political science CBSE class 11 course A Chapter 2 (भाग 2)


1. राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (Directive Principles of State Policy – DPSP)

  • भारतीय संविधान का भाग IV (Articles 36-51) राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के लिए समर्पित है।
  • इन सिद्धांतों का उद्देश्य राज्य के लिए नीति निर्धारण में मार्गदर्शन देना है।
  • DPSP कानूनी बाध्यकारी नहीं हैं, परंतु राज्य इनके पालन के लिए प्रयास करता है।
  • इनका मुख्य उद्देश्य समाज में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करना है।
  • ये अधिकारों और स्वतंत्रताओं के लिए सहायक और पूरक भूमिका निभाते हैं।
  • DPSP लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के आदर्शों को साकार करने के लिए राज्य को दिशा निर्देश देते हैं।
  • संविधान सभा में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इन्हें “भारतीय समाज के लिए नैतिक और नीति-निर्देशक नियम” बताया।

2. DPSP के उद्देश्य (Objectives of DPSP)

  • समानता सुनिश्चित करना: आर्थिक और सामाजिक असमानताओं को कम करना।
  • सामाजिक न्याय: कमजोर वर्गों को समाज में समान अवसर प्रदान करना।
  • आर्थिक नीति निर्धारण: संसाधनों का न्यायसंगत वितरण।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा: नागरिकों के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं सुनिश्चित करना।
  • स्वराज और स्वावलंबन: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विकास के लिए योजना बनाना।
  • संविधान के आदर्शों को साकार करना: मौलिक अधिकारों के साथ संतुलन बनाना।

3. DPSP में शामिल प्रमुख प्रावधान (What do the Directive Principles contain?)

  1. सामाजिक और आर्थिक न्याय (Articles 38-39)
    • समाज में न्याय सुनिश्चित करना।
    • बच्चों, महिलाओं और कमजोर वर्गों की सुरक्षा।
    • समान अवसर और न्यूनतम जीवन स्तर प्रदान करना।
    • संसाधनों का न्यायसंगत वितरण।
  2. स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण (Articles 41-45)
    • शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता।
    • वृद्धावस्था, बेरोजगारी और दुर्बलता में सहायता।
    • प्राथमिक शिक्षा का अनिवार्य बनाना।
    • बाल श्रम निषेध और बाल कल्याण।
  3. आर्थिक नीति (Articles 39, 43-43A)
    • उत्पादन और वितरण में न्याय सुनिश्चित करना।
    • उद्योग और व्यापार के नियमन से गरीबों की रक्षा।
    • किसान और श्रमिक कल्याण के लिए विशेष उपाय।
    • सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करना।
  4. राजनीतिक और प्रशासनिक सुधार (Articles 44-48)
    • राज्य में न्यायसंगत, समान और स्वदेशी नीति।
    • गोमांस व अन्य धार्मिक संवेदनशील मामलों में सांस्कृतिक संतुलन।
    • स्वास्थ्य और पोषण पर विशेष ध्यान।
  5. पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन (Article 48A)
    • पर्यावरण, वन और पशु जीवन की सुरक्षा।
    • प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी उपयोग और संरक्षण।
  6. अंतर्राष्ट्रीय संबंध और शांति (Article 51)
    • विश्व शांति के लिए राज्य की नीति।
    • अंतर्राष्ट्रीय कानून और अनुबंधों का पालन।

4. DPSP के प्रकार (Types of Directive Principles)

  1. सामाजिक और आर्थिक DPSP
    • गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार।
    • कमजोर वर्गों के कल्याण हेतु विशेष योजनाएं।
  2. राजनीतिक DPSP
    • लोकतंत्र के आदर्श और शासन सुधार।
    • पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता।
  3. सांस्कृतिक और नैतिक DPSP
    • भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों का संरक्षण।
    • धार्मिक सहिष्णुता और सामजिक समरसता।
  4. आर्थिक DPSP
    • औद्योगिक और कृषि नीतियों में न्याय।
    • सहकारी समितियों और रोजगार के अवसर।
  5. पर्यावरण DPSP
    • प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण का संरक्षण।
    • सतत विकास और प्रदूषण नियंत्रण।

5. मौलिक अधिकार और DPSP के बीच संबंध (Relationship between Fundamental Rights and Directive Principles)

  • मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकार सुनिश्चित करते हैं।
  • DPSP सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देते हैं।
  • दोनों के उद्देश्य अलग हैं लेकिन पूरक और संतुलित हैं।
  • कभी-कभी मौलिक अधिकार और DPSP में टकराव (Conflict) उत्पन्न हो सकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि DPSP और मौलिक अधिकार समानांतर और सहायक हैं।
  • Article 37: DPSP “गैर-बाध्यकारी” हैं पर राज्य को इन्हें लागू करना चाहिए।
  • उदाहरण: शिक्षा का अधिकार (Article 21A) मौलिक अधिकार है, जबकि समान शिक्षा के लिए DPSP मार्गदर्शक है।
  • आर्थिक सुधार और सामाजिक कल्याण नीति में DPSP का योगदान मौलिक अधिकारों के प्रयोग को सशक्त बनाता है।

6. DPSP और राज्य की नीति (Impact on State Policy)

  • राज्य की योजनाएं DPSP के आधार पर बनाई जाती हैं।
  • ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और श्रमिक कल्याण पर ध्यान।
  • गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए मार्गदर्शन।
  • पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों और शांतिपूर्ण नीति का पालन।

7. निष्कर्ष (Conclusion)

  • DPSP भारतीय संविधान के सामाजिक और आर्थिक न्याय के आदर्श हैं।
  • ये राज्य के नीति निर्माण और नागरिक कल्याण में मार्गदर्शन देते हैं।
  • मौलिक अधिकारों और DPSP का संतुलन भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का आधार है।
  • राज्य को DPSP को लागू करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।
  • DPSP नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने, समाज में समानता लाने और लोकतंत्र को सशक्त बनाने का माध्यम हैं।
  • ये भारत को सशक्त, न्यायपूर्ण और समावेशी राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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