🏰 नमूना प्रश्नपत्र (Sample Paper)
कक्षा – 12 | विषय – इतिहास (कोर्स B)
अध्याय – एक शाही राजधानी: विजयनगर (14वीं–16वीं शताब्दी)
समय: 3 घंटे | पूर्णांक: 80 अंक
(No Copyright – केवल शैक्षणिक उपयोग हेतु)
📋 सामान्य निर्देश (General Instructions):
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- उत्तर संक्षिप्त और बिंदुवार दें।
- जहाँ आवश्यक हो, उदाहरण और तथ्य दें।
खंड – A : अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1×4 = 4 अंक)
(प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 30–40 शब्दों में दें)
प्रश्न 1. विजयनगर के खंडहरों की पुनः खोज किसने और कब की थी?
उत्तर:
- विजयनगर (हम्पी) के खंडहरों की खोज सन् 1800 ई. में कॉलिन मैकेंज़ी ने की थी।
- वे स्कॉटलैंड के इंजीनियर और भारत के प्रथम सर्वेक्षक जनरल थे।
प्रश्न 2. विजयनगर आने वाले दो विदेशी यात्रियों के नाम लिखिए और उन्होंने नगर की कौन सी विशेषता बताई?
उत्तर:
- डोमिंगो पायस (पुर्तगाली): उन्होंने विजयनगर को “रोम से भी बड़ा नगर” बताया।
- अब्दुर रज्ज़ाक (फ़ारसी): उन्होंने यहाँ की मजबूत किलाबंदी और समृद्धि की प्रशंसा की।
प्रश्न 3. विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक कौन थे और वे किस वंश से थे?
उत्तर:
- विजयनगर की स्थापना हरिहर और बुक्का राय ने की थी।
- वे संगम वंश से संबंधित थे।
प्रश्न 4. विरूपाक्ष मंदिर का क्या महत्व था?
उत्तर:
- विरूपाक्ष मंदिर भगवान शिव को समर्पित था।
- यह धार्मिक, सांस्कृतिक और राजकीय अनुष्ठानों का केंद्र था और राज्य की धार्मिक शक्ति का प्रतीक था।
खंड – B : लघु उत्तरीय प्रश्न (3×4 = 12 अंक)
(प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100–120 शब्दों में दें)
प्रश्न 5. विजयनगर पर शासन करने वाले प्रमुख वंशों और उनके योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- संगम वंश (1336–1485): हरिहर और बुक्का द्वारा स्थापना; राज्य का विस्तार।
- सलुव वंश (1485–1505): प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत।
- तुलुव वंश (1505–1570): कृष्णदेवराय के काल में साम्राज्य की चरम उन्नति।
- अराविडु वंश (1570–1646): तालीकोटा युद्ध के बाद शासन जारी रखा।
इन वंशों ने मंदिर, साहित्य, कला और व्यापार को प्रोत्साहित किया, जिससे विजयनगर दक्षिण भारत का महान साम्राज्य बना।
प्रश्न 6. विजयनगर के भौगोलिक स्थान का क्या महत्व था?
उत्तर:
- विजयनगर तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित था, चारों ओर पहाड़ों से घिरा होने के कारण स्वाभाविक रक्षा प्राप्त थी।
- उपजाऊ मैदानों से कृषि समृद्ध थी।
- पश्चिमी तट के बंदरगाहों (गोवा, कालिकट) से व्यापार आसान था।
- यह कन्नड़, तमिल, और तेलुगु संस्कृतियों के संगम पर था।
इस प्रकार यह स्थान रक्षा, कृषि और व्यापार सभी दृष्टियों से उपयुक्त था।
प्रश्न 7. महानवमी डिब्बा का क्या महत्व था?
उत्तर:
- महानवमी डिब्बा का निर्माण कृष्णदेवराय ने करवाया।
- यह नवरात्रि (दुर्गा पूजा) उत्सव के लिए प्रयुक्त होता था।
- यहाँ राजकीय जुलूस, नृत्य, युद्ध प्रदर्शन आदि आयोजित होते थे।
- इसकी दीवारों पर हाथी, घोड़े, सैनिक और उत्सव की मूर्तियाँ अंकित हैं, जो साम्राज्य की शक्ति और संस्कृति को दर्शाती हैं।
प्रश्न 8. विजयनगर की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
- कृषि प्रमुख थी – धान, गन्ना, सुपारी जैसी फसलें उगाई जाती थीं।
- नहरों व टैंकों से सिंचाई की व्यवस्था की गई थी (उदाहरण: हिरिया नहर)।
- मंदिर आर्थिक केंद्र थे, जहाँ से भूमि और व्यापार नियंत्रित होता था।
- बाज़ारों में रत्न, घोड़े, रेशम और मसालों की बिक्री होती थी।
- विदेशों (पर्शिया, अरब, पुर्तगाल) से व्यापारिक संबंध थे।
खंड – C : दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (6×3 = 18 अंक)
(प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 200–250 शब्दों में दें)
प्रश्न 9. विजयनगर की स्थापत्य कला के प्रमुख लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- मंदिर स्थापत्य:
- द्रविड़ शैली का प्रयोग – ऊँचे गोपुरम (द्वार) और मंडप (सभा भवन)।
- प्रमुख मंदिर – विरूपाक्ष, विट्ठल, हजारराम मंदिर।
- विट्ठल मंदिर की “संगीत स्तंभ” और “रथ” प्रसिद्ध हैं।
- मूर्ति कला:
- दीवारों पर रामायण–महाभारत और लोक जीवन की झलक।
- ग्रेनाइट पत्थर का प्रयोग।
- धार्मिक–धार्मिक इमारतें:
- कमल महल – इस्लामी मेहराबों और द्रविड़ गुम्बदों का मिश्रण।
- हाथी शाला – हिन्दू–इस्लामी स्थापत्य का उदाहरण।
- महानवमी डिब्बा – उत्सवों और परेडों का स्थल।
विजयनगर की स्थापत्य कला धर्म, राजनीति और सौंदर्य का संगम थी।
प्रश्न 10. विजयनगर में धर्म और मंदिरों की राजसत्ता में भूमिका समझाइए।
उत्तर:
- शासक स्वयं को दैवी शक्ति का प्रतिनिधि मानते थे।
- कृष्णदेवराय ने स्वयं को “विष्णु का दूत” कहा।
- मंदिरों के निर्माण और भूमि दान से राजकीय वैधता बढ़ती थी।
- पुरोहित और पुजारी राजा के हित के लिए अनुष्ठान करते थे।
- विरूपाक्ष और विट्ठल मंदिर राज्य की धार्मिक प्रतिष्ठा के प्रतीक थे।
- मंदिर आर्थिक और सामाजिक केंद्र भी थे।
इस प्रकार धर्म ने राजसत्ता को धार्मिक आभा और जनसमर्थन प्रदान किया।
प्रश्न 11. विजयनगर साम्राज्य के पतन के कारण बताइए।
उत्तर:
- उत्तराधिकार विवाद: कृष्णदेवराय की मृत्यु (1529) के बाद राजकुमारों में संघर्ष हुआ।
- अमात्य वर्ग में विभाजन: तेलुगु, तमिल और कन्नड़ सरदारों में मतभेद।
- तालीकोटा का युद्ध (1565): दक्कन सल्तनतों के संघ ने विजयनगर को पराजित किया।
- हम्पी का विध्वंस: नगर को लूटा और जलाया गया।
- व्यापारिक नियंत्रण में कमी: समुद्री व्यापार पर नियंत्रण समाप्त।
- राजधानी का स्थानांतरण: अराविडु वंश ने पेनुकोंडा और चंद्रगिरि को राजधानी बनाया।
इस प्रकार आंतरिक दुर्बलता और बाहरी आक्रमणों से साम्राज्य का पतन हुआ।
खंड – D : स्रोत आधारित प्रश्न (5 अंक)
स्रोत: (डोमिंगो पायस के विवरण से)
“विजयनगर का राजा सम्पूर्ण भारत का सबसे शक्तिशाली शासक है।
नगर रोम से बड़ा है, सुदृढ़ किलेबंदी वाला और अत्यंत समृद्ध है।
हर जगह रत्नों, रेशम, घोड़ों और मसालों के बाज़ार हैं।
राजमहल अद्भुत है और त्यौहारों में भव्य जुलूस निकलते हैं।”
प्रश्न (i) इस विवरण के लेखक कौन हैं और उन्होंने किसके शासनकाल में विजयनगर का भ्रमण किया?
उत्तर: डोमिंगो पायस, जिन्होंने कृष्णदेवराय (1509–1529) के शासनकाल में विजयनगर का दौरा किया।
प्रश्न (ii) यह विवरण विजयनगर की अर्थव्यवस्था के बारे में क्या बताता है?
उत्तर:
विजयनगर एक समृद्ध व्यापारिक नगर था, जहाँ रत्न, रेशम, मसाले और घोड़ों का अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता था।
प्रश्न (iii) इससे नगर और राजसत्ता की क्या छवि मिलती है?
उत्तर:
राजा एक शक्तिशाली और धार्मिक शासक था, नगर समृद्ध और व्यवस्थित था, तथा उत्सवों से इसकी सांस्कृतिक एकता झलकती थी।
खंड – E : मानचित्र आधारित प्रश्न (5 अंक)
मानचित्र पर निम्नलिखित स्थान अंकित करें:
- विजयनगर (राजधानी)
- तुंगभद्रा नदी
- गोवा (बंदरगाह)
- तालीकोटा (युद्ध स्थल)
- चंद्रगिरि (बाद की राजधानी)
उत्तर:
- विजयनगर – आधुनिक हम्पी, कर्नाटक।
- तुंगभद्रा नदी – विजयनगर के पास बहती है।
- गोवा – पश्चिमी तट पर।
- तालीकोटा – उत्तरी कर्नाटक।
- चंद्रगिरि – तिरुपति के पास, आंध्र प्रदेश।
खंड – F : निबंधात्मक प्रश्न (8 अंक)
(300–350 शब्दों में उत्तर दें)
प्रश्न 13. विजयनगर को “वैभव और संस्कृति का नगर” कहा जाना क्यों उचित है?
उत्तर:
विजयनगर दक्षिण भारत की राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक था।
- राजनीतिक शक्ति: कृष्णदेवराय के शासन में साम्राज्य सबसे सुदृढ़ था।
- स्थापत्य कला: विरूपाक्ष, विट्ठल मंदिर, कमल महल, हाथीशाला – सभी उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- धर्म: यहाँ शैव, वैष्णव, जैन और इस्लामी धर्मों का सहअस्तित्व था।
- अर्थव्यवस्था: कृषि, उद्योग और अंतरराष्ट्रीय व्यापार से समृद्धि।
- संस्कृति: तेलुगु, कन्नड़, तमिल और संस्कृत साहित्य का उत्कर्ष हुआ।
- विदेशी यात्रियों ने इसे “अद्वितीय नगर” बताया।
अतः विजयनगर वास्तव में “वैभव और संस्कृति का नगर” था, जिसने भारतीय सभ्यता की श्रेष्ठता को अमर कर दिया।
