✅ भारत में गरीबी का परिचय
गरीबी भारत के समक्ष सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है। कई क्षेत्रों में प्रगति के बावजूद, बहुत बड़ी संख्या में लोग अभी भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। गरीबी केवल आय की कमी नहीं है, बल्कि यह आवश्यक मूलभूत सुविधाओं जैसे भोजन, स्वच्छ जल, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी भी है।
इस अध्याय में विद्यार्थी गरीबी का अर्थ, कारण, संकेतक और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को समझेंगे। इससे हम उन वास्तविक समस्याओं से जुड़ सकते हैं जो करोड़ों लोगों को प्रभावित करती हैं।
📌 गरीबी क्या है?
- गरीबी वह स्थिति है जब व्यक्ति अपनी मूलभूत जीवन आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है।
- यह केवल आर्थिक अभाव नहीं, बल्कि सामाजिक बहिष्कार और सम्मान की कमी भी है।
- गरीब लोग अक्सर भूख, निरक्षरता, बेरोजगारी, और खराब स्वास्थ्य से पीड़ित होते हैं।
📊 गरीबी के संकेतक
पहले गरीबी केवल आय और उपभोग पर मापी जाती थी, लेकिन अब इसके लिए कई पहलुओं को देखा जाता है:
- अपर्याप्त आवास
- निरक्षरता और कम शिक्षा स्तर
- खराब स्वास्थ्य और कुपोषण
- बेरोजगारी या अधूरा रोजगार
- स्वच्छ जल और स्वच्छता की कमी
- जाति, धर्म या लिंग के आधार पर सामाजिक बहिष्कार
📈 भारत में गरीबी रेखा
- गरीबी रेखा यह मापदंड है जिससे यह तय किया जाता है कि कौन गरीब है।
- यह न्यूनतम आवश्यक कैलोरी और आय पर आधारित है।
- योजना आयोग के अनुसार:
- ग्रामीण क्षेत्र: ₹816 प्रति माह से कम खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब माना जाता है।
- शहरी क्षेत्र: ₹1,000 प्रति माह से कम खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब माना जाता है।
- ये आंकड़े राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के डेटा पर आधारित हैं।
🌐 वैश्विक गरीबी
- गरीबी केवल भारत की समस्या नहीं, बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
- विश्व बैंक के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा $1.90 प्रतिदिन से कम आय पर जीवन यापन करने वाले लोग हैं।
- बांग्लादेश, इथियोपिया, नाइजीरिया जैसे कई देश भी इसी चुनौती से जूझ रहे हैं।
🧑🌾 गरीब कौन हैं?
ग्रामीण भारत में:
- जमीन रहित मजदूर, लघु और सीमांत किसान, और बुनकर सबसे बड़े गरीब समूह हैं।
- ये लोग अक्सर मौसमी काम पर निर्भर होते हैं और अनियमित आय प्राप्त करते हैं।
शहरी भारत में:
- अस्थायी मजदूर, रिक्शा चालक, सड़क विक्रेता, निर्माण मजदूर, और झुग्गी बस्ती के निवासी गरीबी के शिकार होते हैं क्योंकि उन्हें कम वेतन और नौकरी की सुरक्षा नहीं मिलती।
🔍 भारत में गरीबी के कारण
1️⃣ ऐतिहासिक कारण
- औपनिवेशिक शासन ने पारंपरिक भारतीय उद्योगों को नष्ट किया और आर्थिक पिछड़ापन पैदा किया।
2️⃣ धीमी आर्थिक वृद्धि
- स्वतंत्रता के बाद भी विकास धीमा और असमान रहा, खासकर कृषि क्षेत्र में।
3️⃣ बेरोजगारी और अधूरा रोजगार
- कई लोग नौकरी से वंचित हैं या ऐसी नौकरियों में काम करते हैं जिनसे मूलभूत आवश्यकताएँ पूरी नहीं होतीं।
4️⃣ असमान धन वितरण
- धन केवल कुछ लोगों के पास केंद्रित है; अधिकांश के पास बहुत कम जमीन या संपत्ति होती है।
5️⃣ अधिक जनसंख्या वृद्धि
- ज्यादा लोग होने से नौकरी और संसाधनों की उपलब्धता कम हो जाती है।
6️⃣ शिक्षा और कौशल की कमी
- गरीबों के पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच नहीं होती, जिससे नौकरी के अवसर सीमित हो जाते हैं।
7️⃣ सामाजिक असमानता और भेदभाव
- जाति व्यवस्था, लिंग भेद, और धार्मिक भेदभाव संसाधनों तक समान पहुंच को रोकते हैं।
📉 गरीबी के प्रभाव
- कुपोषण और भूख
- बाल श्रम और स्कूल छोड़ना
- बीमारियां और उच्च मृत्यु दर
- अपराध और सामाजिक अशांति
- मानव गरिमा का ह्रास
- शहरी झुग्गी बस्तियाँ
🧾 गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रम
भारत सरकार ने गरीबी कम करने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं:
🔹 एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP)
- ग्रामीण गरीबों को रोजगार, प्रशिक्षण, ऋण और आधारभूत सुविधाएँ प्रदान करता है।
🔹 जवाहर रोजगार योजना (JRY)
- ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी आधारित रोजगार प्रदान करती है।
🔹 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) – 2005
- ग्रामीण परिवारों को 100 दिन का गारंटीकृत रोजगार देती है।
- रोजगार के माध्यम से गरीबी को कम करने पर केंद्रित।
🔹 स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY)
- स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के जरिए स्वरोजगार को बढ़ावा देती है।
🔹 प्रधान मंत्री आवास योजना
- गरीबों को पक्का मकान बनवाने में मदद करती है।
🔹 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)
- लगभग दो-तिहाई आबादी को सबसिडी वाले अन्न उपलब्ध कराती है।
📚 गरीबी कम करने में शिक्षा की भूमिका
- शिक्षा कौशल सुधारती है और बेहतर नौकरी के अवसर प्रदान करती है।
- यह गरीबी के चक्र को तोड़ने में मदद करती है।
- सरकार की योजनाएँ जैसे सर्व शिक्षा अभियान सभी के लिए शिक्षा सुनिश्चित करती हैं।
🏙️ ग्रामीण और शहरी गरीबी में अंतर
ग्रामीण गरीबी
- कृषि विकास की कमी,
- जलसिंचाई का अभाव,
- कम उत्पादकता और मौसमी बेरोजगारी इसके कारण हैं।
शहरी गरीबी
- गाँव से शहरों की ओर प्रवास,
- आवास, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की कमी इसके मुख्य कारण हैं।
📅 भारत में गरीबी के रुझान (आंकड़ों के अनुसार)
- 1973 में लगभग 55% लोग गरीबी रेखा के नीचे थे।
- 2011-12 में यह घटकर लगभग 22% हो गया।
- गरीबी कम हो रही है, लेकिन कुछ राज्यों जैसे बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में यह धीमी गति से घट रही है।
🗺️ राज्यों के अनुसार गरीबी
- सबसे अधिक गरीबी वाले राज्य: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश
- सबसे कम गरीबी वाले राज्य: केरल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा
- केरल: उच्च साक्षरता और स्वास्थ्य मानक
- पंजाब: कृषि उत्पादन में उच्च
- पश्चिम बंगाल: प्रभावी भूमि सुधार कार्यक्रम
🛠️ बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता
- केवल आय सहायता से गरीबी दूर नहीं हो सकती।
- आवश्यक है:
- शिक्षा
- स्वास्थ्य सेवा
- रोजगार
- सामाजिक समानता
- संसाधनों तक पहुंच
💡 हम गरीबी कैसे दूर कर सकते हैं?
- कौशल विकास कार्यक्रमों का समर्थन करें।
- सरकार की योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाएं।
- शिक्षा और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दें।
- स्वयं सहायता समूहों और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित करें।
- समान अधिकार और अवसरों के लिए आवाज उठाएं।
✍️ निष्कर्ष
गरीबी केवल धन की कमी नहीं, बल्कि अवसरों और सम्मान की कमी है। भारत ने इस दिशा में प्रगति की है, लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी