🔹 संसाधन क्या हैं?
- 🔸 संसाधन वे सभी प्राकृतिक, मानव निर्मित या मानव संसाधन हैं जिनका उपयोग मानव की आवश्यकताओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।
- 🔸 कोई भी पदार्थ तभी संसाधन बनता है जब वह प्रौद्योगिकीय रूप से सुलभ, आर्थिक रूप से लाभकारी और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य हो।
- 🔸 उदाहरण: जल, खनिज, वन, सौर ऊर्जा, सड़कें, मशीनें आदि।
🔹 संसाधनों के प्रकार
🔸 उत्पत्ति के आधार पर
- 🔹 जैविक संसाधन (Biotic): जीवमंडल से प्राप्त, जीवित होते हैं।
- उदाहरण: मानव, पौधे, जानवर, मछलियाँ।
- 🔹 अजैविक संसाधन (Abiotic): अजीवित पदार्थों से बने होते हैं।
- उदाहरण: चट्टानें, खनिज, धातुएँ।
🔸 क्षयशीलता के आधार पर
- 🔹 अक्षय संसाधन (Renewable):
- जिन्हें प्राकृतिक रूप से पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
- उदाहरण: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, वन।
- 🔹 अक्षय नहीं होने वाले संसाधन (Non-renewable):
- जो लाखों वर्षों में बनते हैं, सीमित मात्रा में होते हैं।
- उदाहरण: कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।
🔸 स्वामित्व के आधार पर
- 🔹 व्यक्तिगत संसाधन: किसी व्यक्ति द्वारा स्वामित्व वाले।
- उदाहरण: खेत, घर।
- 🔹 सामुदायिक संसाधन: सभी के द्वारा उपयोग किए जाने वाले।
- उदाहरण: ग्राम के चरागाह, तालाब।
- 🔹 राष्ट्रीय संसाधन: किसी देश की सरकार के अधीन।
- उदाहरण: रेलवे, नदी, वन।
- 🔹 अंतर्राष्ट्रीय संसाधन: अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अधीन।
- उदाहरण: 200 समुद्री मील से बाहर के सागर संसाधन।
🔸 विकास के स्तर के आधार पर
- 🔹 संभावित संसाधन (Potential):
- क्षेत्र में मौजूद, पर प्रयुक्त नहीं।
- उदाहरण: राजस्थान में पवन ऊर्जा, गुजरात में सौर ऊर्जा।
- 🔹 विकसित संसाधन (Developed):
- सर्वेक्षण किए गए और उपयोग के लिए उपलब्ध।
- उदाहरण: कोयला भंडार, पानी की क्षमता।
- 🔹 भंडार (Stock):
- ज्ञात संसाधन जो प्रौद्योगिकी के अभाव में उपयोग नहीं हो सकते।
- उदाहरण: पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन।
- 🔹 आरक्षित (Reserves):
- भविष्य में उपयोग योग्य, वर्तमान तकनीक से उपलब्ध।
- उदाहरण: बांधों में संग्रहित जल।
🔹 भारत में संसाधन योजना (Resource Planning)
- 🔸 संसाधन योजना का अर्थ है संसाधनों की पहचान, वितरण और उचित उपयोग।
- 🔸 इसमें तीन प्रमुख चरण होते हैं:
- 🔹 संसाधनों की पहचान और सूचीकरण।
- 🔹 संसाधनों का उपयुक्त योजना और तकनीकी विकास।
- 🔹 राष्ट्रीय विकास योजनाओं से मेल बैठाना।
🔹 संसाधनों की योजना क्यों आवश्यक है?
- 🔸 भारत में संसाधनों का असमान वितरण है।
- 🔸 अत्यधिक दोहन के कारण:
- 🔹 संसाधनों की क्षति हुई है।
- 🔹 पर्यावरणीय असंतुलन हुआ है।
- 🔸 योजना आवश्यक है ताकि:
- 🔹 संसाधनों का समान और टिकाऊ उपयोग हो।
- 🔹 भविष्य की पीढ़ियों को भी लाभ मिले।
🔹 संसाधनों का संरक्षण
- 🔸 संसाधन संरक्षण का अर्थ है संसाधनों का बुद्धिमानी से और सीमित उपयोग।
- 🔸 महात्मा गांधी ने कहा था:
“प्रकृति सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है, पर किसी एक की लालच की नहीं।” - 🔸 संरक्षण आवश्यक है:
- 🔹 प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए।
- 🔹 संकट की स्थिति से बचने के लिए।
🔹 भारत में भूमि संसाधन
🔸 भूमि का महत्व
- 🔹 भूमि मानव जीवन और सभी आर्थिक गतिविधियों का आधार है।
- 🔹 यह वनस्पति, वन्य जीव, और संस्कृति का समर्थन करती है।
🔸 भारत में भूमि उपयोग पैटर्न
- 🔹 कृषि योग्य भूमि: लगभग 45%
- 🔹 वन क्षेत्र: 22.5%
- 🔹 बंजर और परती भूमि: 6%
- 🔹 गैर-कृषि उपयोग: 8%
- 🔹 फैलो भूमि (Fallow Land): 7.5%
- 🔹 चारागाह और वृक्षारोपण: 3.5%
🔸 भूमि उपयोग को प्रभावित करने वाले कारक
- 🔹 भौतिक: स्थलाकृति, जलवायु, मिट्टी।
- 🔹 मानव: जनसंख्या, संस्कृति, तकनीकी विकास।
🔹 भूमि क्षरण और संरक्षण
🔸 भूमि क्षरण के कारण
- 🔹 वनों की कटाई।
- 🔹 अत्यधिक चराई।
- 🔹 खनन क्रियाएं।
- 🔹 रासायनिक खादों का अत्यधिक प्रयोग।
- 🔹 उद्योगों से अपशिष्ट।
🔸 संरक्षण उपाय
- 🔹 पुनः वनीकरण।
- 🔹 चराई पर नियंत्रण।
- 🔹 अपशिष्ट का उचित निपटान।
- 🔹 कॉन्टूर हल चलाना, टेरेस खेती।
- 🔹 जैविक खेती को बढ़ावा।
🔹 मिट्टी एक संसाधन के रूप में
🔸 मिट्टी का निर्माण
- 🔹 मिट्टी बनती है चट्टानों के विघटन और मौसम परिवर्तन से।
- 🔹 इसमें योगदान देने वाले कारक:
- मूल चट्टान, जलवायु, स्थलरूप, वनस्पति, और समय।
🔸 मिट्टी प्रोफ़ाइल
- 🔹 मिट्टी की स्तरीय संरचना को कहते हैं प्रोफ़ाइल।
🔹 भारत में मिट्टी के प्रकार
🔸 जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)
- 🔹 सबसे अधिक उपजाऊ।
- 🔹 गंगा-यमुना मैदानों में पाई जाती है।
- 🔹 उपयुक्त: चावल, गेंहू, गन्ना।
🔸 काली मिट्टी (Black Soil)
- 🔹 रेगर मिट्टी के नाम से जानी जाती है।
- 🔹 कपास के लिए अनुकूल।
- 🔹 महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में पाई जाती है।
🔸 लाल और पीली मिट्टी
- 🔹 कम वर्षा वाले क्षेत्रों में।
- 🔹 ह्यूमस की कमी के कारण कम उपजाऊ।
🔸 लेटेराइट मिट्टी
- 🔹 वर्षा प्रधान क्षेत्रों में।
- 🔹 लोहे की मात्रा अधिक, पर उपजाऊ नहीं।
🔸 अरावली मिट्टी (Arid Soil)
- 🔹 राजस्थान में।
- 🔹 रेतीली और नमक की अधिकता।
🔸 वन मिट्टी
- 🔹 पर्वतीय क्षेत्रों में।
- 🔹 ह्यूमस से भरपूर, बागवानी के लिए उपयुक्त।
🔹 मिट्टी अपरदन और संरक्षण
🔸 मिट्टी अपरदन (Soil Erosion)
- 🔹 पानी, हवा, और मानव क्रियाओं से मिट्टी का हटना।
- 🔹 प्रकार:
- 🔹 शीट अपरदन – समान रूप से हटना।
- 🔹 गली अपरदन – खाई बनना।
- 🔹 पवन अपरदन – हवा से हटना।
🔸 कारण
- 🔹 वनों की कटाई।
- 🔹 अत्यधिक चराई।
- 🔹 झूम खेती।
- 🔹 अनुचित कृषि पद्धतियाँ।
🔸 संरक्षण उपाय
- 🔹 टेरेस खेती।
- 🔹 स्ट्रिप क्रॉपिंग।
- 🔹 कॉन्टूर हल चलाना।
- 🔹 शेल्टर बेल्ट (पेड़ों की पंक्तियाँ)।
- 🔹 पुनः वनीकरण।
🔹 सतत विकास (Sustainable Development)
- 🔸 इसका अर्थ है विकास ऐसा हो जो पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाए।
- 🔸 सिद्धांत:
- 🔹 संसाधनों का संतुलित उपयोग।
- 🔹 नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग।
- 🔹 पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण।
- 🔹 वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों का ध्यान।
🔹 सरकारी प्रयास
- 🔹 राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड।
- 🔹 मिट्टी संरक्षण योजनाएं।
- 🔹 वन महोत्सव और वृक्षारोपण अभियान।
- 🔹 जलागम विकास परियोजनाएं।
🔹 उदाहरण और केस स्टडी
- 🔸 राजस्थान – स्ट्रिप क्रॉपिंग और शेल्टर बेल्ट का प्रयोग।
- 🔸 मेघालय (चेरापूंजी) – अधिक वर्षा के बावजूद अत्यधिक अपरदन।
- 🔸 पंजाब-हरियाणा – रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग।
- 🔸 पश्चिमी घाट – लेटेराइट मिट्टी, टेरेस खेती द्वारा संरक्षित।
🔹 महत्वपूर्ण कीवर्ड्स
- 🔹 संसाधन योजना
- 🔹 सतत विकास
- 🔹 मिट्टी प्रोफ़ाइल
- 🔹 भूमि क्षरण
- 🔹 पुनः वनीकरण
- 🔹 टेरेस खेती
- 🔹 कॉन्टूर हल चलाना
- 🔹 नवीकरणीय संसाधन
- 🔹 अक्षय संसाधन