BUSINESS ENVIRONMENT – व्यवसाय पर्यावरण
1. व्यवसाय पर्यावरण का अर्थ (Meaning of Business Environment)
- व्यवसाय पर्यावरण उन बाहरी कारकों और शक्तियों का समूह है जो किसी व्यवसाय के निर्णयों, नीतियों, प्रदर्शन और विकास को प्रभावित करते हैं।
- ये सभी शक्तियाँ व्यवसाय के नियंत्रण से बाहर होती हैं।
- यह विभिन्न घटनाओं, परिस्थितियों, संस्थानों, व्यक्तियों और प्रभावों से मिलकर बनता है।
- व्यवसाय पर्यावरण को मैक्रो परिवेश (Macro Environment) भी कहा जाता है।
- इसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, तकनीकी, कानूनी और प्राकृतिक कारक शामिल होते हैं।
- व्यवसाय पर्यावरण गतिशील (Dynamic) होता है — यह तेजी से बदलता है।
- यह अनिश्चित (Uncertain) होता है क्योंकि भविष्य के परिवर्तनों का सही अनुमान लगाना कठिन होता है।
- यह जटिल (Complex) होता है क्योंकि इसमें अनेक कारक परस्पर जुड़े होते हैं।
- यह सापेक्ष (Relative) होता है — समय, क्षेत्र और देश के अनुसार बदल जाता है।
- व्यवसाय पर्यावरण अवसर और खतरे दोनों उत्पन्न करता है।
- यह व्यवसायों को लंबी अवधि की योजना, नीतियाँ और रणनीति बनाने में मदद करता है।
- उपभोक्ता पसंद, सरकारी नियम, तकनीकी बदलाव—all व्यवसाय पर्यावरण का हिस्सा हैं।
- इसे दो भागों में बाँटा जाता है —
- सामान्य पर्यावरण (General Forces)
- विशिष्ट पर्यावरण (Specific Forces)
- व्यवसाय को सफल होने के लिए पर्यावरण को समझना आवश्यक है।
- पर्यावरण की समझ प्रबंधन को समय पर निर्णय लेने और बदलते हालातों से तालमेल बनाने में मदद करती है।
2. व्यवसाय पर्यावरण का महत्व (Importance of Business Environment)
- अवसरों की पहचान करने में सहायता
- पर्यावरण को समझकर कंपनियाँ नए बाजार, उभरती ज़रूरतें और संभावनाओं को जल्दी पकड़ लेती हैं।
- खतरों की पहचान
- बदलते नियम, प्रतियोगिता, मंदी आदि जैसे जोखिमों को समय रहते पहचाना जा सकता है।
- समयपूर्व चेतावनी संकेत (Early Warning Signals)
- भविष्य की समस्याओं और परिवर्तनों का पहले से अंदाज़ लगाकर रणनीति बदली जा सकती है।
- रणनीति बनाने में मदद
- प्रभावी योजनाएँ तभी बनाई जा सकती हैं जब प्रबंधक पर्यावरण को समझते हैं।
- बेहतर निर्णय क्षमता
- अनिश्चितता कम होती है और निर्णय अधिक सटीक बनते हैं।
- आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता समझने में मदद
- श्रम, पूंजी, तकनीक, कच्चा माल आदि किस मात्रा में उपलब्ध हैं, व्यवसाय इसका अनुमान लगा पाता है।
- प्रदर्शन में सुधार
- प्रतिस्पर्धी और परिवर्तित होते वातावरण के अनुसार कार्य करने से परिणाम बेहतर मिलते हैं।
- तेजी से हो रहे परिवर्तनों के अनुकूलन में सहायता
- उपभोक्ता आदतें, तकनीक, संस्कृति—सभी तेजी से बदलते हैं; व्यवसाय को अनुकूलन ज़रूरी है।
- प्रतियोगिता का सामना करने में मदद
- प्रतियोगियों की रणनीतियों का अध्ययन करके कंपनी बेहतर रणनीति बना सकती है।
- सकारात्मक छवि और प्रतिष्ठा
- सामाजिक दायित्व, पर्यावरण सुरक्षा, उपभोक्ता हित– इनसे कंपनी की छवि सुधरती है।
- दीर्घकालिक विकास और स्थिरता
- पर्यावरण की समझ से भविष्य की योजना बनाना आसान होता है।
- नवाचार को बढ़ावा
- प्रतिस्पर्धा और चुनौतियाँ नवाचार को जन्म देती हैं।
- नीतियाँ एवं आंतरिक प्रबंधन सुधार
- सरकार, तकनीक और समाज के प्रभाव से कंपनियाँ अपनी नीतियाँ अद्यतन करती रहती हैं।
- वैश्वीकरण को आसान बनाना
- अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश हेतु वैश्विक पर्यावरण की समझ आवश्यक है।
- उपभोक्ता केंद्रित व्यापार
- सामाजिक और सांस्कृतिक रुझानों के अनुसार कंपनियाँ ग्राहक-केंद्रित नीतियाँ बनाती हैं।
3. व्यवसाय पर्यावरण के आयाम (Dimensions of Business Environment)
व्यवसाय पर्यावरण को पाँच मुख्य आयामों में बाँटा गया है:
A. आर्थिक पर्यावरण (Economic Environment)
- आर्थिक पर्यावरण में वे सभी आर्थिक कारक शामिल हैं जो व्यवसाय को प्रभावित करते हैं।
- जैसे—राष्ट्रीय आय, मुद्रास्फीति, ब्याज दर, कर नीति, क्रेडिट नीति, विदेशी मुद्रा दर, बजट आदि।
- आर्थिक नीतियाँ यह तय करती हैं कि निवेश और उत्पादन कितना होगा।
- आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, महंगाई जैसे कारक उत्पादन और बिक्री को प्रभावित करते हैं।
- मुख्य घटक:
- आर्थिक प्रणाली
- बजट और कर नीति
- मौद्रिक नीति
- औद्योगिक नीति
- आर्थिक सुधार
- अनुकूल आर्थिक पर्यावरण से व्यावसायिक अवसर बढ़ते हैं।
- विदेशी व्यापार नीति और विनिमय दर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
B. सामाजिक पर्यावरण (Social Environment)
- सामाजिक पर्यावरण में समाज की मान्यताएँ, विश्वास, परंपराएँ, जीवनशैली, शिक्षा स्तर, जनसंख्या संरचना शामिल होती हैं।
- समाज के मूल्य और संस्कृति उत्पाद की मांग को प्रभावित करते हैं।
- सामाजिक रुझान जैसे स्वास्थ्य जागरूकता, ऑनलाइन खरीदारी आदि व्यवसाय के लिए नए अवसर बनाते हैं।
- समाज की अपेक्षाएँ व्यवसाय की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करती हैं।
- परिवार और जनसंख्या के परिवर्तन से बाजार की दिशा बदलती है।
C. राजनीतिक पर्यावरण (Political Environment)
- इसमें सरकार की नीतियाँ, राजनीतिक स्थिरता, शासक दल की विचारधारा, व्यापार के प्रति सरकार का रुझान शामिल है।
- स्थिर राजनीतिक वातावरण निवेश को बढ़ावा देता है।
- सरकार उद्योग, व्यापार, कर, विदेशी निवेश आदि पर नीतियाँ बनाती है।
- राजनीतिक अस्थिरता व्यवसाय को अनिश्चितता की ओर धकेलती है।
D. तकनीकी पर्यावरण (Technological Environment)
- नई मशीनें, नई तकनीक, स्वचालन, अनुसंधान और नवाचार इस श्रेणी में आते हैं।
- तकनीकी परिवर्तन से उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता में सुधार होता है।
- डिजिटल युग में ई-कॉमर्स, मोबाइल ऐप, एआई, रोबोटिक्स जैसे तकनीकी बदलावों ने व्यवसाय को बदल दिया है।
- तकनीक के तेज़ बदलावों के अनुसार कंपनियों को निरंतर अद्यतन रहना पड़ता है।
E. कानूनी पर्यावरण (Legal Environment)
- इसमें सभी कानून, अधिनियम और नियम शामिल हैं जिनका पालन व्यवसाय को करना होता है।
- इनमें शामिल हैं:
- कंपनी अधिनियम
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
- श्रम कानून
- पर्यावरण संरक्षण कानून
- प्रतिस्पर्धा अधिनियम
- जीएसटी कानून
- कानूनी पालन आवश्यक है, अन्यथा जुर्माना व दंड का सामना करना पड़ता है।
- कानूनी पर्यावरण उपभोक्ता संरक्षण, पारदर्शिता और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करता है।
4. भारत में आर्थिक पर्यावरण (Economic Environment in India)
भारत का आर्थिक पर्यावरण समय-समय पर बदलता रहा है। इसके मुख्य पहलू:
- मिश्रित अर्थव्यवस्था — सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों की भूमिका।
- कृषि पर अधिक निर्भरता — बड़ी आबादी कृषि से जुड़ी।
- कम प्रति व्यक्ति आय, हालांकि लगातार बढ़ रही है।
- गरीबी और बेरोजगारी की समस्या।
- मुद्रास्फीति और मूल्य अस्थिरता।
- 1991 पूर्व अर्थव्यवस्था अत्यधिक नियंत्रित — लाइसेंस राज, कोटा, आयात प्रतिबंध।
- 1991 के बाद आर्थिक उदारीकरण — LPG सुधारों ने अर्थव्यवस्था को खोला।
- तकनीकी उन्नति — IT, डिजिटल भुगतान, स्टार्ट-अप्स का विकास।
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि — घरेलू एवं विदेशी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा।
- वैश्विक एकीकरण — विदेशी व्यापार और निवेश में वृद्धि।
- सेवा क्षेत्र का विकास — IT, बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य।
- सरकारी पहलें — मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया।
- उभरता मध्यम वर्ग — क्रय शक्ति में वृद्धि।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास — सड़क, बंदरगाह, हवाई अड्डे, स्मार्ट सिटी आदि।
5. प्रारंभिक आर्थिक संकट: सुधारों की आवश्यकता (Early Crisis & Need for Reforms – 1991)
1991 के आर्थिक सुधारों से पहले भारत गंभीर संकट से गुजर रहा था।
A. संकट के कारण (Causes of Crisis)
- बड़ी वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit)
- विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी
- उच्च मुद्रास्फीति
- औद्योगिक विकास में गिरावट
- अक्षम सार्वजनिक क्षेत्र
- वैश्विक प्रतियोगिता और तकनीकी पिछड़ापन
B. 1991 में लागू सुधार — LPG मॉडल (Reform Measures)
1. उदारीकरण (Liberalisation)
- उद्योगों के लाइसेंस खत्म किए गए।
- आयात शुल्क कम किए गए।
- व्यापार प्रक्रियाएँ सरल की गईं।
- पूंजी, वस्तु और सेवाओं का मुक्त प्रवाह।
- विदेशी निवेश और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा।
2. निजीकरण (Privatisation)
- सरकारी उद्यमों में सरकार की हिस्सेदारी कम की गई।
- सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ निजी क्षेत्र को बेची गईं।
- दक्षता, प्रतिस्पर्धा और नवाचार में वृद्धि।
- निजी क्षेत्र को अधिक स्वतंत्रता मिली।
3. वैश्वीकरण (Globalisation)
- भारत को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ा गया।
- MNCs को भारत में व्यवसाय करने की अनुमति।
- विदेशी व्यापार में वृद्धि।
- तकनीक, ज्ञान और पूंजी का प्रवाह बढ़ा।
- भारतीय कंपनियों का वैश्विक बाजारों में विस्तार।
C. सुधारों का प्रभाव (Impact of Reforms)
- तेज आर्थिक विकास।
- विदेशी निवेश में वृद्धि।
- सेवा क्षेत्र का उभार।
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि।
- अधिक रोजगार अवसर।
- तकनीकी उन्नति।
- उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प।
- निजी क्षेत्र का विस्तार।
- बुनियादी ढांचे में सुधार।
- भारतीय अर्थव्यवस्था का वैश्विक बनने की प्रक्रिया तेज हुई।
निष्कर्ष (Conclusion)
- व्यवसाय पर्यावरण किसी भी व्यवसाय की सफलता, रणनीति और नीतियों को गहराई से प्रभावित करता है।
- यह बाहरी शक्तियों का समूह है, जिससे व्यवसाय को तालमेल बिठाना पड़ता है।
- पाँच आयाम — आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, तकनीकी और कानूनी — व्यवसाय की दिशा तय करते हैं।
- भारत में 1991 के आर्थिक सुधारों ने व्यापार जगत को नई दिशा दी।
- LPG नीति ने प्रतिस्पर्धा, दक्षता, तकनीक और नवाचार को बढ़ावा दिया।
- भविष्य में व्यवसायों को निरंतर बदलते पर्यावरण के अनुसार स्वयं को ढालना होगा।
- जो व्यवसाय पर्यावरण को समझते हैं और जल्दी अनुकूलित होते हैं, वही दीर्घकालिक सफलता प्राप्त करते हैं।
