political science CBSE class 11 अध्याय – 1 संविधान : क्यों और कैसे(भाग 1)


📘 राजनीति विज्ञान कक्षा 11 नोट्स

🏛️ अध्याय – संविधान : क्यों और कैसे (Constitution: Why and How)


✳️ 1. हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है?

🔹 संविधान का अर्थ

  1. संविधान किसी देश का मौलिक कानून (Fundamental Law) होता है।
  2. यह सरकार की संरचना, अधिकार, सीमाएँ और नागरिकों के अधिकारों को निर्धारित करता है।
  3. संविधान यह बताता है कि राज्य किस प्रकार चलेगा और निर्णय कैसे लिए जाएंगे।
  4. यह देश का सर्वोच्च कानून (Supreme Law) होता है — कोई भी व्यक्ति या संस्था इससे ऊपर नहीं।
  5. यह राजनीतिक व्यवस्था की नींव है जो देश को एकजुट और स्थिर बनाती है।

🔹 संविधान की आवश्यकता

  1. देश की शासन प्रणाली निर्धारित करता है — यह तय करता है कि देश लोकतांत्रिक होगा या एकात्मक।
  2. शासन की शक्तियों पर नियंत्रण रखता है, ताकि कोई भी संस्था निरंकुश न बन जाए।
  3. नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, जैसे समानता, स्वतंत्रता और न्याय।
  4. कानून का शासन (Rule of Law) सुनिश्चित करता है — सभी कानून के अधीन हैं।
  5. राजनीतिक स्थिरता प्रदान करता है, जिससे देश सुचारू रूप से चलता रहे।
  6. निर्णय लेने की प्रक्रिया तय करता है, ताकि हर कार्य एक निश्चित प्रक्रिया के तहत हो।
  7. लोकतांत्रिक मूल्य सुदृढ़ करता है, जैसे जनसहभागिता, जवाबदेही, और पारदर्शिता।

⚖️ 2. निर्णय लेने की शक्तियों का निर्धारण (Specification of Decision-Making Powers)

  1. संविधान स्पष्ट रूप से बताता है कि कौन-सी संस्था किस प्रकार के निर्णय ले सकती है
  2. इसमें शक्तियों का विभाजन (Separation of Powers) तीन संस्थाओं में किया गया है –
    • विधायिका (Legislature): कानून बनाती है।
    • कार्यपालिका (Executive): कानूनों को लागू करती है।
    • न्यायपालिका (Judiciary): कानूनों की व्याख्या करती है।
  3. केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों का बँटवारा (Federal Division) भी संविधान में निर्धारित है।
  4. संविधान यह तय करता है कि संविधान में संशोधन (Amendment) कौन करेगा और कैसे होगा।
  5. यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि शक्ति का दुरुपयोग न हो और ‘नियंत्रण एवं संतुलन’ (Checks and Balances) बना रहे।
  6. कोई भी संस्था — न विधायिका, न कार्यपालिका, न न्यायपालिका — पूर्ण रूप से सर्वोच्च नहीं है।

🧭 3. संविधान की सर्वोच्चता और प्राधिकार (The Authority of a Constitution)

  1. संविधान का प्राधिकार इस बात में निहित है कि यह जनता द्वारा बनाया गया, जनता के लिए कानून है।
  2. “हम भारत के लोग” (We, the People of India) शब्द यह स्पष्ट करते हैं कि संविधान की शक्ति जनता से आती है।
  3. संविधान की सर्वोच्चता का अर्थ है कि –
    • कोई भी कानून या आदेश संविधान के विपरीत नहीं हो सकता।
    • यदि कोई कानून संविधान के विरुद्ध है तो न्यायपालिका उसे रद्द कर सकती है।
  4. संविधान से ही सरकार की वैधता (Legitimacy) प्राप्त होती है।
  5. यह शासन के तीनों अंगों की शक्ति और सीमाएँ तय करता है
  6. न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) के माध्यम से अदालतें यह सुनिश्चित करती हैं कि संविधान का पालन हो।
  7. इस प्रकार संविधान की सर्वोच्चता, लोकतंत्र और विधि के शासन की गारंटी है।

🇮🇳 4. भारतीय संविधान कैसे बना? (How Was the Indian Constitution Made?)

  1. भारतीय संविधान स्वतंत्रता संग्राम की उपज था।
  2. नेताओं ने लंबे समय से यह माँग की थी कि भारत का अपना संविधान हो।
  3. 1946 के कैबिनेट मिशन योजना (Cabinet Mission Plan) के तहत एक संविधान सभा (Constituent Assembly) गठित की गई।
  4. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई।
  5. डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष बने।
  6. डॉ. भीमराव अम्बेडकर मसौदा समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष थे।
  7. सभा ने 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन में संविधान तैयार किया।
  8. संविधान 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत (Adopt) हुआ और 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ।
  9. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस (Republic Day) के रूप में मनाया जाता है।
  10. यह संविधान भारत के लोगों द्वारा, भारत के लिए बनाया गया — किसी बाहरी शक्ति द्वारा नहीं।

📜 5. संविधान की घोषणा की प्रक्रिया (Mode of Promulgation)

  1. ‘Promulgation’ का अर्थ है — संविधान को औपचारिक रूप से लागू करना।
  2. भारत का संविधान किसी राजा या विदेशी शासन द्वारा नहीं, बल्कि भारतीय जनता के प्रतिनिधियों द्वारा बनाया गया।
  3. संविधान की प्रस्तावना “हम भारत के लोग” से आरंभ होती है — जो जनसत्ता (Popular Sovereignty) का प्रतीक है।
  4. संविधान को संविधान सभा ने अपनाया और जनता की स्वीकृति के साथ लागू किया।
  5. 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणराज्य (Republic) बना — अब कोई सम्राट नहीं, बल्कि जनता सर्वोच्च।

⚙️ 6. संविधान की वास्तविक व्यवस्थाएँ (The Substantive Provisions of the Constitution)

  1. प्रस्तावना (Preamble):
    • भारत को संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है।
    • न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता के आदर्श स्थापित करती है।
  2. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights):
    • समानता, स्वतंत्रता, जीवन, अभिव्यक्ति, धर्म की स्वतंत्रता जैसे अधिकारों की गारंटी।
  3. राज्य के नीति निर्देशक तत्व (Directive Principles):
    • सरकार को सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में नीतियाँ बनाने का मार्गदर्शन।
  4. मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties):
    • नागरिकों के लिए राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियाँ।
  5. संघीय ढांचा (Federal Structure):
    • केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन।
    • संघ सूची, राज्य सूची, और समवर्ती सूची
  6. स्वतंत्र न्यायपालिका (Independent Judiciary):
    • संविधान की रक्षा और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा।
  7. आपातकालीन प्रावधान (Emergency Provisions):
    • राष्ट्रीय, राज्य या वित्तीय संकट में विशेष शक्तियाँ।
  8. संशोधन प्रक्रिया (Amendment Procedure):
    • संविधान को समय की आवश्यकता अनुसार बदलने की व्यवस्था।
  9. वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise):
    • 18 वर्ष से ऊपर हर नागरिक को मतदान का अधिकार।
  10. धर्मनिरपेक्षता (Secularism):
    • राज्य सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार करता है।

⚖️ 7. संस्थागत संतुलन और डिजाइन (Balanced Institutional Design)

  1. संविधान ने शासन की तीनों शाखाओं — विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका — के बीच संतुलन बनाया।
  2. यह व्यवस्था “नियंत्रण और संतुलन (Checks and Balances)” पर आधारित है।
  3. विधायिका: कानून बनाती है और कार्यपालिका को जवाबदेह रखती है।
  4. कार्यपालिका: कानूनों को लागू करती है, पर संसद के प्रति उत्तरदायी रहती है।
  5. न्यायपालिका: संविधान की रक्षा करती है और विवादों को सुलझाती है।
  6. केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का संतुलन — संघीय ढांचे के तहत।
  7. संविधान न बहुत कठोर है, न बहुत लचीला — कुछ प्रावधान साधारण बहुमत से, तो कुछ विशेष बहुमत से संशोधित किए जा सकते हैं।
  8. न्यायिक पुनर्विलोकन और लोकहित याचिका (PIL) जैसे प्रावधान नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

🧩 8. संविधान सभा की संरचना (Composition of the Constituent Assembly)

  1. संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना 1946 के तहत हुआ।
  2. कुल सदस्य – 389 (292 प्रांतीय क्षेत्र, 93 रियासतें, 4 मुख्य आयुक्त प्रदेश)।
  3. विभाजन के बाद सदस्य घटकर 299 रह गए।
  4. सदस्य परोक्ष रूप से निर्वाचित हुए — प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा।
  5. सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व दिया गया – हिंदू, मुस्लिम, सिख, अनुसूचित जाति, जनजाति, महिलाएँ आदि।
  6. अध्यक्ष: डॉ. राजेंद्र प्रसाद
    मसौदा समिति अध्यक्ष: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
    उपाध्यक्ष: हंसराज मुकर्जी
  7. महिला सदस्य: दुर्गाबाई देशमुख, हंसा मेहता, सरोजिनी नायडू आदि।
  8. महत्वपूर्ण समितियाँ –
    • संघ शक्ति समिति (जवाहरलाल नेहरू)
    • मौलिक अधिकार समिति (जे. बी. कृपलानी)
    • मसौदा समिति (डॉ. अम्बेडकर)
  9. कुल 11 सत्रों में संविधान निर्माण हुआ।
  10. सभी चर्चाएँ सार्वजनिक और पारदर्शी थीं।
  11. निर्णय अधिकतर सर्वसम्मति (Consensus) से लिए गए।
  12. अंतिम मसौदा 26 नवम्बर 1949 को स्वीकार किया गया।

💬 9. विचार-विमर्श का सिद्धांत (The Principle of Deliberation)

  1. संविधान सभा में प्रत्येक विषय पर विस्तृत चर्चा (Deliberation) की गई।
  2. सभी सदस्य अपने विचार खुलकर प्रस्तुत कर सकते थे।
  3. विविधता का सम्मान: सभा में विभिन्न धर्मों, वर्गों, जातियों, और क्षेत्रों के लोग शामिल थे।
  4. निर्णय बहुमत से नहीं बल्कि सहमति से लिए जाते थे।
  5. अन्य देशों के संविधान (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आयरलैंड) का अध्ययन कर सर्वश्रेष्ठ सिद्धांत अपनाए गए।
  6. लोकतांत्रिक भावना और सहमति निर्माण (Consensus Building) पर ज़ोर दिया गया।
  7. जनता और प्रेस को चर्चाओं की जानकारी दी जाती थी — पारदर्शिता बनी रही।
  8. परिणामस्वरूप संविधान ऐसा बना जो भारत की विविधता में एकता को दर्शाता है।

🇮🇳 10. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ (Key Features of Indian Constitution)

  1. विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान।
  2. कठोरता और लचीलापन दोनों का मिश्रण।
  3. संघीय ढांचा लेकिन मजबूत केंद्र।
  4. संसदीय शासन प्रणाली (Parliamentary System).
  5. धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य।
  6. 18 वर्ष से ऊपर सभी नागरिकों को मताधिकार।
  7. स्वतंत्र न्यायपालिका।
  8. मौलिक अधिकार और कर्तव्य।
  9. राज्य के नीति निर्देशक तत्व।
  10. एक नागरिकता (Single Citizenship).
  11. आपातकालीन प्रावधान।
  12. संशोधन की व्यवस्था – समय के साथ बदलाव की क्षमता।

🏁 निष्कर्ष (Conclusion)

  1. भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि भारतीय जनता की आकांक्षाओं का प्रतीक है।
  2. यह नागरिक और राज्य के बीच संबंधों की रूपरेखा तय करता है।
  3. संविधान ने भारत को लोकतांत्रिक, समानतापूर्ण और न्यायपूर्ण समाज की दिशा दी।
  4. संविधान की सफलता उसकी लचीलापन और मूल मूल्यों की स्थिरता में निहित है।
  5. यह संविधान भारत की एकता, विविधता और लोकतंत्र का जीवंत प्रतीक है।


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