🏛️ सीबीएसई नमूना प्रश्नपत्र – इतिहास (कक्षा 12)
कोर्स B – अध्याय 1: यात्रियों की दृष्टि से समाज की झलक (Through the Eyes of Travellers)
अधिकतम अंक: 30
समय: 1½ घंटे
(सभी प्रश्न अनिवार्य हैं)
खंड – A (बहुत लघु उत्तर वाले प्रश्न)
(प्रत्येक 1 अंक × 5 = 5 अंक)
प्रश्न 1. अल-बिरूनी कौन था और उसकी प्रमुख रचना कौन-सी थी?
उत्तर:
अल-बिरूनी मध्य एशिया का एक फ़ारसी विद्वान था जो महमूद ग़ज़नी के साथ भारत आया। उसकी प्रमुख रचना ‘किताब-उल-हिन्द’ है, जिसमें भारतीय धर्म, दर्शन, समाज और विज्ञान का वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है।
प्रश्न 2. “रिहला” का क्या अर्थ है?
उत्तर:
“रिहला” का अर्थ है यात्रा या यात्रा-वृत्तांत। यह इब्न बतूता द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध यात्रा-कथा का नाम है, जिसमें उसने अफ्रीका, अरब, भारत और चीन की यात्राओं का वर्णन किया है।
प्रश्न 3. फ्रांस्वा बर्नियर भारत कब आया और उस समय कौन-सा मुगल शासक था?
उत्तर:
फ्रांस्वा बर्नियर औरंगज़ेब के शासनकाल (17वीं शताब्दी) में भारत आया था।
प्रश्न 4. इब्न बतूता ने भारतीय नगरों के बारे में क्या लिखा?
उत्तर:
इब्न बतूता ने लिखा कि भारतीय नगर जैसे दिल्ली और कालीकट अत्यंत घनी आबादी वाले, समृद्ध और व्यापारिक दृष्टि से विकसित थे।
प्रश्न 5. कौन-सी सामाजिक प्रथा की आलोचना अल-बिरूनी और बर्नियर दोनों ने की?
उत्तर:
दोनों ने सती प्रथा की आलोचना की, जिसमें विधवा अपने पति की चिता पर स्वयं को अग्नि में समर्पित कर देती थी।
खंड – B (लघु उत्तर वाले प्रश्न)
(प्रत्येक 3 अंक × 5 = 15 अंक)
प्रश्न 6. अल-बिरूनी की रचना ‘किताब-उल-हिन्द’ की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:**
- यह ग्रंथ अरबी भाषा में लिखा गया है।
- इसमें भारत के धर्म, समाज, विज्ञान और दर्शन का गहन अध्ययन किया गया है।
- उसने संस्कृत ग्रंथों, प्रत्यक्ष निरीक्षण और भारतीय विद्वानों से संवाद के आधार पर जानकारी दी।
- भारतीय विद्या की तुलना यूनानी और इस्लामी ज्ञान परंपराओं से की।
- उसने जाति व्यवस्था की कठोरता और समाज में गतिशीलता की कमी की आलोचना की।
प्रश्न 7. इब्न बतूता ने मुहम्मद बिन तुगलक के प्रशासन के बारे में क्या लिखा?
उत्तर:
- इब्न बतूता दिल्ली सुल्तानate में काज़ी (न्यायाधीश) के पद पर कार्यरत था।
- उसने तुगलक को बुद्धिमान परंतु कठोर और अस्थिर स्वभाव का बताया।
- प्रशासन केन्द्रित था, तथा जासूसी और डाक व्यवस्था बहुत मजबूत थी।
- न्याय कठोर था और दंड अत्यधिक सख्त।
- फिर भी शासन व्यवस्था प्रभावी और संगठित थी।
प्रश्न 8. बर्नियर ने मुगल भूमि व्यवस्था की तुलना यूरोप से कैसे की?
उत्तर:
- बर्नियर ने लिखा कि भारत में भूमि का निजी स्वामित्व नहीं था।
- उसने माना कि सारा भू-स्वामित्व बादशाह का है, जिससे किसान गरीब बने रहते थे।
- यूरोप की तरह यहाँ वंशानुगत ज़मींदारी प्रणाली नहीं थी।
- उसने भारतीय व्यवस्था को अर्थिक दृष्टि से स्थिर और पिछड़ी बताया।
- उसका दृष्टिकोण यूरोपीय दृष्टिकोण (Eurocentric) से प्रभावित था।
प्रश्न 9. इब्न बतूता और बर्नियर ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति के बारे में क्या लिखा?
उत्तर:
- इब्न बतूता ने केरल और मलाबार जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की संपत्ति अधिकार और स्वतंत्रता का उल्लेख किया।
- अल-बिरूनी और बर्नियर ने बताया कि धार्मिक कारणों से महिलाएँ परदे और सती प्रथा में बंधी थीं।
- सभी यात्रियों ने सामाजिक असमानता और पितृसत्तात्मक सोच को चिन्हित किया।
- फिर भी कुछ क्षेत्रों में महिलाएँ व्यापार और सांस्कृतिक जीवन में सक्रिय थीं।
प्रश्न 10. विदेशी यात्रियों के वृत्तांत इतिहासकारों के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
- ये भारत के समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था की बाहरी दृष्टि से झलक देते हैं।
- इनसे हमें जनजीवन, प्रशासन, व्यापार और रीति-रिवाजों की जानकारी मिलती है।
- ये बताते हैं कि भारत का अन्य देशों से व्यापार और सांस्कृतिक संबंध था।
- यात्रियों के वृत्तांतों में उनकी पृष्ठभूमि और पूर्वाग्रह को ध्यान में रखना चाहिए।
- ये पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्यों को पूरक बनाते हैं।
खंड – C (दीर्घ उत्तर वाले प्रश्न)
(प्रत्येक 5 अंक × 2 = 10 अंक)
प्रश्न 11. अल-बिरूनी, इब्न बतूता और फ्रांस्वा बर्नियर की भारत पर दृष्टि की तुलना कीजिए।
| पहलू | अल-बिरूनी | इब्न बतूता | फ्रांस्वा बर्नियर |
|---|---|---|---|
| काल | 11वीं शताब्दी | 14वीं शताब्दी | 17वीं शताब्दी |
| मूल देश | मध्य एशिया | मोरक्को | फ्रांस |
| मुख्य विषय | धर्म, दर्शन, समाज | प्रशासन, यात्रा, जीवनशैली | अर्थव्यवस्था, राजनीति |
| दृष्टिकोण | वैज्ञानिक व वस्तुनिष्ठ | वर्णनात्मक व उत्साही | आलोचनात्मक व यूरोपीय |
| भारत पर मत | भारतीय ज्ञान की प्रशंसा, पर जाति व्यवस्था की आलोचना | भारत की विविधता व समृद्धि से प्रभावित | भारत को स्थिर और पिछड़ा बताया |
निष्कर्ष:
अल-बिरूनी का दृष्टिकोण वैज्ञानिक, इब्न बतूता का व्यावहारिक, और बर्नियर का आलोचनात्मक था। तीनों मिलकर मध्यकालीन भारत की बहुआयामी तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न 12. यात्रियों के अनुसार भारतीय समाज में जाति, दासता और श्रमिक वर्ग की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- जाति व्यवस्था:
- सभी यात्रियों ने भारत की कठोर जाति प्रणाली का उल्लेख किया।
- अल-बिरूनी ने चार वर्णों की चर्चा की और कहा कि इसमें गतिशीलता नहीं है।
- बर्नियर ने इसे भारत की सामाजिक प्रगति में बाधक बताया।
- दासता (Slavery):
- इब्न बतूता ने दास बाज़ारों का उल्लेख किया।
- दासों का उपयोग सेवक, सैनिक और घरेलू कार्यों में होता था।
- स्त्री दासियाँ दरबार और घरों में सेवा करती थीं।
- श्रमिक वर्ग:
- बर्नियर ने लिखा कि किसान भारी कर से पीड़ित और निर्धन थे।
- भारत के कारीगर अत्यंत कुशल थे — वस्त्र, धातु और आभूषण निर्माण में।
- उनके कौशल ने भारत को विश्व व्यापार में प्रसिद्ध किया।
- निष्कर्ष:
- इन यात्रियों के वर्णन भारत के सामाजिक असमानता और विविधता दोनों को उजागर करते हैं।
- इनसे हमें भारत के सामाजिक-आर्थिक जीवन की सजीव तस्वीर मिलती है।
✅ अंक विभाजन सारणी
| खंड | प्रश्न प्रकार | प्रश्न संख्या | प्रति प्रश्न अंक | कुल अंक |
|---|---|---|---|---|
| A | बहुत लघु उत्तर | 5 | 1 | 5 |
| B | लघु उत्तर | 5 | 3 | 15 |
| C | दीर्घ उत्तर | 2 | 5 | 10 |
| कुल | 30 अंक |
✳️ परीक्षा सुझाव
- यात्रियों और उनकी पुस्तकों के नाम सही लिखें।
- उत्तर बिंदुवार और शीर्षकों सहित लिखें।
- तुलना वाले प्रश्नों में तालिका प्रारूप उपयोग करें।
- तिथियाँ सीमित रखें, विचार और विश्लेषण पर ध्यान दें।
- उत्तरों में यात्रियों के दृष्टिकोण को भारतीय संदर्भ से जोड़ें।
