Geography class 11 cbse course A अध्याय 2


📘 **अध्याय 2 – पृथ्वी (THE EARTH)


1. पृथ्वी का परिचय (Introduction)

  • पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ज्ञात ग्रह है जहाँ जीवन संभव है।
  • वायुमंडल, पानी, भूमि, तापमान और ऊर्जा का अनूठा संतुलन पृथ्वी को रहने योग्य बनाता है।
  • पृथ्वी की उत्पत्ति, संरचना और विकास को समझना भूविज्ञान, खगोल विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीवविज्ञान के माध्यम से संभव होता है।
  • पृथ्वी लगभग 4.6 अरब वर्ष पुरानी है।
  • समय के साथ पृथ्वी में निरंतर परिवर्तन हुए—
    • स्थलमंडल का विकास
    • जलमंडल का निर्माण
    • वायुमंडल का विकास
    • जीवन का विकास
  • वैज्ञानिक पृथ्वी के इतिहास को समझने के लिए अध्ययन करते हैं:
    • चट्टानों की परतें
    • जीवाश्म
    • विकिरणीय तिथि निर्धारण
    • ब्रह्मांड संबंधी सिद्धांत

2. पृथ्वी की उत्पत्ति (Origin of the Earth)

2.1 उत्पत्ति का अर्थ

  • पृथ्वी की उत्पत्ति से तात्पर्य है—सौरमंडल कैसे बना?
  • पृथ्वी सूर्य से या गैसीय बादलों से कैसे अलग हुई?
  • इसकी व्याख्या के लिए कई धार्मिक व वैज्ञानिक सिद्धांत प्रस्तावित हुए।

2.2 ब्रह्मांड की उत्पत्ति – बिग बैंग सिद्धांत

  • सर्वाधिक स्वीकार्य सिद्धांत।
  • ब्रह्मांड लगभग 13.7 अरब वर्ष पहले हुए एक महाविस्फोट (Big Bang) से बना।
  • विस्फोट के बाद:
    • पदार्थ फैलने लगा
    • तापमान कम हुआ
    • आकाशगंगाएँ और तारे बनने लगे
  • सौरमंडल बाद में लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले बना।

2.3 पृथ्वी की उत्पत्ति के सिद्धांत

A. प्रारंभिक सिद्धांत

2.3.1 कांट–लाप्लास का नेब्युलर परिकल्पना

  • सूर्य और ग्रह गैसीय बादलों (Nebula) से बने।
  • बादल घुमने लगा → सिकुड़ने लगा → चपटा डिस्क बना।
  • किनारों से गैस की रिंगें अलग हुईं → ग्रह बने।

2.3.2 टाइडल सिद्धांत (चेम्बरलिन और मोल्टन)

  • सूर्य के पास से एक बड़ा तारा गुजरा।
  • उससे सूर्य पर ज्वारीय बल पड़ा और गैस निकली → ग्रह बने।
  • यह सिद्धांत अस्वीकार कर दिया गया, क्योंकि ऐसा तारा पास आने की संभावना नगण्य है।

B. आधुनिक सिद्धांत

2.3.3 आधुनिक नेब्युलर सिद्धांत (Modern Nebular Theory)

  • वर्तमान में सबसे अधिक स्वीकार्य।
  • सौरमंडल एक गैस-धूल के बादल (Solar Nebula) से बना।
  • चरण:
    1. बादल का गुरुत्वीय पतन
    2. घूमने की गति बढ़ी, चपटा डिस्क बना
    3. बीच में सूर्य का निर्माण
    4. धूल कणों का जुड़ना → ग्रहाणु (Planetesimals)
    5. ग्रहाणुओं से ग्रह बने

2.3.4 प्लानेटेसिमल परिकल्पना

  • छोटे ठोस कण आपस में टकराकर जुड़ते गए।
  • धीरे-धीरे बड़े ग्रह बने।

3. ग्रहों का निर्माण (Formation of Planets)

3.1 सौरमंडल की रचना

  • सौर नेबुला में भारी तत्व केंद्र की ओर आए → सूर्य बना।
  • हल्के पदार्थ बाहर की ओर रहे → बाहरी ग्रह बने।

3.2 ग्रह निर्माण के चरण

चरण 1: संचयन (Accretion)

  • धूल और कण आपस में चिपके।
  • छोटे ग्रहाणु बने।

चरण 2: विभेदन (Differentiation)

  • भारी पदार्थ नीचे → कोर
  • हल्के पदार्थ ऊपर → परतें

चरण 3: स्थलीय और गैसीय ग्रहों का निर्माण

  • स्थलीय ग्रह (Earth, Mars, Venus, Mercury): भारी, पथरीले
  • गैसीय ग्रह (Jupiter, Saturn, Uranus, Neptune): हल्के गैसों से बने, बड़े

3.3 पृथ्वी का प्रारंभिक रूप

  • अत्यंत गर्म, पिघला हुआ गोला
  • उल्कापिंडों की वर्षा
  • कोई वायुमंडल या पानी नहीं
  • धीरे-धीरे ठंडी हुई और पर्पटी (crust) बनी

4. वायुमंडल और जलमंडल का विकास (Evolution of Atmosphere & Hydrosphere)


4.1 वायुमंडल का विकास

चरण 1 — प्राथमिक वायुमंडल

  • नेबुला से प्राप्त हाइड्रोजन और हीलियम
  • पृथ्वी के कम गुरुत्व के कारण उड़ गए

चरण 2 — द्वितीयक वायुमंडल

  • ज्वालामुखी से गैसें निकलीं:
    • जलवाष्प
    • CO₂
    • नाइट्रोजन
    • मीथेन
    • अमोनिया
  • इस समय मुक्त ऑक्सीजन नहीं थी।

चरण 3 — आधुनिक वायुमंडल

  • पृथ्वी ठंडी हुई → जलवाष्प बारिश बनकर गिरी
  • पौधों ने प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऑक्सीजन उत्पन्न की
  • ओज़ोन परत बनी
  • जीवन के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार हुआ

4.2 जलमंडल का विकास

4.2.1 पानी की उत्पत्ति

  • ज्वालामुखीय गैसों से जलवाष्प निकली
  • ठंडा होने पर वर्षा बनी
  • बेसिनों में एकत्र होकर महासागर बने

4.2.2 जलमंडल की स्थिरता

  • लगभग 4 अरब वर्ष पहले स्थायी महासागर बने
  • जलचक्र शुरू हुआ
  • महासागरों ने जीवन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

5. स्थलमंडल का विकास (Evolution of Lithosphere)

5.1 पृथ्वी का ठंडा होना

  • प्रारंभ में पिघला हुआ गोला
  • सतह ठंडी होकर परत बनी
  • भारी धातुएँ (Fe, Ni) नीचे गईं → कोर
  • हल्के खनिज ऊपर → पर्पटी

5.2 प्रमुख चरण

चरण 1 — विभेदन

  • तत्व अलग-अलग परतों में विभाजित हुए

चरण 2 — पर्पटी निर्माण

  • प्रारंभिक पर्पटी पतली और अस्थिर
  • उल्का पिंडों के कारण बार-बार टूटती

चरण 3 — महाद्वीप और महासागरीय तल का निर्माण

  • हल्का पदार्थ → महाद्वीप
  • घना पदार्थ → महासागर तल

चरण 4 — प्लेट विवर्तनिकी की शुरुआत

  • पृथ्वी के अंदर गर्मी के कारण प्लेटें चलने लगीं
  • पर्वत, महाद्वीप और महासागर फैलते–सिकुड़ते रहे

6. जीवन की उत्पत्ति (Origin of Life)

6.1 जीवन के लिए आवश्यक शर्तें

  • तरल पानी
  • उपयुक्त तापमान
  • ओज़ोन परत से सुरक्षा
  • कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि तत्व

6.2 जीवन की उत्पत्ति के सिद्धांत

6.2.1 विशेष सृष्टि सिद्धांत

  • जीवन दैवीय शक्ति से बना — वैज्ञानिक नहीं।

6.2.2 स्वयंस्फूर्त जनन सिद्धांत

  • निर्जीव से जीवन स्वतः उत्पन्न
  • बाद में असत्य सिद्ध हुआ

6.2.3 जैवोत्पत्ति (Biogenesis)

  • जीवन केवल जीवन से आता है
  • प्रथम जीवन की व्याख्या नहीं करता

6.2.4 ओपेरिन–हैल्डेन सिद्धांत (आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धांत)

  • प्रारंभिक महासागरों में ‘रासायनिक सूप’
  • बिजली, UV किरणों से रासायनिक प्रतिक्रियाएँ
  • सरल कार्बनिक यौगिक बने
  • धीरे-धीरे कोशिकाएँ बनीं

6.3 प्रारंभिक जीव रूप

  • लगभग 3.5 अरब वर्ष पहले
  • सरल, एककोशिकीय जीव
  • बिना ऑक्सीजन (Anaerobic)
  • बाद में प्रकाश संश्लेषक जीव बने → ऑक्सीजन बढ़ी → जटिल जीवन विकसित हुआ

7. पृथ्वी का विकास (Evolution of the Earth)

7.1 भूवैज्ञानिक समयमान (Geological Time Scale)

विभाजन:

  • इयॉन → एरा → पीरियड → एपॉक

7.2 प्रमुख चरण

A. हैडियन इयॉन (4.6–4 अरब वर्ष पूर्व)

  • गर्म, पिघली पृथ्वी
  • पर्पटी और महासागर बने

B. आर्कियन इयॉन (4–2.5 अरब वर्ष पूर्व)

  • प्रथम जीवन
  • आदिम वातावरण

C. प्रोटेरोज़ोइक इयॉन (2.5 अरब–540 मिलियन वर्ष पूर्व)

  • ऑक्सीजन बढ़ी
  • ओज़ोन बना
  • बहुकोशिकीय जीवन शुरू

D. फेनरोज़ोइक इयॉन (वर्तमान)

  • जटिल पौधे और जानवर
  • महत्वपूर्ण घटनाएँ:
    • कैम्ब्रियन विस्फोट
    • मछली, उभयचर, सरीसृपों का विकास
    • डायनासोरों का उदय और विलुप्ति
    • स्तनधारी और मानव का विकास

8. पृथ्वी के विकास का सार (Summary)

  • पदार्थ का संचयन → ग्रह निर्माण
  • विभेदन → कोर, मैंटल, पर्पटी
  • ज्वालामुखीय गैसें → वायुमंडल
  • ठंडक → जलमंडल
  • रासायनिक विकास → जीवन
  • जैविक विकास → जटिल जीवन
  • भूगर्भीय परिवर्तन → महाद्वीप, पर्वत, महासागर

9. निष्कर्ष (Conclusion)

  • पृथ्वी का इतिहास निरंतर भौतिक, रासायनिक और जैविक परिवर्तनों का परिणाम है।
  • एक गर्म, पिघली गेंद से विकसित होकर पृथ्वी आज एक जीवन-समर्थक ग्रह बनी।
  • वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल का विकास क्रमशः हुआ।
  • पृथ्वी अभी भी बदल रही है—भूकंप, ज्वालामुखी, प्लेट गतियाँ, जलवायु परिवर्तन इसके उदाहरण हैं।
  • पृथ्वी को समझना इसके भविष्य का अनुमान लगाने के लिए आवश्यक है।

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