CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान – सैंपल प्रश्न पत्र
अध्याय 6: न्यायपालिका (Judiciary)
अधिकतम अंक: 80
समय: 3 घंटे
सामान्य निर्देश:
- सभी प्रश्नों के उत्तर दें।
- उत्तरों में उदाहरण देने का प्रयास करें।
- प्रत्येक प्रश्न के अंक दिए गए हैं।
भाग A: अति लघु उत्तर प्रश्न
(प्रत्येक 1 अंक, 8 × 1 = 8 अंक)
- ‘न्यायपालिका’ शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
- भारत का सर्वोच्च न्यायालय कौन सा है?
- नागरिक सीधे सुप्रीम कोर्ट में मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए किस अनुच्छेद के तहत जा सकते हैं?
- सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?
- न्यायिक स्वतंत्रता की एक विशेषता लिखिए।
- सुप्रीम कोर्ट का कोई एक प्रकार का अधिकार बताइए।
- राष्ट्रपति किस अनुच्छेद के तहत सुप्रीम कोर्ट से सलाह ले सकते हैं?
- स्वतंत्र न्यायपालिका क्यों आवश्यक है?
उत्तर – भाग A
- न्याय करना या निर्णय लेना।
- भारत का सर्वोच्च न्यायालय।
- अनुच्छेद 32।
- भारत के राष्ट्रपति (कोलेजियम की सिफारिश पर)।
- कार्यकाल की सुरक्षा / आर्थिक स्वतंत्रता / प्रशासनिक स्वतंत्रता।
- मूल अधिकार, अपीलीय अधिकार, सलाहकार अधिकार, रिट अधिकार।
- अनुच्छेद 143।
- संविधान की रक्षा / मौलिक अधिकारों की सुरक्षा / कानून के शासन को बनाए रखना।
भाग B: लघु उत्तर प्रश्न
(प्रत्येक 3–4 अंक, 6 × 3 = 18 अंक)
- स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता के दो कारण लिखिए।
- सुप्रीम कोर्ट के तीन अधिकार या कार्य लिखिए।
- न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) क्या है? एक उदाहरण दें।
- सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया बताइए।
- भारत में न्यायालयों के तीन स्तर लिखिए।
- न्यायपालिका नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा कैसे करती है? दो तरीके बताइए।
उत्तर – भाग B
- स्वतंत्र न्यायपालिका के कारण:
- संविधान की रक्षा करती है।
- निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करती है और मनमानी शासन से बचाती है।
- सुप्रीम कोर्ट के अधिकार/कार्य:
- राज्यों और केंद्र के बीच विवादों में मूल अधिकार।
- उच्च न्यायालय के निर्णयों पर अपीलीय अधिकार।
- संविधान संबंधी प्रश्नों पर सलाहकार अधिकार।
- कानूनों की न्यायिक समीक्षा।
- न्यायिक समीक्षा वह शक्ति है जिसमें न्यायपालिका संवैधानिक उल्लंघन वाले कानून या सरकारी कार्य को रद्द कर सकती है।
- उदाहरण: असंवैधानिक संशोधन या कानून को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करना।
- सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश हटाने की प्रक्रिया:
- लोकसभा के 100 या राज्यसभा के 50 सांसदों द्वारा प्रस्ताव।
- समिति द्वारा जांच।
- दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत।
- राष्ट्रपति द्वारा हटाना।
- भारत में न्यायालयों के तीन स्तर:
- सर्वोच्च न्यायालय (अग्रिम स्तर)
- उच्च न्यायालय (राज्य स्तर)
- अधीनस्थ न्यायालय (जिला और निचली अदालतें)
- न्यायपालिका अधिकारों की सुरक्षा करती है:
- अनुच्छेद 32 और 226 के तहत मौलिक अधिकार लागू करना।
- जनहित याचिका (PIL) द्वारा सामाजिक मुद्दे उठाना।
- न्यायिक सक्रियता के माध्यम से सामाजिक और पर्यावरणीय अधिकारों की रक्षा।
भाग C: दीर्घ उत्तर प्रश्न
(प्रत्येक 5 अंक, 6 × 5 = 30 अंक)
- सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया समझाइए।
- भारत की न्यायपालिका की संरचना का वर्णन कीजिए।
- सलाहकार अधिकार (Advisory Jurisdiction) क्या है और इसे कैसे प्रयोग किया जाता है?
- न्यायपालिका अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के तीन तरीके बताइए।
- न्यायपालिका और संसद के बीच संबंध समझाइए।
- न्यायपालिका भारत में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा कैसे करती है?
उत्तर – भाग C
- न्यायाधीशों की नियुक्ति:
- सुप्रीम कोर्ट: राष्ट्रपति द्वारा कोलेजियम की सिफारिश पर, योग्यता – 5 साल उच्च न्यायालय न्यायाधीश या 10 साल वकील, या विशिष्ट न्यायविद।
- उच्च न्यायालय: राष्ट्रपति द्वारा CJI और राज्यपाल से परामर्श, योग्यता – 10 साल उच्च न्यायालय न्यायाधीश या वकील।
- निचली अदालतें: राज्य सरकार / लोक सेवा आयोग द्वारा चयन, योग्यता और अनुभव के आधार पर।
- न्यायपालिका की संरचना:
- सुप्रीम कोर्ट: शीर्ष अदालत, मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में, मूल, अपीलीय, सलाहकार और रिट अधिकार।
- उच्च न्यायालय: राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में, मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में, मूल और अपीलीय अधिकार।
- अधीनस्थ न्यायालय: जिला और निचली अदालतें, सिविल और फौजदारी मामले, उच्च न्यायालय के अधीन।
- सलाहकार अधिकार:
- अनुच्छेद 143: राष्ट्रपति कानूनी/संवैधानिक प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांग सकते हैं।
- राय बाध्यकारी नहीं, केवल सलाह।
- कानून और नीति में स्पष्टता सुनिश्चित करना।
- उदाहरण: संविधान की व्याख्या पर राष्ट्रपति संदर्भ।
- न्यायपालिका स्वतंत्रता बनाए रखने के तरीके:
- कार्यकाल की सुरक्षा।
- वित्तीय स्वतंत्रता (संपूर्ण निधि से वेतन)।
- प्रशासनिक स्वतंत्रता (न्यायिक प्रक्रिया पर नियंत्रण)।
- निर्णय लेने की स्वतंत्रता (राजनीतिक दबाव से मुक्त)।
- न्यायपालिका-संसद संबंध:
- संसद कानून बनाती है; न्यायपालिका सुनिश्चित करती है कि वह संविधान के अनुरूप हो।
- न्यायिक समीक्षा: संविधान का उल्लंघन करने वाले कानून रद्द कर सकती है।
- सलाहकार अधिकार: राष्ट्रपति को कानूनी मार्गदर्शन देना।
- संसद संविधान संशोधन कर सकती है, पर न्यायपालिका मूल संरचना की रक्षा करती है।
- नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा:
- अनुच्छेद 32 (सुप्रीम कोर्ट) और 226 (उच्च न्यायालय) के तहत मौलिक अधिकार लागू।
- न्यायिक समीक्षा सुनिश्चित करती है कि कानून संविधान के अनुरूप हों।
- जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से नागरिक सामाजिक मुद्दे उठा सकते हैं।
- न्यायिक सक्रियता सामाजिक, पर्यावरणीय और मानवाधिकारों की रक्षा करती है।
भाग D: केस-आधारित / अनुप्रयोग प्रश्न
(उत्तर दें 1 × 8 = 8 अंक)
केस स्टडी:
एक राज्य ने मीडिया स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पास किया। नागरिक इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए चुनौती देते हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचता है।
- सुप्रीम कोर्ट कौन सा अधिकार प्रयोग करेगी?
- न्यायपालिका इस मामले में क्यों हस्तक्षेप कर सकती है?
- संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं?
उत्तर – भाग D
- अधिकार: मौलिक अधिकारों की सुरक्षा / रिट अधिकार।
- कारण: न्यायपालिका संविधान के तहत नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती है; कानून मौलिक अधिकार (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का उल्लंघन कर सकता है।
- संभावित परिणाम: सुप्रीम कोर्ट कानून को रद्द या संशोधित कर सकती है, जिससे नागरिकों के अधिकार सुरक्षित रहें।
अंक वितरण सारांश:
- भाग A: 8 × 1 = 8 अंक
- भाग B: 6 × 3 = 18 अंक
- भाग C: 6 × 5 = 30 अंक
- भाग D: 1 × 8 = 8 अंक
- कुल = 80 अंक
