business study class 12 CBSE अध्याय 7


DIRECTING (निर्देशन) – अध्याय 7


1. भूमिका (INTRODUCTION)

  1. निर्देशन प्रबंधन की प्रमुख क्रियाओं में से एक है जो कर्मचारियों की गतिविधियों को संगठनात्मक लक्ष्यों की ओर दिशा प्रदान करती है।
  2. जहाँ योजना (Planning) और संगठन (Organising) ढांचा तैयार करते हैं, वहीं निर्देशन उस ढांचे को जीवंत बनाता है।
  3. निर्देशन कर्मचारियों को मार्गदर्शन, प्रेरणा, पर्यवेक्षण और नेतृत्व देकर कार्य करने के लिए उत्साहित करता है।
  4. इसे “क्रियान्वयन कार्य (Executive Function)” कहा जाता है क्योंकि हर स्तर का प्रबंधक इसे निरंतर करता है।
  5. निर्देशन मानव व्यवहार से जुड़ी गतिविधि है—यह कर्मचारियों की मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और भावनात्मक ज़रूरतों पर ध्यान देता है।
  6. यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों को यह पता हो कि क्या करना है, कैसे करना है और कब करना है।
  7. निर्देशन कार्यस्थल में सकारात्मक माहौल बनाकर कर्मचारियों के मनोबल और संतुष्टि को बढ़ाता है।
  8. यह संगठन के विभिन्न विभागों की गतिविधियों का समन्वय करता है।
  9. प्रभावी निर्देशन भ्रम को कम करता है और कार्य की दक्षता बढ़ाता है।
  10. निर्देशन वह प्रक्रिया है जो संगठन के योजनाओं को वास्तविक परिणामों में बदलती है।

2. निर्देशन का अर्थ (MEANING OF DIRECTING)

  1. निर्देशन का अर्थ है कर्मचारियों को निर्देश देना, मार्गदर्शन करना, प्रेरित करना और उनके कार्यों पर नज़र रखना।
  2. यह वह प्रक्रिया है जो कर्मचारियों को संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सक्रिय करती है।
  3. निर्देशन एक सतत (Continuous) गतिविधि है जिसमें निर्देश देने से लेकर प्रदर्शन के मूल्यांकन तक सभी चरण शामिल हैं।
  4. इसमें चार प्रमुख तत्व होते हैं—
    • पर्यवेक्षण (Supervision)
    • प्रेरणा (Motivation)
    • नेतृत्व (Leadership)
    • संचार (Communication)
  5. निर्देशन कर्मचारियों में सहयोग और उत्साह पैदा करता है।
  6. यह संगठन के लक्ष्य और कर्मचारियों के व्यक्तिगत लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाता है।
  7. निर्देशन मानव तत्वों के प्रभावी उपयोग पर केंद्रित है।
  8. यह सुनिश्चित करता है कि सभी कार्य सही दिशा में और समय पर हों।
  9. निर्देशन के बिना किसी योजना का सही क्रियान्वयन संभव नहीं।
  10. यह प्रबंधक और कर्मचारियों के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करता है।

3. निर्देशन का महत्व (IMPORTANCE OF DIRECTING)

1. क्रिया की शुरुआत (Initiates Action)

  • निर्देशन वह प्रक्रिया है जो कर्मचारियों को कार्य प्रारंभ करने के लिए प्रेरित करती है।
  • बिना निर्देशन के केवल योजना बनाकर परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते।

2. प्रयासों का समन्वय (Integrates Efforts)

  • यह विभिन्न व्यक्तियों और विभागों के प्रयासों को एक दिशा में जोड़ता है।
  • संगठन में एकता का लक्ष्य (Unity of Direction) स्थापित करता है।

3. प्रेरणा प्रदान करता है (Motivates Employees)

  • प्रोत्साहन और मान्यता प्राप्त होने पर कर्मचारी अधिक ऊर्जा और उत्साह से कार्य करते हैं।
  • प्रेरणा से उत्पादन क्षमता बढ़ती है।

4. नेतृत्व उपलब्ध कराता है (Provides Leadership)

  • नेतृत्व कर्मचारियों को सही दिशा देता है और उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करता है।
  • एक अच्छा नेता विश्वास, सम्मान और सहयोग का वातावरण बनाता है।

5. संचार को सुचारू बनाता है (Facilitates Communication)

  • निर्देशन से प्रबंधक और कर्मचारियों के बीच सूचना का आदान-प्रदान सहज होता है।
  • गलतफहमियाँ कम होती हैं।

6. स्थिरता और अनुकूलनशीलता (Ensures Stability and Adaptability)

  • परिवर्तन के समय निर्देशन कर्मचारियों को समायोजित होने में मदद करता है।
  • कार्यस्थल की स्थिरता और संतुलन बनाए रखता है।

7. दक्षता बढ़ाता है (Improves Efficiency)

  • मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के कारण त्रुटियाँ कम होती हैं।
  • संसाधनों का उचित उपयोग होता है।

8. टीम भावना का विकास (Develops Team Spirit)

  • निर्देशन कर्मचारियों में सहयोग की भावना बढ़ाता है।
  • टीम वर्क को मजबूत करता है।

9. भविष्य के नेताओं का विकास (Develops Future Leaders)

  • निर्देशन के माध्यम से कर्मचारी अनुभव, आत्मविश्वास और कौशल प्राप्त करते हैं।
  • यह भावी नेतृत्व तैयार करने में सहायक होता है।

10. संगठनात्मक विकास (Organizational Growth)

  • प्रभावी निर्देशन के कारण उत्पादकता उच्च होती है और गुणवत्ता बेहतर रहती है।
  • संगठन दीर्घकालिक सफलता प्राप्त करता है।

4. पर्यवेक्षण (SUPERVISION)

पर्यवेक्षण का अर्थ

  1. पर्यवेक्षण का अर्थ है कर्मचारियों की कार्य गतिविधियों की निगरानी और मार्गदर्शन करना।
  2. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारी कार्य को मानक के अनुरूप करें।
  3. पर्यवेक्षण करने वाले व्यक्ति को Supervisor/Foreman (पर्यवेक्षक) कहा जाता है।
  4. वह प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच संचार सेतु का कार्य करता है।

पर्यवेक्षक की भूमिकाएँ और कार्य

1. निर्देश देना

  • दैनिक कार्यों के लिए कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश प्रदान करना।
  • यह सुनिश्चित करना कि वे अपनी भूमिका समझते हैं।

2. मार्गदर्शन करना

  • तकनीकी सहायता, व्यावहारिक प्रशिक्षण और सुझाव देना।
  • समस्याओं का तत्काल समाधान प्रदान करना।

3. कार्य का मूल्यांकन

  • कार्य की प्रगति पर नज़र रखना।
  • मानक और वास्तविक प्रदर्शन की तुलना करना।

4. अनुशासन बनाए रखना

  • कार्यस्थल के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करवाना।
  • सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करना।

5. संचार सुधारा

  • प्रबंधन की नीतियों को कर्मचारियों तक पहुँचाना।
  • कर्मचारियों की प्रतिक्रिया और शिकायतों को प्रबंधन तक पहुँचाना।

6. प्रेरित करना

  • अच्छे कार्य के लिए प्रशंसा देना।
  • कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना।

7. संघर्ष समाधान

  • कर्मचारियों के बीच विवाद होने पर समाधान में मदद करना।

8. टीम वर्क को बढ़ावा देना

  • सहयोग की भावना विकसित करना।
  • सामूहिक प्रयासों को संगठित करना।

9. कर्मचारी विकास

  • नई कौशलों का प्रशिक्षण और क्षमता विकास।
  • नए कर्मचारियों को मार्गदर्शन देना।

पर्यवेक्षण का महत्व

  1. त्रुटियों में कमी आती है।
  2. उच्च उत्पादकता सुनिश्चित होती है।
  3. कार्य की गुणवत्ता बढ़ती है।
  4. कर्मचारी अनुशासन और समयबद्धता बढ़ती है।
  5. कार्य संबंधी समस्याओं का त्वरित समाधान होता है।
  6. बेहतर संचार और समन्वय विकसित होता है।

5. प्रेरणा (MOTIVATION)

अर्थ

  1. प्रेरणा वह शक्ति है जो व्यक्ति को किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है।
  2. यह आंतरिक और बाहरी दोनों माध्यमों से कर्मचारियों को कार्य के लिए उत्साहित करती है।
  3. प्रेरणा कर्मचारियों में उत्साह, निष्ठा और प्रतिबद्धता उत्पन्न करती है।
  4. यह संगठनात्मक और व्यक्तिगत उद्देश्यों के बीच संतुलन बनाती है।

प्रेरणा के प्रकार

A. वित्तीय प्रेरणा (Financial Motivation)

  • वेतन और मजदूरी
  • बोनस
  • लाभ साझेदारी
  • कमीशन
  • उत्पादकता आधारित प्रोत्साहन
  • भत्ते (House Rent, Medical, Travel etc.)
  • पेंशन और बीमा सुविधाएँ

B. गैर-वित्तीय प्रेरणा (Non-Financial Motivation)

  • मान-सम्मान और प्रशंसा
  • नौकरी की सुरक्षा
  • बेहतर कार्य परिस्थितियाँ
  • प्रमोशन और उन्नति
  • निर्णय लेने में भागीदारी
  • स्वतंत्रता और अधिकार
  • नौकरी में विविधता और समृद्धि (Job Enrichment)

मास्लो की आवश्यकता पदानुक्रम सिद्धांत (Maslow’s Need Hierarchy Theory)

  1. शारीरिक आवश्यकताएँ – उचित वेतन, विश्राम, आरामदायक वातावरण।
  2. सुरक्षा की आवश्यकताएँ – नौकरी सुरक्षा, बीमा, सुरक्षित वातावरण।
  3. सामाजिक आवश्यकताएँ – टीम वर्क, मित्रता, समूह गतिविधियाँ।
  4. सम्मान की आवश्यकताएँ – पहचान, पुरस्कार, पदोन्नति।
  5. आत्म-साक्षात्कार (Self-actualization) – रचनात्मक कार्य, नवाचार, नई चुनौतियाँ।

प्रेरणा का महत्व

  1. उत्पादकता बढ़ती है।
  2. कर्मचारियों की संतुष्टि बढ़ती है।
  3. अनुपस्थिति और त्यागपत्र दर कम होती है।
  4. सकारात्मक कार्य वातावरण बनता है।
  5. टीम भावना और सहयोग बढ़ता है।
  6. कर्मचारियों में नवाचार की भावना विकसित होती है।
  7. संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति आसान होती है।

6. नेतृत्व (LEADERSHIP)

अर्थ

  1. नेतृत्व वह क्षमता है जिसके द्वारा नेता अपने अनुयायियों के व्यवहार को प्रभावित करता है।
  2. यह प्रेरणा, मार्गदर्शन और दृष्टि प्रदान करने की कला है।
  3. नेतृत्व संबंधों, विश्वास और प्रभाव पर आधारित होता है।

नेतृत्व की विशेषताएँ

  1. निरंतर प्रक्रिया
  2. व्यक्तियों पर प्रभाव डालना
  3. प्रभावी संचार
  4. सामूहिक लक्ष्य प्राप्ति
  5. टीम वर्क का निर्माण
  6. औपचारिक और अनौपचारिक दोनों रूपों में संभव

नेतृत्व की शैलियाँ (Leadership Styles)

1. अधिनायकवादी (Autocratic)

  • नेता अकेले निर्णय लेता है।
  • कर्मचारियों को निर्देशों का पालन करना होता है।
  • आपातकालीन स्थितियों में उपयोगी।

2. लोकतांत्रिक (Democratic)

  • निर्णय लेने में कर्मचारियों की भागीदारी।
  • रचनात्मकता और संतुष्टि बढ़ती है।

3. स्वतंत्र (Laissez-faire / Free-rein)

  • कर्मचारियों को पूर्ण स्वतंत्रता।
  • अनुभवी और आत्म-प्रेरित कर्मचारियों के लिए उपयुक्त।

अच्छे नेता के गुण

  1. ईमानदारी और सत्यनिष्ठा
  2. आत्मविश्वास
  3. संचार कौशल
  4. ज्ञान और विशेषज्ञता
  5. निर्णय क्षमता
  6. सहानुभूति
  7. प्रेरणा देने की क्षमता
  8. धैर्य और भावनात्मक संतुलन
  9. दूरदृष्टि
  10. अनुकूलनशीलता

नेतृत्व का महत्व

  1. दिशा और लक्ष्य प्रदान करता है।
  2. कर्मचारियों को प्रेरित करता है।
  3. संघर्ष समाधान में मदद करता है।
  4. टीम वर्क को मजबूत करता है।
  5. संगठनात्मक परिवर्तन को आसान बनाता है।
  6. उत्पादकता में वृद्धि करता है।

7. औपचारिक और अनौपचारिक संचार (FORMAL & INFORMAL COMMUNICATION)

संचार का अर्थ

  1. संचार सूचना, विचार, भावनाएँ और निर्देशों का आदान-प्रदान है।
  2. यह प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच समझ विकसित करता है।
  3. निर्देशन का आधार संचार ही है।

A. औपचारिक संचार (Formal Communication)

अर्थ

  • यह संगठन की आधिकारिक संरचना द्वारा निर्धारित दिशा में बहने वाला संचार है।
  • यह पदानुक्रम का पालन करता है।

प्रकार

  1. नीचे की ओर संचार (Downward) – उच्च स्तर से निम्न स्तर तक।
  2. ऊपर की ओर संचार (Upward) – कर्मचारियों से प्रबंधन तक।
  3. क्षैतिज संचार (Horizontal) – समान स्तर के कर्मचारियों के बीच।
  4. विकर्ण संचार (Diagonal) – अलग-अलग विभाग व स्तरों के बीच।

लाभ

  1. स्पष्ट और सटीक जानकारी
  2. रिकॉर्ड उपलब्ध
  3. जिम्मेदारी सुनिश्चित
  4. समन्वय में सहायक

सीमाएँ

  1. धीमी प्रक्रिया
  2. संदेश विकृत हो सकता है
  3. लचीलापन कम
  4. प्रतिक्रिया में समय लगता है

B. अनौपचारिक संचार (Informal / Grapevine)

अर्थ

  • यह कर्मचारियों के सामाजिक संबंधों के माध्यम से उत्पन्न संचार है।
  • इसे Grapevine Communication कहा जाता है।

विशेषताएँ

  1. तेज गति से फैलता है
  2. किसी दिशा का पालन नहीं करता
  3. व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित

प्रकार

  1. Single Strand
  2. Gossip Chain
  3. Probability Chain
  4. Cluster Chain – सबसे सामान्य

लाभ

  1. तेज संचार
  2. सामाजिक संबंध मजबूत
  3. प्रबंधन को वास्तविक समस्याओं की जानकारी मिलती है

हानियाँ

  1. अफवाह फैल सकती है
  2. नियंत्रण मुश्किल
  3. गलत जानकारी से तनाव बढ़ सकता है

8. निष्कर्ष (CONCLUSION)

  1. निर्देशन प्रबंधन का वह तत्व है जो कर्मचारियों के प्रयासों को संचालित और सक्रिय करता है।
  2. पर्यवेक्षण, प्रेरणा, नेतृत्व और संचार—इनके माध्यम से निर्देशन संगठन के लक्ष्यों को वास्तविक कार्यों में बदलता है।
  3. निर्देशन कर्मचारियों में विश्वास, सहयोग और उत्साह उत्पन्न करता है।
  4. यह प्रबंधक और कर्मचारियों के बीच मजबूत संबंध स्थापित करता है।
  5. प्रभावी निर्देशन के कारण उत्पादकता बढ़ती है, गलतियाँ कम होती हैं और संगठन का विकास सुनिश्चित होता है।
  6. इसलिए निर्देशन किसी भी संगठन की सफलता का प्रमुख आधार है।

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