🏛️ राजनीतिक विज्ञान — कक्षा 11 (पाठ्यक्रम A)
नमूना प्रश्न पत्र (2025)
अध्याय – 10 : संविधान का दर्शन
पूर्णांक: 40
समय: 1 घंटा 30 मिनट
(बिना कॉपीराइट सामग्री)
📝 सामान्य निर्देश :
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न के अंक प्रश्न के साथ दिए गए हैं।
- उत्तर अपने शब्दों में लिखें।
- आवश्यकतानुसार उदाहरण दें।
खंड – A : अत्यंत लघु उत्तर प्रकार प्रश्न (प्रत्येक 1 अंक)
(प्रत्येक उत्तर लगभग 20–30 शब्दों में दें)
- संविधान के दर्शन से क्या अभिप्राय है?
- संविधान का कौन-सा भाग उसके दर्शन को सबसे स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है?
- प्रस्तावना में उल्लिखित एक महत्वपूर्ण मूल्य का नाम बताइए।
- भारतीय संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता का क्या अर्थ है?
- अनुच्छेद 17 का क्या महत्व है?
- भारत के संघीय ढाँचे की दो विशेषताएँ लिखिए।
- ‘राष्ट्रीय पहचान’ से क्या तात्पर्य है?
- भारतीय संविधान की एक सीमा लिखिए।
उत्तर (प्रत्येक 1 अंक)
- संविधान का दर्शन उन मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों को दर्शाता है जिन पर शासन और समाज आधारित हैं।
- संविधान की प्रस्तावना (Preamble) उसके दर्शन को सर्वाधिक स्पष्ट रूप से प्रकट करती है।
- एक महत्वपूर्ण मूल्य है न्याय — सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक।
- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य की कोई धर्म-विशेष निष्ठा नहीं होगी और सभी धर्मों को समान सम्मान मिलेगा।
- अनुच्छेद 17 अछूत प्रथा (Untouchability) को समाप्त करता है और उसके किसी भी रूप में पालन को प्रतिबंधित करता है।
- (i) केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन, (ii) द्विसदनीय विधानमंडल।
- राष्ट्रीय पहचान का अर्थ है संविधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक आदर्शों पर आधारित नागरिकों की एकता की भावना।
- संविधान की एक सीमा यह है कि सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ अब भी बनी हुई हैं।
खंड – B : लघु उत्तर प्रकार प्रश्न (प्रत्येक 2 अंक)
(उत्तर लगभग 60–80 शब्दों में दें)
- संविधान लोकतांत्रिक परिवर्तन का माध्यम कैसे है?
- विविधता और अल्पसंख्यक अधिकारों के सम्मान से आप क्या समझते हैं?
- राज्य के नीति निदेशक तत्व संविधान के दर्शन को कैसे दर्शाते हैं?
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता के दो प्रमुख चुनौतियाँ बताइए।
- संविधान राष्ट्रीय एकता और अखंडता को कैसे बढ़ावा देता है?
उत्तर (प्रत्येक 2 अंक)
- संविधान भारत को औपनिवेशिक शासन से लोकतंत्र में परिवर्तित करने का साधन बना। इसने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, सामाजिक न्याय और समानता को सुनिश्चित कर समाज को लोकतांत्रिक बनाया।
- विविधता और अल्पसंख्यक अधिकारों का सम्मान का अर्थ है प्रत्येक समूह की भाषा, संस्कृति और धर्म की रक्षा करना। अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान चलाने और संस्कृति सुरक्षित रखने का अधिकार देते हैं।
- नीति निदेशक तत्व (Directive Principles) राज्य को कल्याणकारी नीतियों की ओर मार्गदर्शन देते हैं। ये संविधान के सामाजिक न्याय, समानता और आर्थिक समानता के आदर्शों को प्रकट करते हैं।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता की दो चुनौतियाँ हैं –
(i) सांप्रदायिक तनाव और हिंसा,
(ii) धर्म का राजनीतिक दुरुपयोग। - संविधान समान अधिकार, समान नागरिकता और सभी धर्मों के प्रति सम्मान द्वारा राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करता है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के माध्यम से सभी को जोड़ता है।
खंड – C : संक्षिप्त निबंधात्मक प्रश्न (प्रत्येक 4 अंक)
(उत्तर लगभग 100–150 शब्दों में दें)
- भारतीय संविधान का राजनीतिक दर्शन समझाइए।
- भारत के लोकतंत्र में संघवाद का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- “भारतीय संविधान समाज को रूपांतरित करने का माध्यम है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर (प्रत्येक 4 अंक)
- भारतीय संविधान का राजनीतिक दर्शन उदारवाद, समाजवाद और भारतीय परंपरा का मिश्रण है। यह लोकतंत्र, समानता, न्याय और बंधुता को बढ़ावा देता है। संविधान की प्रस्तावना में ये सभी आदर्श व्यक्त हैं। उदाहरण के लिए, धर्मनिरपेक्षता सभी धर्मों की समानता का प्रतीक है, और समाजवाद आर्थिक न्याय का। यही दर्शन संविधान को आधुनिक और भारतीय दोनों बनाता है।
- संघवाद शक्ति-साझेदारी की व्यवस्था है जिससे केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन बना रहता है। यह क्षेत्रीय विविधताओं को मान्यता देते हुए एकता को बनाए रखता है। तीन सूचियाँ — संघ, राज्य और समवर्ती — शक्तियों का विभाजन करती हैं। सहयोगी संघवाद (Cooperative Federalism) राज्यों और केंद्र को एक साथ कार्य करने की प्रेरणा देता है।
- संविधान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूपांतरण का साधन है। इसने अछूत प्रथा को समाप्त किया (अनु.17), भेदभाव पर रोक लगाई (अनु.15), और नीति निदेशक तत्वों द्वारा समानता और कल्याण की दिशा दी। इस प्रकार संविधान भारत को लोकतांत्रिक और समानता आधारित समाज बनाने का उपकरण बना।
खंड – D : दीर्घ उत्तर प्रकार प्रश्न (प्रत्येक 6 अंक)
(उत्तर लगभग 200–250 शब्दों में दें)
- भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- “भारतीय संविधान विविधता और एकता दोनों की रक्षा करता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर (प्रत्येक 6 अंक)
17. भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता
- अर्थ:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य की कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा और सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान मिलेगा। - संविधानिक प्रावधान:
- प्रस्तावना में भारत को “धर्मनिरपेक्ष गणराज्य” कहा गया है।
- अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है।
- राज्य किसी धर्म का पक्ष या विरोध नहीं करेगा।
- धार्मिक संस्थाएँ अपने मामलों का संचालन कर सकती हैं, परंतु संविधान की सीमा में।
- भारतीय और पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता में अंतर:
पश्चिमी मॉडल में राज्य और धर्म पूर्णतः अलग हैं, जबकि भारतीय मॉडल में राज्य सभी धर्मों को समान सम्मान देता है और आवश्यकता पड़ने पर सुधार भी करता है। - महत्व:
- बहुधर्मी समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखता है।
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करता है।
- धर्म के राजनीतिक दुरुपयोग को रोकता है।
निष्कर्ष:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता संविधानिक नैतिकता और समानता पर आधारित है, जो विविध समाज को एक सूत्र में बांधती है।
18. विविधता और एकता दोनों की रक्षा
- परिचय:
भारत विविधता का देश है — धर्म, भाषा, संस्कृति, जाति और क्षेत्रीय भिन्नताएँ इसकी विशेषता हैं। संविधान इस विविधता को सम्मान देकर एकता को मजबूत करता है। - विविधता की रक्षा:
- अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक और शैक्षणिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं।
- राज्यों का गठन भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर हुआ है।
- सभी को धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है।
- एकता का संवर्धन:
- समान नागरिकता और विधि का शासन (Rule of Law) सभी को समान बनाता है।
- संघीय व्यवस्था केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग सुनिश्चित करती है।
- प्रस्तावना और मौलिक कर्तव्य राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हैं।
- संतुलन:
संविधान विविधता को संरक्षित करते हुए समानता और राष्ट्रीय पहचान को बनाए रखता है।
निष्कर्ष:
भारतीय संविधान विविधता को शक्ति और एकता को उद्देश्य मानता है। यह बहुलता में एकता का सर्वोत्तम उदाहरण है।
खंड – E : मूल्याधारित / विश्लेषणात्मक प्रश्न (4 अंक)
- “भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि एक नैतिक दिशा–सूचक भी है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर (4 अंक)
संविधान केवल शासन की रूपरेखा नहीं देता, बल्कि यह भारत के नैतिक आदर्शों का प्रतीक है। कानूनी दृष्टि से यह संस्थाओं की शक्तियाँ और अधिकार निर्धारित करता है, जबकि नैतिक दृष्टि से यह समानता, न्याय और स्वतंत्रता जैसे आदर्शों को दिशा देता है। प्रस्तावना और मौलिक अधिकार नागरिक गरिमा की रक्षा करते हैं, तथा नीति निदेशक तत्व शासन को लोक-कल्याण की दिशा में ले जाते हैं। इसलिए संविधान भारत के लिए एक नैतिक कम्पास (Moral Compass) का कार्य करता है।
✅ अंक विभाजन सारणी
| खंड | प्रश्न प्रकार | प्रति प्रश्न अंक | कुल अंक |
|---|---|---|---|
| A | अत्यंत लघु उत्तर (1×8) | 1 | 8 |
| B | लघु उत्तर (2×5) | 2 | 10 |
| C | संक्षिप्त निबंध (4×3) | 4 | 12 |
| D | दीर्घ उत्तर (6×2) | 6 | 12 |
| E | मूल्याधारित प्रश्न (4×1) | 4 | 4 |
| कुल | — | — | 40 अंक |
