खुली अर्थव्यवस्था का व्यापक अर्थशास्त्र – अध्ययन गाइड CBSE class 12th Economics

खुली अर्थव्यवस्था का व्यापक अर्थशास्त्र – अध्ययन गाइड

खुली अर्थव्यवस्था का व्यापक अर्थशास्त्र – अध्ययन गाइड

1. खुली अर्थव्यवस्था का परिचय

  • खुली अर्थव्यवस्था वह होती है जो अन्य देशों के साथ वस्तुओं, सेवाओं तथा वित्तीय लेन-देन में भाग लेती है।
  • इसमें निर्यात (Exports), आयात (Imports), पूंजी प्रवाह और विदेशी मुद्रा बाजार जैसे घटक शामिल होते हैं।
  • खुली अर्थव्यवस्था में उत्पादन, कीमतें, ब्याज दरें और विनिमय दर (Exchange Rate) का अन्य देशों से गहरा संबंध होता है।
  • मुख्य विषय: भुगतान संतुलन (Balance of Payments), विदेशी मुद्रा बाजार, विनिमय दर तथा आय निर्धारण

2. भुगतान संतुलन (BoP) — अर्थ

  • परिभाषा: किसी देश के निवासियों और विश्व के शेष हिस्सों के बीच एक निश्चित अवधि में किए गए सभी आर्थिक लेन-देन का सांकेतिक लेखा।
  • BoP दो मुख्य भागों में विभाजित होता है – चालू खाता (Current Account) और पूंजी खाता (Capital Account)
  • इसका उद्देश्य देश की बाहरी आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करना और नीति निर्धारण में सहायता देना है।

3. चालू खाता — अर्थ और घटक

  • चालू खाता वस्तुओं, सेवाओं, आय और एकतरफा अंतरण (जैसे विदेश से धन भेजना) के सभी लेन-देन को दर्ज करता है।
  • यह देश की निर्यात-आयात स्थिति और शुद्ध आय को दर्शाता है।
  • यदि निर्यात और अंतरण अधिक हैं, तो चालू खाते में अधिशेष (Surplus) होता है, अन्यथा घाटा (Deficit)।

4. पूंजी खाता — अर्थ और घटक

  • पूंजी खाता पूंजी स्थानांतरण, विदेशी निवेश, ऋण और परिसंपत्तियों में बदलाव से संबंधित लेन-देन को दर्शाता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), पोर्टफोलियो निवेश, ऋण और भंडार में परिवर्तन इसके मुख्य भाग हैं।
  • यह चालू खाते के असंतुलन को वित्तपोषित करने का कार्य करता है।

5. भुगतान संतुलन में अधिशेष और घाटा

  • यदि कुल प्राप्तियाँ (Inflow) व्ययों से अधिक हैं, तो अधिशेष (Surplus) कहा जाता है।
  • यदि व्यय अधिक है, तो घाटा (Deficit) होता है, जिसे विदेशी भंडार या ऋण से पूरा किया जाता है।
  • लंबे समय तक घाटा होना आर्थिक असंतुलन को दर्शाता है।

6. विदेशी मुद्रा बाजार (Foreign Exchange Market)

  • यह वह बाजार है जहाँ विभिन्न देशों की मुद्राएँ खरीदी और बेची जाती हैं।
  • मुख्य प्रतिभागी: केंद्रीय बैंक, व्यापारी, बैंक, निवेशक आदि।
  • यह बाजार विनिमय दर को निर्धारित करता है।

7. विदेशी विनिमय दर — परिभाषा

  • यह एक मुद्रा की कीमत दूसरी मुद्रा में व्यक्त की जाती है, जैसे — 1 USD = ₹83.50
  • दो प्रकार की दरें होती हैं — स्पॉट रेट (तत्काल विनिमय) और फॉरवर्ड रेट (भविष्य के लिए)।
  • विनिमय दर में परिवर्तन का प्रभाव आयात-निर्यात, मुद्रास्फीति और निवेश पर पड़ता है।

8. विनिमय दर का निर्धारण

  • यह मांग और आपूर्ति की शक्तियों पर निर्भर करती है।
  • विदेशी मुद्रा की मांग: आयात, विदेशी निवेश और ऋण भुगतान के लिए होती है।
  • विदेशी मुद्रा की आपूर्ति: निर्यात, पूंजी प्रवाह, और विदेशी सहायता से होती है।
  • संतुलन दर वहीं होती है जहाँ मांग = आपूर्ति।

9. स्थिर और परिवर्तनीय विनिमय दर प्रणाली

  • स्थिर विनिमय दर: जब सरकार मुद्रा का मूल्य एक निश्चित स्तर पर रखती है।
  • लाभ: स्थिरता, मुद्रास्फीति नियंत्रण, व्यापार में सुविधा।
  • हानि: स्वतंत्र मौद्रिक नीति का अभाव, भंडार की आवश्यकता, सट्टा जोखिम।
  • परिवर्तनीय विनिमय दर: दर बाजार की शक्तियों से तय होती है।
  • लाभ: स्वत: संतुलन, नीति स्वतंत्रता।
  • हानि: अस्थिरता और जोखिम।

10. प्रबंधित तैरता हुआ विनिमय (Managed Floating)

  • यह प्रणाली स्थिर और लचीली दोनों का मिश्रण है।
  • सरकार केवल अत्यधिक अस्थिरता को नियंत्रित करने हेतु हस्तक्षेप करती है।

11. खुली अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय की पहचान

  • खुली अर्थव्यवस्था में कुल मांग = उपभोग + निवेश + सरकारी व्यय + (निर्यात − आयात)
  • Y = C + I + G + (X − M)
  • यह समीकरण दर्शाता है कि घरेलू उत्पादन और विदेशी व्यापार मिलकर राष्ट्रीय आय को निर्धारित करते हैं।

12. खुली अर्थव्यवस्था गुणक (Multiplier)

  • यदि सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (c) और सीमांत आयात प्रवृत्ति (m) दी गई है, तो:
  • k = 1 / (1 − c + m)
  • जितना m अधिक होगा, गुणक का मान उतना ही कम होगा क्योंकि कुछ मांग विदेश चली जाती है।

13. मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव (Marshall–Lerner Condition)

  • यदि निर्यात और आयात की मांग की लोच का योग > 1 है, तो अवमूल्यन से व्यापार संतुलन सुधरता है।
  • कम अवधि में “J-Curve Effect” दिखता है — प्रारंभ में घाटा बढ़ता है पर बाद में सुधार होता है।

14. नीति निष्कर्ष

  • खुली अर्थव्यवस्था में वित्तीय नीति का प्रभाव सीमित होता है क्योंकि आयात से मांग का रिसाव होता है।
  • मौद्रिक नीति का प्रभाव विनिमय दर और पूंजी प्रवाह पर निर्भर करता है।
  • संतुलित विकास के लिए प्रबंधित तैरती विनिमय नीति और मजबूत विदेशी भंडार आवश्यक हैं।

15. महत्वपूर्ण सूत्र

सूत्रअर्थ
राष्ट्रीय आयY = C + I + G + (X − M)
गुणक (Multiplier)k = 1 / (1 − c + m)
लीकेज = इंजेक्शनS + T + M = I + G + X
भुगतान संतुलन पहचानचालू खाता + पूंजी खाता + भंडार + त्रुटियाँ = 0

यह अध्ययन सामग्री कक्षा 12 के छात्रों के लिए खुली अर्थव्यवस्था अध्याय का सार प्रस्तुत करती है। सभी बिंदु, सूत्र और परिभाषाएँ परीक्षा उन्मुख हैं और CBSE पैटर्न पर आधारित हैं।

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