⭐ कक्षा 12 भूगोल – अध्याय 5: द्वितीयक गतिविधियाँ (Secondary Activities)
1. द्वितीयक गतिविधियों का अर्थ
- द्वितीयक गतिविधियाँ वे क्रियाएँ हैं जिनमें प्राथमिक गतिविधियों से प्राप्त कच्चे माल का रूपांतरण करके उपयोगी वस्तुओं में बदला जाता है।
- इन गतिविधियों में विनिर्माण (Manufacturing), प्रसंस्करण (Processing), निर्माण (Construction), ऊर्जा उत्पादन और असेंबलिंग शामिल हैं।
- द्वितीयक गतिविधियाँ अर्थव्यवस्था में मूल्य संवर्धन (Value Addition) करती हैं।
- यह प्राथमिक और तृतीयक क्षेत्रों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाती हैं।
- द्वितीयक गतिविधियों के विकास से रोजगार, शहरीकरण, तकनीकी प्रगति और औद्योगिक वृद्धि होती है।
- ये गतिविधियाँ संसाधनों, श्रमिकों, परिवहन और पूंजी की उपलब्धता के अनुसार विशेष क्षेत्रों में केंद्रित होती हैं।
- किसी क्षेत्र के औद्योगिक विकास का स्तर वहाँ की द्वितीयक गतिविधियों से मापा जा सकता है।
2. विनिर्माण (Manufacturing)
2.1 विनिर्माण का अर्थ
- विनिर्माण वह प्रक्रिया है जिसमें कच्चे माल को यांत्रिक, रासायनिक या जैविक प्रक्रियाओं द्वारा बड़े पैमाने पर तैयार माल में बदला जाता है।
- यह कार्य कारखानों, कार्यशालाओं, मिलों और बड़े औद्योगिक इकाइयों में किया जाता है।
- विनिर्माण श्रम-प्रधान (Labour Intensive) या पूंजी-प्रधान (Capital Intensive) हो सकता है।
2.2 विनिर्माण का महत्व
- अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बढ़ाता है।
- भारी मात्रा में रोजगार सृजित करता है।
- तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
- निर्यात बढ़ाता है और विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
- बुनियादी ढाँचा जैसे सड़क, बंदरगाह, बिजली और संचार का विकास करता है।
- देश को आत्मनिर्भर बनाता है।
2.3 विनिर्माण की प्रक्रियाओं के प्रकार
- विश्लेषणात्मक (Analytical) – कच्चे माल को कई घटकों में विभाजित करना (जैसे – पेट्रोलियम रिफाइनिंग)।
- संश्लेषणात्मक (Synthetic) – विभिन्न सामग्रियों को मिलाकर नया उत्पाद बनाना (जैसे – सीमेंट निर्माण)।
- प्रसंस्करण उद्योग (Processing) – उत्पादन कई चरणों में होता है (जैसे – वस्त्र उद्योग)।
- असेंबलिंग (Assembling) – विभिन्न पुर्जों को जोड़कर उत्पाद बनाना (जैसे – कार, मोबाइल)।
3. उद्योगों का असमान भौगोलिक वितरण
3.1 वितरण असमान क्यों है?
- सभी क्षेत्रों में संसाधनों की उपलब्धता समान नहीं होती।
- ऐतिहासिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों ने औद्योगिक स्थान निर्धारण पर प्रभाव डाला।
- जहाँ पहले उद्योग लगे, वहीं और उद्योग लगते चले गए (Cumulative Advantage Effect)।
- उद्यमियों, तकनीक और बाजार वाले क्षेत्र अधिक आगे बढ़े।
3.2 वितरण असमान बनाने वाले प्रमुख कारक
- कच्चा माल – खनिज, कृषि उत्पाद, वन आधारित संसाधन।
- श्रम – कुशल और अकुशल श्रमिकों की उपलब्धता।
- ऊर्जा – बिजली, कोयला, पेट्रोलियम।
- बाज़ार – उपभोक्ताओं की संख्या और purchasing power।
- परिवहन और संचार – सड़क, रेल, बंदरगाह, इंटरनेट।
- पूंजी और निवेश – वित्तीय संस्थान, बैंक।
- सरकारी नीतियाँ – कर छूट, औद्योगिक क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र।
3.3 प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र (विश्व उदाहरण)
- रूर (Ruhr) क्षेत्र – जर्मनी
- किटाक्यूशु और केहिन – जापान
- मैन्युफैक्चरिंग बेल्ट – अमेरिका
- मुंबई–पुणे, अहमदाबाद–वडोदरा, चोता नागपुर पठार – भारत
4. समूह लाभ (Agglomeration Economies) / उद्योगों के पारस्परिक संबंध
4.1 समूह लाभ का अर्थ
- जब उद्योग एक क्षेत्र में समूह या क्लस्टर बनाकर स्थापित होते हैं, तो उन्हें साझा लाभ मिलता है।
- इससे लागत घटती है, दक्षता बढ़ती है और नवाचार तेज़ होता है।
4.2 समूह लाभ के फायदे
- साझा बुनियादी ढाँचा – बिजली, पानी, सड़क आदि।
- विशेषज्ञ श्रम उपलब्धता – कुशल कामगार आसानी से मिलते हैं।
- उद्योगों के बीच संबंध (Linkages) – जैसे स्टील उद्योग से ऑटोमोबाइल उद्योग को लाभ।
- परिवहन लागत में कमी।
- ज्ञान का आदान-प्रदान – तकनीक जल्दी फैलती है।
4.3 उद्योगों के प्रकार के संबंध
- Forward Linkage – कच्चा माल किसी अगले उद्योग में जाता है।
- Backward Linkage – उद्योग पहले चरण के उद्योगों पर निर्भर करता है।
- Lateral Linkage – समान तकनीक वाले उद्योगों के बीच संबंध।
5. परिवहन और संचार सुविधाओं तक पहुँच
5.1 परिवहन का महत्व
- कच्चे माल को कारखानों तक पहुँचाने और तैयार वस्तुओं को बाजारों में भेजने में सहायक।
- परिवहन लागत उद्योग के स्थान को तय करती है।
- मुख्य परिवहन मार्गों के पास उद्योग अधिक विकसित होते हैं।
5.2 परिवहन के प्रकार
- सड़क मार्ग – कम दूरी पर लचीला परिवहन।
- रेल मार्ग – भारी और थोक वस्तुओं के लिए उपयुक्त।
- जल परिवहन – सस्ता और भारी वस्तुओं के लिए आदर्श।
- वायु परिवहन – महंगी और नाजुक वस्तुओं के लिए।
5.3 संचार सुविधाएँ
- उद्योगों में प्रबंधन, विपणन और समन्वय के लिए आवश्यक।
- आधुनिक उद्योग डिजिटल नेटवर्क पर निर्भर हैं।
- वैश्विक उत्पादन शृंखलाएँ संचार पर आधारित हैं।
6. आकार के आधार पर उद्योगों के प्रकार
6.1 गृह उद्योग / कुटीर उद्योग
- परिवार द्वारा घर में चलने वाली इकाइयाँ।
- साधारण उपकरण और स्थानीय संसाधनों का उपयोग।
- कम पूँजी निवेश।
- उत्पाद: हस्तशिल्प, कढ़ाई, लकड़ी के खिलौने, मिट्टी के बर्तन।
6.2 लघु उद्योग
- छोटे पैमाने पर, सीमित मशीनरी के साथ।
- अधिकतर स्थानीय बाजार के लिए उत्पादन।
6.3 बड़े उद्योग
- विशाल मशीनरी, बड़ी पूँजी और बड़ा श्रम बल।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए उत्पादन।
- उदाहरण: इस्पात, ऑटोमोबाइल, तेल रिफाइनरी।
7. गृह उद्योग / कुटीर विनिर्माण (Cottage Industries)
7.1 प्रमुख विशेषताएँ
- खाद्य, वस्त्र, काष्ठ, हस्तकला आदि के उत्पाद।
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में केंद्रित।
- महिला श्रमिकों की बड़ी भागीदारी।
7.2 महत्व
- ग्रामीण रोजगार बढ़ाता है।
- पलायन को रोकता है।
- सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखता है।
7.3 समस्याएँ
- आधुनिक मशीनरी की कमी।
- सीमित बाजार।
- वित्तीय सहायता की कमी।
8. कच्चे माल के आधार पर उद्योगों के प्रकार
8.1 कृषि आधारित उद्योग
- कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है।
- जैसे: चीनी, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, तेल मिल।
8.2 खनिज आधारित उद्योग
- लोहे, बॉक्साइट, तांबा, मैंगनीज जैसे खनिजों पर आधारित।
- उदाहरण: इस्पात, सीमेंट, एल्यूमीनियम।
8.3 वन आधारित उद्योग
- लकड़ी, गोंद, रबर आदि पर आधारित।
- उदाहरण: पेपर मिल, फर्नीचर।
8.4 रासायनिक उद्योग
- कार्बनिक और अकार्बनिक रसायनों से उत्पाद।
- उदाहरण: उर्वरक, प्लास्टिक, पेंट।
8.5 पशु आधारित उद्योग
- चमड़ा, ऊन, डेयरी उत्पाद आदि।
9. स्वामित्व के आधार पर उद्योग
9.1 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग
- सरकारी स्वामित्व और संचालन।
- उद्देश्य – जनहित, आवश्यक सेवाएँ।
9.2 निजी क्षेत्र के उद्योग
- निजी व्यक्तियों या कंपनियों का स्वामित्व।
- उद्देश्य – लाभ अर्जित करना।
9.3 संयुक्त क्षेत्र
- सरकारी और निजी दोनों का संयुक्त स्वामित्व।
9.4 सहकारी क्षेत्र
- समूहों द्वारा संचालित उद्योग।
- उदाहरण: अमूल डेयरी सहकारिता।
10. निष्कर्ष
- द्वितीयक गतिविधियाँ किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का प्रमुख आधार हैं।
- ये कच्चे माल का मूल्य बढ़ाती हैं और उद्योगों को मजबूती देती हैं।
- उद्योगों का वितरण असमान होता है लेकिन यह संसाधनों और बुनियादी ढाँचे पर निर्भर करता है।
- औद्योगिक समूह (clusters) देश और क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाते हैं।
- परिवहन, संचार, पूंजी और तकनीक उद्योगों के विकास की रीढ़ हैं।
- कुटीर, लघु और बड़े उद्योग सभी मिलकर अर्थव्यवस्था को व्यापक बनाते हैं।
- स्वामित्व और कच्चे माल के आधार पर उद्योग वर्गीकृत किए जाते हैं।
- भविष्य की औद्योगिक वृद्धि टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल और तकनीक आधारित होगी।
