टी को राजनीतिक अधिकार प्राप्त थे; विपक्षी पार्टियाँ प्रतिबंधित थीं।
  10. समय के साथ यह प्रणाली जड़ और अक्षम होती चली गई, क्योंकि नवाचार और प्रतिस्पर्धा का अभाव था।

2. गोर्बाचेव और विघटन (Gorbachev and the Disintegration)

  1. मिखाइल गोर्बाचेव 1985 में सोवियत संघ के नेता बने।
  2. उन्होंने यह महसूस किया कि देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है और जनता असंतुष्ट है।
  3. गोर्बाचेव ने दो प्रमुख सुधार शुरू किए —
    • ग्लासनोस्त (Glasnost) — पारदर्शिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
    • पेरेस्त्रोइका (Perestroika) — आर्थिक पुनर्गठन और बाज़ार सुधार।
  4. इन सुधारों का उद्देश्य था – सोवियत प्रणाली को आधुनिक बनाना, न कि उसे समाप्त करना।
  5. लेकिन, इन सुधारों से राजनीतिक अस्थिरता और अलगाववाद बढ़ गया।
  6. बाल्टिक देशों (लिथुआनिया, लातविया, एस्तोनिया) और अन्य गणराज्यों ने स्वतंत्रता की माँग शुरू कर दी।
  7. 1989 में पूर्वी यूरोप के कई देश जैसे पोलैंड, हंगरी और जर्मनी में कम्युनिस्ट शासन गिर गए
  8. 1991 में एक कू (Coup Attempt) हुआ, जिसे सेना के कुछ नेताओं ने गोर्बाचेव के खिलाफ चलाया।
  9. इस कू के असफल होने के बाद, बोरिस येल्तसिन ने रूस को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया।
  10. अंततः दिसंबर 1991 में सोवियत संघ का विघटन (Disintegration) हुआ और 15 नए देश अस्तित्व में आए।

3. सोवियत संघ क्यों टूटा? (Why Did the Soviet Union Disintegrate)

  1. राजनीतिक कारण:
    • कम्युनिस्ट पार्टी का एकाधिकार और जनता की भागीदारी का अभाव।
    • लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की कमी।
  2. आर्थिक कारण:
    • केंद्रीय नियोजन व्यवस्था अप्रभावी साबित हुई।
    • वस्तुओं की कमी और उत्पादन में गिरावट।
    • रक्षा खर्च बहुत अधिक था, जिससे सामाजिक क्षेत्र की उपेक्षा हुई।
  3. सामाजिक कारण:
    • विभिन्न गणराज्यों में राष्ट्रीयता की भावना बढ़ी।
    • स्थानीय पहचान और स्वायत्तता की माँग तेज़ हुई।
  4. बाहरी कारण:
    • अमेरिका के साथ शीत युद्ध (Cold War) में अधिक खर्च।
    • पश्चिमी देशों से तकनीकी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ना।
  5. गोर्बाचेव के सुधारों का प्रभाव:
    • सुधारों ने नियंत्रण कम किया, जिससे असंतोष खुलकर सामने आया।
    • जनसमर्थन की कमी के कारण शासन कमजोर हुआ।
  6. इन सभी कारणों ने मिलकर USSR के पतन को अनिवार्य बना दिया।

4. झटका उपचार (Shock Therapy) – उत्तर-समाजवादी शासन में (In Post-Communist Regimes)

  1. ‘शॉक थेरपी’ का अर्थ है – समाजवादी प्रणाली से एक झटके में पूंजीवादी बाजार प्रणाली की ओर संक्रमण।
  2. रूस और अन्य पूर्व सोवियत गणराज्यों ने 1991 के बाद यह नीति अपनाई।
  3. इसके अंतर्गत —
    • राज्य संपत्तियों का निजीकरण किया गया।
    • विदेशी निवेश को आमंत्रित किया गया।
    • मूल्य नियंत्रण हटाए गए
    • मुद्रा का अवमूल्यन किया गया।
  4. उद्देश्य था — आर्थिक दक्षता बढ़ाना और वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ना।
  5. परंतु परिणाम मिश्रित रहे।
  6. अल्पकालिक परिणाम:
    • बेरोज़गारी और मुद्रास्फीति में वृद्धि।
    • उद्योगों का पतन और गरीबी बढ़ी।
  7. दीर्घकालिक प्रभाव:
    • नई पूंजीपति वर्ग (Oligarchs) का उदय।
    • सामाजिक असमानता और भ्रष्टाचार बढ़ा।
  8. राजनीतिक अस्थिरता और लोकतांत्रिक संस्थाओं की कमजोरी देखी गई।
  9. पश्चिमी देशों के समर्थन के बावजूद, रूस को 1990 के दशक में गंभीर आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा।

5. झटका उपचार के परिणाम (Consequences of Shock Therapy)

  1. आर्थिक प्रभाव:
    • GDP में तेज़ गिरावट आई।
    • मूल्य वृद्धि के कारण जनता की जीवन-स्तर पर असर पड़ा।
  2. सामाजिक प्रभाव:
    • गरीबी और बेरोज़गारी बढ़ी।
    • स्वास्थ्य और शिक्षा पर सरकारी खर्च घटा।
  3. राजनीतिक प्रभाव:
    • लोकतांत्रिक संस्थाएँ कमजोर रहीं।
    • कुछ देशों में तानाशाही प्रवृत्तियाँ लौट आईं।
  4. अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:
    • रूस का वैश्विक प्रभाव घटा, जबकि अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बन गया।
    • संयुक्त राष्ट्र, IMF और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं में पश्चिमी वर्चस्व बढ़ा।
  5. सुरक्षा प्रभाव:
    • परमाणु हथियारों पर नियंत्रण एक बड़ा मुद्दा बना।
    • नाटो (NATO) का विस्तार रूस की सीमाओं तक हुआ।
  6. इस प्रकार शॉक थेरपी ने लोकतंत्र और विकास दोनों को चुनौती दी।

6. तनाव और संघर्ष (Tensions and Conflicts)

  1. सोवियत संघ के टूटने के बाद, कई नए राष्ट्रों में सीमाई विवाद और जातीय संघर्ष शुरू हुए।
  2. चेचन्या, जॉर्जिया, यूक्रेन और बाल्कन क्षेत्र में हिंसा फैली।
  3. रूस ने अपने प्रभाव क्षेत्र को बनाए रखने की कोशिश की।
  4. कुछ देशों ने नाटो और यूरोपीय संघ (EU) में शामिल होकर पश्चिम का साथ दिया।
  5. रूस और पश्चिम के बीच विश्वास की कमी और भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ी।
  6. परमाणु हथियारों और ऊर्जा संसाधनों पर नियंत्रण भी विवाद का कारण बना।
  7. आज भी यह क्षेत्र राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा संकट से जूझ रहा है।

7. निष्कर्ष (Conclusion)

  1. द्विध्रुवीय विश्व व्यवस्था (Bipolar World Order), जो अमेरिका और सोवियत संघ के बीच थी, 1991 के बाद समाप्त हो गई।
  2. इसके स्थान पर एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था (Unipolar World Order) का उदय हुआ, जिसमें अमेरिका का प्रभुत्व स्थापित हुआ।
  3. रूस ने अपनी पहचान फिर से स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
  4. शीत युद्ध का अंत विश्व राजनीति में नए अवसरों और जोखिमों दोनों का प्रतीक बना।
  5. लोकतंत्र, वैश्वीकरण और पूंजीवाद की नई लहर आई, परंतु असमानता और अस्थिरता भी बढ़ी।
  6. अंततः, “द्विध्रुवीयता का अंत” केवल एक युग का अंत नहीं था, बल्कि नए विश्व क्रम (New World Order) की शुरुआत थी।

🟢 विशेष बिंदु (Highlights):

  • USSR = Union of Soviet Socialist Republics
  • 1991 = विघटन का वर्ष
  • गोर्बाचेव की नीतियाँ — ग्लासनोस्त और पेरेस्त्रोइका
  • शॉक थेरपी = बाज़ार आधारित सुधारों का झटका
  • परिणाम — आर्थिक असमानता, राजनीतिक अस्थिरता, वैश्विक शक्ति-संतुलन में परिवर्तन

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