साझेदारी लेखांकन — मूल अवधारणाएँ (विस्तृत, हिंदी)
Class 12 — CBSE Course A — अध्याय 1 —
1. परिचय और परिभाषा
साझेदारी (Partnership) एक ऐसा व्यापारिक संगठन है जहाँ दो या अधिक व्यक्ति मिलकर किसी व्यवसाय को संचालित करते हैं और लाभ/हानि बाँटते हैं। यह एक अनुबंध के द्वारा स्थापित होता है (Indian Partnership Act, 1932 — धारा 4)।
नोट: साझेदारी स्वतः उत्पन्न नहीं होती; साझेदारों के बीच समझौता आवश्यक है — यह मौखिक या लिखित हो सकता है।
2. साझेदारी का स्वभाव और मुख्य विशेषताएँ
- अनुबंध (Agreement) — साझेदारी एक कानूनी अनुबंध पर आधारित होती है।
- साझेदारों की संख्या — न्यूनतम 2; अधिकतम सामान्यतः 50 (नियमों के अनुसार)।
- वैध व्यवसाय — व्यवसाय का उद्देश्य वैध होना चाहिए।
- लाभ बाँटना — साझेदारों का लाभ-वितरण समझौते पर आधारित होता है।
- पारस्परिक एजेंसी (Mutual Agency) — एक साझेदार फर्म का एजेंट होता है और उसकी कार्रवाई फर्म को बाध्य करती है।
- असीमित दायित्व — साझेदारों की व्यक्तिगत सम्पत्ति पर दायित्व आ सकता है।
- अलग कानूनी पहचान नहीं — फर्म और साझेदार अलग इकाइयाँ नहीं होतीं।
- स्वैच्छिक और अस्थायी — साझेदारी आंतरिक समझौते के अनुसार बदली जा सकती है।
3. साझेदारों के प्रकार
- सक्रिय (Active) / कार्यरत साझेदार — दैनिक प्रबंधन में सक्रिय।
- निष्क्रिय (Sleeping/Dormant) साझेदार — पूँजी देते हैं पर प्रबंधन में भाग नहीं लेते।
- नाममात्र (Nominal) साझेदार — केवल नाम देते हैं, वास्तविक हिस्सेदारी नहीं।
- Partner by Estoppel — व्यवहार से साथी माना जाता है।
- अल्पवयस्क (Minor) साझेदार — कुछ स्थितियों में लाभ में हिस्सा ले सकता है पर पूर्ण दायित्व नहीं।
4. Partnership Deed (साझेदारी डीड)
परिभाषा: Partnership Deed वह लिखित अनुबंध है जो साझेदारी की शर्तों और नियमों को परिभाषित करता है।
डीड की आवश्यकता और लाभ
- विवादों को कम करता है
- अधिकार और कर्तव्यों को स्पष्ट करता है
- पूँजी, लाभ-हानी, वेतन, ब्याज, आदि के नियम निर्दिष्ट करता है
- कानूनी साक्ष्य के रूप में कार्य करता है
डीड में शामिल महत्वपूर्ण बातें
- फर्म व साझेदारों के नाम और पते
- व्यवसाय का स्वरूप
- पूँजी योगदान और अनुपात
- लाभ/हानि बाँटने का अनुपात
- पूँजी पर ब्याज, आहरण पर ब्याज
- साझेदारों को वेतन/कमीशन
- खातों का रख-रखाव और बैंक नियम
- साझेदारों का प्रवेश, निकास, मृत्यु के नियम
- विवाद निपटान और गुडविल का मूल्यांकन
यदि डीड मौजूद नहीं है: Indian Partnership Act के सामान्य प्रावधान लागू होंगे — जैसे लाभ समान रूप से बाँटना, पूँजी पर ब्याज नहीं मिलना, साझेदार ऋण पर 6% ब्याज वगैरह।
5. पूँजी खातों का रख-रखाव
दो प्रमुख विधियाँ प्रचलित हैं:
- Fixed Capital Method (स्थिर पूँजी विधि)
- Fluctuating Capital Method (परिवर्ती पूँजी विधि)
Fixed Capital Method — मुख्य बिंदु
- प्रत्येक साझेदार के लिए Capital Account और Current Account दोनों बनते हैं।
- पूँजी खाता स्थिर रहता है; चालू खाता सभी समायोजन दर्ज करता है।
- चालू खाते में वेतन, ब्याज, आहरण, लाभ/हानि आदि दर्ज होते हैं।
Fluctuating Capital Method — मुख्य बिंदु
- सिर्फ Capital Account रखा जाता है; सभी समायोजन इसमें सीधे किये जाते हैं।
- पूँजी शेष लगातार बदलता रहता है।
- सरल और सामान्यतः उपयोग की जाने वाली विधि।
6. Fixed vs Fluctuating Capital — अंतर (विस्तृत तालिका)
| आधार | Fixed Capital | Fluctuating Capital |
|---|---|---|
| खातों की संख्या | दो (Capital + Current) | एक (Capital ही) |
| समायोजन कहाँ दर्ज होते हैं | Current Account में | Capital Account में |
| अनुप्रयोग | जहाँ पूँजी स्थिर रहे | सामान्य उपयोग |
| आहरण और ब्याज | Current A/c में | Capital A/c में |
| बैलेंस स्वरूप | Capital — स्थिर; Current — डेबिट/क्रेडिट | Capital — समय-समय पर बदलता |
7. Profit and Loss Appropriation Account (लाभ एवं हानि विनियोजन)
यह Profit & Loss Account का विस्तार है, जिसका उद्देश्य शुद्ध लाभ का साझेदारों के बीच विनियोजन करना है।
लाभ विनियोजन में आम समायोजन
- पूँजी पर ब्याज (Interest on Capital)
- आहरण पर ब्याज (Interest on Drawings)
- साझेदारों का वेतन / कमीशन
- बचे हुए लाभ का हिस्से में हस्तांतरण
प्रारूप: (ड्र./क्र.) —
Dr. Profit & Loss Appropriation A/c Cr. To Interest on Capital By Net Profit b/d To Partner's Salary/Commission By Interest on Drawings To Profit transferred to Partners' A/c
8. अकाउंट फॉर्मैट्स — Capital और Current Accounts (नमूना)
Partner’s Capital Account (Fluctuating)
Dr. Partner's Capital A/c Cr. Date Particulars J.F. Amount Date Particulars J.F. Amount To Drawings By Balance b/d To Interest on Drawings By Interest on Capital To Share of Loss By Salary/Commission To Balance c/d By Share of Profit
Partner’s Current Account (Fixed Method)
Dr. Partner's Current A/c Cr. Date Particulars J.F. Amount Date Particulars J.F. Amount To Drawings By Balance b/d To Interest on Drawings By Interest on Capital To Salary/Commission By Share of Profit To Balance c/d
उपरोक्त प्रारूप परीक्षा में स्पष्ट और व्यवस्थित अंक प्राप्त करने में सहायक होते हैं — J.F. (Journal Folio) और तिथियाँ सही ढंग से भरें।
9. Partner को Profit की Guarantee (लाभ की गारंटी)
परिभाषा: कुछ मामलों में किसी साझेदार को न्यूनतम लाभ की गारंटी दी जाती है — यदि उसका सामान्य हिस्सा उस न्यूनतम स्तर से कम है, तो कमी को अन्य साझेदार/फर्म द्वारा वहन किया जाता है, जैसा कि डीड में निर्दिष्ट है।
गारंटी के प्रकार
- वैयक्तिक गारंटी (Individual Guarantee) — एक साझेदार दूसरे को गारंटी देता है; कमी केवल गारंटीकर्ता सहनेगा।
- सामूहिक गारंटी (Collective Guarantee) — बाकी साझेदार मिलकर गारंटी देते हैं; कमी उनके बीच बाँटी जाएगी।
- फर्म द्वारा गारंटी (Firm Guarantee) — फर्म द्वारा सुनिश्चित; कमी फर्म के खाते से निकलेगी और बाद में शेष साझेदारों में बाँटी जा सकती है।
गणना के चरण (स्टेप-बाय-स्टेप)
- सर्वप्रथम फर्म का शुद्ध लाभ ज्ञात करें (P&L A/c से)।
- प्रत्येक साझेदार का सामान्य लाभ भाग निकालें (Profit sharing ratio अनुरूप)।
- गारंटीकृत राशि से तुलना कर कमी (यदि कोई हो) निकालें।
- कमी को गारंटीकर्ताओं में बांटें — डीड में निर्दिष्ट अनुसार।
- अंतिम कटौती/जमा स्थितियों को Partners’ Capital/Current A/c में रिकॉर्ड करें।
सैंपल समस्या: A को ₹50,000 की गारंटी; A का साधारण हिस्सा ₹30,000; कमी ₹20,000 — यदि B और C शेष हैं और समान भागीदारी है, तो प्रत्येक ₹10,000 देय होगा।
10. Keywords — महत्वपूर्ण शब्द (परिभाषाएँ के साथ)
प्रत्येक Keyword के लिए संक्षिप्त परिभाषा ऊपर दी गयी है — परीक्षा में इन शब्दों को परिभाषित करने पर अंक मिलते हैं।
11. परीक्षा के लिए टिप्स और संक्षेप (Exam Tips)
- हमेशा Partnership Deed के प्रावधानों की जाँच करें — यदि डीड में कुछ निर्दिष्ट है तो वह Act से ऊपर माना जाता है।
- फॉर्मैट्स को साफ-सुथरा रखें — Journal Folio और Date भरे रखें।
- Fixed/Fluctuating का अंतर लिखते समय तालिका का प्रयोग करें — यह साफ दिखता है।
- Profit & Loss Appropriation A/c को P&L A/c के बाद ही बनाएं।
- गणनाओं में क्रम का पालन करें: Net Profit → Interest/Salaries/Commission → Drawings adjustment → Share of Profit → Transfer।
अधिक अभ्यास के लिए पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र और टिप्पणियाँ देखें — तथा संख्यात्मक प्रश्नों का अभ्यास करें।
