Geography class 12 cbse course A अध्याय 5


कक्षा 12 भूगोल – अध्याय 5: द्वितीयक गतिविधियाँ (Secondary Activities)


1. द्वितीयक गतिविधियों का अर्थ

  1. द्वितीयक गतिविधियाँ वे क्रियाएँ हैं जिनमें प्राथमिक गतिविधियों से प्राप्त कच्चे माल का रूपांतरण करके उपयोगी वस्तुओं में बदला जाता है।
  2. इन गतिविधियों में विनिर्माण (Manufacturing), प्रसंस्करण (Processing), निर्माण (Construction), ऊर्जा उत्पादन और असेंबलिंग शामिल हैं।
  3. द्वितीयक गतिविधियाँ अर्थव्यवस्था में मूल्य संवर्धन (Value Addition) करती हैं।
  4. यह प्राथमिक और तृतीयक क्षेत्रों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाती हैं।
  5. द्वितीयक गतिविधियों के विकास से रोजगार, शहरीकरण, तकनीकी प्रगति और औद्योगिक वृद्धि होती है।
  6. ये गतिविधियाँ संसाधनों, श्रमिकों, परिवहन और पूंजी की उपलब्धता के अनुसार विशेष क्षेत्रों में केंद्रित होती हैं।
  7. किसी क्षेत्र के औद्योगिक विकास का स्तर वहाँ की द्वितीयक गतिविधियों से मापा जा सकता है।

2. विनिर्माण (Manufacturing)

2.1 विनिर्माण का अर्थ

  1. विनिर्माण वह प्रक्रिया है जिसमें कच्चे माल को यांत्रिक, रासायनिक या जैविक प्रक्रियाओं द्वारा बड़े पैमाने पर तैयार माल में बदला जाता है।
  2. यह कार्य कारखानों, कार्यशालाओं, मिलों और बड़े औद्योगिक इकाइयों में किया जाता है।
  3. विनिर्माण श्रम-प्रधान (Labour Intensive) या पूंजी-प्रधान (Capital Intensive) हो सकता है।

2.2 विनिर्माण का महत्व

  1. अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बढ़ाता है।
  2. भारी मात्रा में रोजगार सृजित करता है।
  3. तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
  4. निर्यात बढ़ाता है और विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
  5. बुनियादी ढाँचा जैसे सड़क, बंदरगाह, बिजली और संचार का विकास करता है।
  6. देश को आत्मनिर्भर बनाता है।

2.3 विनिर्माण की प्रक्रियाओं के प्रकार

  1. विश्लेषणात्मक (Analytical) – कच्चे माल को कई घटकों में विभाजित करना (जैसे – पेट्रोलियम रिफाइनिंग)।
  2. संश्लेषणात्मक (Synthetic) – विभिन्न सामग्रियों को मिलाकर नया उत्पाद बनाना (जैसे – सीमेंट निर्माण)।
  3. प्रसंस्करण उद्योग (Processing) – उत्पादन कई चरणों में होता है (जैसे – वस्त्र उद्योग)।
  4. असेंबलिंग (Assembling) – विभिन्न पुर्जों को जोड़कर उत्पाद बनाना (जैसे – कार, मोबाइल)।

3. उद्योगों का असमान भौगोलिक वितरण

3.1 वितरण असमान क्यों है?

  1. सभी क्षेत्रों में संसाधनों की उपलब्धता समान नहीं होती।
  2. ऐतिहासिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों ने औद्योगिक स्थान निर्धारण पर प्रभाव डाला।
  3. जहाँ पहले उद्योग लगे, वहीं और उद्योग लगते चले गए (Cumulative Advantage Effect)।
  4. उद्यमियों, तकनीक और बाजार वाले क्षेत्र अधिक आगे बढ़े।

3.2 वितरण असमान बनाने वाले प्रमुख कारक

  • कच्चा माल – खनिज, कृषि उत्पाद, वन आधारित संसाधन।
  • श्रम – कुशल और अकुशल श्रमिकों की उपलब्धता।
  • ऊर्जा – बिजली, कोयला, पेट्रोलियम।
  • बाज़ार – उपभोक्ताओं की संख्या और purchasing power।
  • परिवहन और संचार – सड़क, रेल, बंदरगाह, इंटरनेट।
  • पूंजी और निवेश – वित्तीय संस्थान, बैंक।
  • सरकारी नीतियाँ – कर छूट, औद्योगिक क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र।

3.3 प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र (विश्व उदाहरण)

  1. रूर (Ruhr) क्षेत्र – जर्मनी
  2. किटाक्यूशु और केहिन – जापान
  3. मैन्युफैक्चरिंग बेल्ट – अमेरिका
  4. मुंबई–पुणे, अहमदाबाद–वडोदरा, चोता नागपुर पठार – भारत

4. समूह लाभ (Agglomeration Economies) / उद्योगों के पारस्परिक संबंध

4.1 समूह लाभ का अर्थ

  1. जब उद्योग एक क्षेत्र में समूह या क्लस्टर बनाकर स्थापित होते हैं, तो उन्हें साझा लाभ मिलता है।
  2. इससे लागत घटती है, दक्षता बढ़ती है और नवाचार तेज़ होता है।

4.2 समूह लाभ के फायदे

  1. साझा बुनियादी ढाँचा – बिजली, पानी, सड़क आदि।
  2. विशेषज्ञ श्रम उपलब्धता – कुशल कामगार आसानी से मिलते हैं।
  3. उद्योगों के बीच संबंध (Linkages) – जैसे स्टील उद्योग से ऑटोमोबाइल उद्योग को लाभ।
  4. परिवहन लागत में कमी
  5. ज्ञान का आदान-प्रदान – तकनीक जल्दी फैलती है।

4.3 उद्योगों के प्रकार के संबंध

  1. Forward Linkage – कच्चा माल किसी अगले उद्योग में जाता है।
  2. Backward Linkage – उद्योग पहले चरण के उद्योगों पर निर्भर करता है।
  3. Lateral Linkage – समान तकनीक वाले उद्योगों के बीच संबंध।

5. परिवहन और संचार सुविधाओं तक पहुँच

5.1 परिवहन का महत्व

  1. कच्चे माल को कारखानों तक पहुँचाने और तैयार वस्तुओं को बाजारों में भेजने में सहायक।
  2. परिवहन लागत उद्योग के स्थान को तय करती है।
  3. मुख्य परिवहन मार्गों के पास उद्योग अधिक विकसित होते हैं।

5.2 परिवहन के प्रकार

  1. सड़क मार्ग – कम दूरी पर लचीला परिवहन।
  2. रेल मार्ग – भारी और थोक वस्तुओं के लिए उपयुक्त।
  3. जल परिवहन – सस्ता और भारी वस्तुओं के लिए आदर्श।
  4. वायु परिवहन – महंगी और नाजुक वस्तुओं के लिए।

5.3 संचार सुविधाएँ

  1. उद्योगों में प्रबंधन, विपणन और समन्वय के लिए आवश्यक।
  2. आधुनिक उद्योग डिजिटल नेटवर्क पर निर्भर हैं।
  3. वैश्विक उत्पादन शृंखलाएँ संचार पर आधारित हैं।

6. आकार के आधार पर उद्योगों के प्रकार

6.1 गृह उद्योग / कुटीर उद्योग

  1. परिवार द्वारा घर में चलने वाली इकाइयाँ।
  2. साधारण उपकरण और स्थानीय संसाधनों का उपयोग।
  3. कम पूँजी निवेश।
  4. उत्पाद: हस्तशिल्प, कढ़ाई, लकड़ी के खिलौने, मिट्टी के बर्तन।

6.2 लघु उद्योग

  1. छोटे पैमाने पर, सीमित मशीनरी के साथ।
  2. अधिकतर स्थानीय बाजार के लिए उत्पादन।

6.3 बड़े उद्योग

  1. विशाल मशीनरी, बड़ी पूँजी और बड़ा श्रम बल।
  2. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए उत्पादन।
  3. उदाहरण: इस्पात, ऑटोमोबाइल, तेल रिफाइनरी।

7. गृह उद्योग / कुटीर विनिर्माण (Cottage Industries)

7.1 प्रमुख विशेषताएँ

  1. खाद्य, वस्त्र, काष्ठ, हस्तकला आदि के उत्पाद।
  2. ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में केंद्रित।
  3. महिला श्रमिकों की बड़ी भागीदारी।

7.2 महत्व

  1. ग्रामीण रोजगार बढ़ाता है।
  2. पलायन को रोकता है।
  3. सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखता है।

7.3 समस्याएँ

  1. आधुनिक मशीनरी की कमी।
  2. सीमित बाजार।
  3. वित्तीय सहायता की कमी।

8. कच्चे माल के आधार पर उद्योगों के प्रकार

8.1 कृषि आधारित उद्योग

  1. कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है।
  2. जैसे: चीनी, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, तेल मिल।

8.2 खनिज आधारित उद्योग

  1. लोहे, बॉक्साइट, तांबा, मैंगनीज जैसे खनिजों पर आधारित।
  2. उदाहरण: इस्पात, सीमेंट, एल्यूमीनियम।

8.3 वन आधारित उद्योग

  1. लकड़ी, गोंद, रबर आदि पर आधारित।
  2. उदाहरण: पेपर मिल, फर्नीचर।

8.4 रासायनिक उद्योग

  1. कार्बनिक और अकार्बनिक रसायनों से उत्पाद।
  2. उदाहरण: उर्वरक, प्लास्टिक, पेंट।

8.5 पशु आधारित उद्योग

  1. चमड़ा, ऊन, डेयरी उत्पाद आदि।

9. स्वामित्व के आधार पर उद्योग

9.1 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग

  1. सरकारी स्वामित्व और संचालन।
  2. उद्देश्य – जनहित, आवश्यक सेवाएँ।

9.2 निजी क्षेत्र के उद्योग

  1. निजी व्यक्तियों या कंपनियों का स्वामित्व।
  2. उद्देश्य – लाभ अर्जित करना।

9.3 संयुक्त क्षेत्र

  1. सरकारी और निजी दोनों का संयुक्त स्वामित्व।

9.4 सहकारी क्षेत्र

  1. समूहों द्वारा संचालित उद्योग।
  2. उदाहरण: अमूल डेयरी सहकारिता।

10. निष्कर्ष

  1. द्वितीयक गतिविधियाँ किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का प्रमुख आधार हैं।
  2. ये कच्चे माल का मूल्य बढ़ाती हैं और उद्योगों को मजबूती देती हैं।
  3. उद्योगों का वितरण असमान होता है लेकिन यह संसाधनों और बुनियादी ढाँचे पर निर्भर करता है।
  4. औद्योगिक समूह (clusters) देश और क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाते हैं।
  5. परिवहन, संचार, पूंजी और तकनीक उद्योगों के विकास की रीढ़ हैं।
  6. कुटीर, लघु और बड़े उद्योग सभी मिलकर अर्थव्यवस्था को व्यापक बनाते हैं।
  7. स्वामित्व और कच्चे माल के आधार पर उद्योग वर्गीकृत किए जाते हैं।
  8. भविष्य की औद्योगिक वृद्धि टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल और तकनीक आधारित होगी।

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