🧑🏫 परिचय – लोग एक संसाधन कैसे हैं?
- जब किसी देश की जनसंख्या को उत्पादक मानव पूंजी में बदला जाता है, तो उसे संसाधन (Resource) कहा जाता है।
- जनसंख्या एक बोझ नहीं, बल्कि यदि सही रूप से शिक्षित, प्रशिक्षित और स्वस्थ हो तो वह एक संपत्ति बन सकती है।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल के ज़रिए जनसंख्या को उत्पादक शक्ति में बदला जा सकता है।
🔑 मानव संसाधन की विशेषताएँ
- मानव संसाधन ही अन्य संसाधनों (जैसे भूमि, पूंजी) को उपयोगी बनाता है।
- यह विकास का आधार है – शिक्षा, तकनीकी ज्ञान और स्वास्थ्य इसका मुख्य हिस्सा हैं।
- प्रशिक्षित और स्वस्थ नागरिक देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान करते हैं।
🎓 शिक्षा का महत्व
- शिक्षा व्यक्ति को कुशल, जागरूक और उत्पादक बनाती है।
- यह रोज़गार के अवसर बढ़ाती है और आजीविका के साधनों को बेहतर बनाती है।
- पढ़ा-लिखा व्यक्ति स्वस्थ निर्णय ले सकता है और समाज में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
- शिक्षा से लिंग भेदभाव और बाल श्रम को भी रोका जा सकता है।
🏥 स्वास्थ्य का योगदान
- स्वस्थ व्यक्ति ही श्रम कर सकता है।
- बीमारी व्यक्ति की उत्पादकता घटाती है और खर्च बढ़ाती है।
- स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश से अधिक लोग काम करने योग्य बनते हैं।
- यह समाज को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाता है।
💼 रोज़गार के प्रकार
1. आर्थिक गतिविधियाँ
- वे कार्य जिनसे आय होती है (जैसे खेती, मजदूरी, दुकानदारी)।
- इसमें दो प्रमुख क्षेत्र होते हैं:
🔹 मार्जिनल वर्कर – जो कुछ ही समय के लिए काम करते हैं।
🔹 नॉन-मार्जिनल वर्कर – जो नियमित रूप से कार्यरत होते हैं।
2. गैर-आर्थिक गतिविधियाँ
- वे कार्य जिनसे सीधी आय नहीं होती, पर समाज के लिए महत्वपूर्ण होते हैं
(जैसे – घरेलू काम, बच्चों की देखभाल, घर पर बुज़ुर्गों की सेवा)।
👨🌾 दो तरह के रोज़गार क्षेत्र
1. संगठित क्षेत्र
- यह क्षेत्र नियमित वेतन, कार्य समय, छुट्टियाँ और सुविधाएं देता है।
- जैसे – सरकारी नौकरियाँ, पंजीकृत कंपनियाँ।
- यहाँ नियम और कानून लागू होते हैं।
2. असंगठित क्षेत्र
- यह क्षेत्र अनौपचारिक होता है – कोई निश्चित वेतन या सुविधा नहीं।
- जैसे – खेत मजदूरी, घरेलू नौकर, सड़क विक्रेता।
- इस क्षेत्र में शोषण की संभावना अधिक होती है।
🧮 बेरोज़गारी के प्रकार
1. मौसमी बेरोज़गारी
- जब व्यक्ति सिर्फ मौसम विशेष में ही काम करता है।
- उदाहरण – कृषि में काम सिर्फ फसल के मौसम में मिलता है।
2. प्रच्छन्न (छिपी हुई) बेरोज़गारी
- जब एक ही काम में जरूरत से ज्यादा लोग लगे होते हैं।
- अतिरिक्त लोग काम छोड़ दें तो भी उत्पादन पर फर्क नहीं पड़ता।
- यह ग्रामीण भारत में सामान्य है।
📊 भारत में बेरोज़गारी की स्थिति
- भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में मौसमी और छिपी बेरोज़गारी प्रमुख है।
- शहरी क्षेत्रों में शिक्षित बेरोज़गारी अधिक है – डिग्री तो है, पर नौकरी नहीं।
- बेरोज़गारी से आर्थिक विकास धीमा होता है और गरीबी बढ़ती है।
📚 मानव पूंजी निर्माण के उपाय
1. शिक्षा में निवेश
- सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए।
- तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए।
2. स्वास्थ्य सेवाएं
- सभी के लिए सुलभ स्वास्थ्य सुविधा सुनिश्चित होनी चाहिए।
- कुपोषण, बीमारी और संक्रमण को दूर करना ज़रूरी है।
3. कौशल विकास और प्रशिक्षण
- युवाओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए सक्षम बनाना।
- स्टार्टअप और स्वरोजगार योजनाओं को बढ़ावा देना।
👩👩👧👦 महिलाएँ और मानव संसाधन
- महिलाओं को भी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के बराबर अवसर मिलना चाहिए।
- महिला सशक्तिकरण मानव संसाधन की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
- पढ़ी-लिखी महिलाएं घर, समाज और राष्ट्र को बेहतर दिशा देती हैं।
💡 जनसंख्या – बोझ या संसाधन?
- शिक्षित, प्रशिक्षित और स्वस्थ जनसंख्या एक संपत्ति (Asset) है।
- लेकिन यदि यह बिना कौशल और शिक्षा के हो तो बोझ (Burden) बन जाती है।
- इसलिए सरकार और समाज का लक्ष्य होना चाहिए – हर नागरिक को योग्य और सक्षम बनाना।
🏁 निष्कर्ष
- जनसंख्या को उत्पादक शक्ति में बदलना ही मानव संसाधन बनाना है।
- इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल और रोज़गार के अवसर जरूरी हैं।
- एक विकसित राष्ट्र वही होता है, जहाँ हर व्यक्ति संसाधन बनता है, न कि बोझ।