इतिहास – कक्षा 11 (कोर्स A)
अध्याय 3 : घुमंतू साम्राज्य (Nomadic Empires)
1. परिचय : घुमंतू साम्राज्य
- घुमंतू समुदायों का महत्व
- मध्य एशिया की विशाल घासभूमियों (स्टेपी) में रहने वाले लोग।
- जीवनशैली गतिशील—पशुपालन, मौसमी प्रवास पर आधारित।
- एशिया–यूरोप की राजनीति, व्यापार और संस्कृति पर गहरा प्रभाव।
- गलत धारणाएँ
- कई बार केवल विनाशकारी योद्धाओं के रूप में दर्शाए जाते हैं।
- वास्तविकता: व्यापार के संरक्षक, सांस्कृतिक सेतु और राजनीतिक एकीकरण के वाहक।
- यूरेशियन स्टेपी का महत्व
- मंचूरिया से लेकर हंगरी तक फैला क्षेत्र।
- घास, जल और पशुओं के लिए आदर्श भूमि।
- कठोर जलवायु ने इन्हें लचीला और युद्धक बनाया।
- घोड़े का केंद्रीय स्थान
- यात्रा, युद्ध, चरवाहगी, संचार—सभी के लिए घोड़ा अनिवार्य।
- इसी कारण स्टेपी योद्धा विश्व के सबसे तेज और चुस्त घुड़सवार बने।
- स्थाई समाजों से संबंध
- व्यापार–संघर्ष–सहअस्तित्व का मिला-जुला इतिहास।
- घुमंतू घोड़े, खालें व कच्चा माल देते; स्थाई समाज अनाज, वस्त्र, धातुएँ।
- प्रमुख पूर्ववर्ती संघ
- मंगोलों से पहले—स्युंगनू, तुर्क, उइगुर, खितान।
- मंगोल इन्हीं परंपराओं को अपनाकर आगे बढ़े।
2. मंगोलों की सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि
A. सामाजिक संरचना
- कुलों और जनजातियों की संरचना
- समाज कई कुलों (ओबोक) से बना था।
- अनेक कुल मिलकर एक जनजाति बनाते, जिसका नेतृत्व सरदार करते।
- पितृवंशीय व्यवस्था
- वंश और उत्तराधिकार पिता की ओर से चलता।
- पुरुष नेतृत्व प्रमुख, परंतु महिलाओं की भूमिका मजबूत।
- महिलाओं की भूमिका
- पुरुषों के अभियान पर रहने पर महिलाएँ घरेलू और आर्थिक प्रबंधन संभालतीं।
- पशुपालन, तंबू प्रबंधन, कूटनीति तक में सहयोग।
- उन्हें संपत्ति रखने का अधिकार भी था।
- चरवाहा जीवन
- मोटे ऊन के तंबू (युर्ट/गेर) में निवास।
- मौसम और घास के अनुसार निरंतर स्थान परिवर्तन।
- भेड़, बकरी, ऊँट, घोड़े—मुख्य संसाधन।
- जीवन कौशल
- बचपन से ही घुड़सवारी, तीरंदाजी, पशुपालन।
- हथियार, चमड़े के सामान और गाड़ियों का स्थानीय निर्माण।
- सामाजिक गतिशीलता
- प्रतिभा और निष्ठा के आधार पर पदोन्नति।
- दास/नोक़र (nökor) भी श्रेष्ठ योद्धा बन सकते थे।
B. राजनीतिक पृष्ठभूमि
- विभाजित जनजातियाँ
- चंगेज़ खान से पहले मंगोल कई प्रतिद्वंद्वी गुटों में बँटे थे।
- तातार, केरेइत, नैमान, मेरकित जैसे शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी।
- संबंध और गठबंधन
- विवाह, उपहार विनिमय, शपथ–मित्रता (अंदा) से गठबंधन बनते।
- नेतृत्व का आधार करिश्मा और युद्ध कौशल।
- कुरिलतई परंपरा
- सभी प्रमुख सरदारों की सभा।
- खान का चुनाव, युद्ध निर्णय और विवाद समाधान।
- बाहरी दबाव
- चीन के जिन व सोंग वंश और ख्वारज़्म जैसे साम्राज्यों का हस्तक्षेप।
- व्यापारिक मार्गों और कर-संग्रह को लेकर संघर्ष।
- एकता की आवश्यकता
- सुरक्षा और सम्मान के कारण जनजातियाँ महासंघों में संगठित होने लगीं।
- इसी वातावरण से चंगेज़ खान का उदय हुआ।
3. चंगेज़ ख़ान का जीवन और कार्य
A. प्रारंभिक जीवन
- जन्म और परिवार
- लगभग 1162 ई. में जन्म, मूल नाम ‘तेमुजिन’।
- पिता यसूगई—बोरजिगिन कुल के छोटे सरदार।
- पिता की मृत्यु के बाद परिवार निर्धन और असुरक्षित हो गया।
- कठिन बचपन
- शिकार कर के जीवनयापन।
- विश्वासघात, संघर्ष और राजनीतिक साज़िशों का अनुभव।
- बोर्ते से विवाह
- विवाह से राजनीतिक गठबंधन मजबूत हुआ।
- बोर्ते का मेरकित द्वारा अपहरण—तेमुजिन ने उसे मुक्त कराया;
इस अभियान में भविष्य के सेनापतियों से गठजोड़ बना।
B. शक्ति की ओर उदय
- नए प्रकार के गठबंधन
- कुल-सम्बंध की बजाय योग्यता और वफादारी पर आधारित समर्थन।
- निचले वर्गों को भी अवसर।
- प्रतिद्वंद्वी जनजातियों से संघर्ष
- तातार, केरेइत, नैमान आदि को पराजित किया।
- 1206 का महान कुरिलतई
- सभी जनजातियाँ एकजुट।
- temuजिन को ‘चंगेज़ ख़ान’ – विश्व शासक घोषित किया।
- मंगोल साम्राज्य का आधिकारिक गठन।
C. चंगेज़ ख़ान के सैन्य अभियान
- सी-शिया (Xi Xia) अभियान
- मंगोल सेनाओं का पहला बड़ा परीक्षण।
- घेरेबंदी तकनीक और रसद सुधरी।
- जिन साम्राज्य (उत्तरी चीन) पर आक्रमण
- व्यापारिक प्रतिबंध और राजनीतिक तनाव प्रमुख कारण।
- 1215 में बीजिंग (झोंगदू) पर विजय।
- मध्य एशिया अभियान
- ख्वारज़्म शाह द्वारा दूतों की हत्या मुख्य कारण।
- बुखारा, समरकंद, हरात जैसे बड़े नगर जीते।
- पश्चिमी क्षेत्र में विस्तार
- काकेशस, कास्पियन सागर क्षेत्र, पूर्वी यूरोप तक पहुँच।
- युद्ध की रणनीतियाँ
- तीव्र गति, भ्रम फैलाना, मनोवैज्ञानिक युद्ध।
- जासूस, स्काउट, नकली पीछे हटना, घेराबंदी।
D. चंगेज़ ख़ान का नेतृत्व
- योग्यता-आधारित पद
- जन्म नहीं, क्षमता के आधार पर उच्च पद।
- यासा – कानून संहिता
- सेना, अनुशासन, विवाह, चोरी, शासन आदि के नियम।
- कठोर दंड व्यवस्था।
- धार्मिक सहिष्णुता
- बौद्ध, मुस्लिम, ईसाई, शमानी—सभी को संरक्षण।
- साम्राज्य में स्थिरता का साधन।
- व्यापार प्रोत्साहन
- व्यापारियों को ‘पाइज़ा’ पासपोर्ट दिए।
- सिल्क रूट पर सुरक्षा सुनिश्चित।
- विरासत
- मृत्यु के बाद भी साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा भू-आधारित साम्राज्य बना।
- घुमंतू शक्ति को वैश्विक रूप दिया।
4. चंगेज़ ख़ान के बाद मंगोल साम्राज्य
A. उत्तराधिकार और विभाजन
- 1227 में मृत्यु
- स्टेपी परंपरा के अनुसार साम्राज्य पुत्रों में बाँटा गया।
- परंतु सर्वोच्च खान का चुनाव कुरिलतई करता था।
- ओगदई खान (1229–1241)
- रूस, पोलैंड, हंगरी तक विजय।
- जिन वंश पर विजय पूर्ण की।
- ग्युयुक और मौंगके खान
- मौंगके ने मध्य पूर्व पर विशाल अभियान चलाया।
- 1258: बगदाद पर कब्ज़ा, अब्बासी ख़िलाफ़त का अंत।
B. चार प्रमुख ख़ानातों का निर्माण
- गोल्डन हॉर्ड (रूस–पूर्वी यूरोप)
- बातू खान द्वारा स्थापित।
- रूसी रियासतों और वोल्गा क्षेत्र पर नियंत्रण।
- इलख़ानी साम्राज्य (फ़ारस व मध्य-पूर्व)
- हुलागू द्वारा स्थापित।
- फ़ारसी संस्कृति और प्रशासन पर बड़ा प्रभाव।
- चगताई ख़ानात (मध्य एशिया)
- समरकंद, बुखारा जैसे रेशम-मार्ग शहरों पर नियंत्रण।
- बाद में तैमूर का उदय इसी क्षेत्र से।
- युआन वंश (चीन)
- कुबलई खान द्वारा स्थापित (1271)।
- चीन में मंगोल शासन का चीनीकरण।
- सोंग वंश का अंत, चीन का पुनः एकीकरण।
C. ‘पैक्स मंगोलिका’ – मंगोल शांति का युग
- अर्थ
- 13वीं–14वीं सदी में यूरेशिया में स्थिरता और सुरक्षित यात्रा का काल।
- लाभ
- रेशम मार्ग का पुनरुत्थान।
- तकनीक, औषधि, पौधे, ज्ञान, दर्शन का आदान-प्रदान।
- प्रमुख यात्री और दूत
- मार्को पोलो, इब्न बतूता, जॉन कार्पिनी आदि।
- पूर्व–पश्चिम के बीच ज्ञान का पुल।
- सांस्कृतिक विनिमय
- बारूद, कम्पास, चीनी मुद्रण, फ़ारसी खगोलशास्त्र का प्रसार।
5. मंगोलों का सामाजिक, राजनीतिक और सैन्य संगठन
A. सामाजिक संगठन
- कुल-आधारित परंतु लचीला ढाँचा
- वफादारी जन्म से अधिक महत्वपूर्ण।
- बाहरी, दास और मित्र भी मंगोल समूह का हिस्सा बन सकते थे।
- महिला नेतृत्व की संभावना
- कई रानियाँ और वरिष्ठ महिलाएँ शासन में प्रभावशाली रहीं।
- विशेषकर ख़ानातों में रीजेंट के रूप में शासन।
- यासा – अनुशासन और कानून
- चोरी, झूठ, गद्दारी पर कड़े दंड।
- शासन और सेना दोनों में व्यवस्था बनाए रखता था।
B. राजनीतिक संगठन
- खान – सर्वोच्च सत्ता
- चुनाव कुरिलतई में।
- खुद को ‘टेंग्री’ (आकाश देवता) द्वारा चुना हुआ मानते।
- विकेंद्रीकरण
- हर खानात एक शाखा द्वारा संचालित।
- स्थानीय रीति–रिवाजों को मान्यता।
- प्रशासन
- शहरों में जनगणना।
- कर-संग्रह व्यापारी समूहों या स्थानीय अधिकारियों को सौंपा जाता।
- धार्मिक सहिष्णुता
- पुजारियों को कर से छूट।
- बहुसांस्कृतिक साम्राज्य में शांति बनाए रखी।
C. सैन्य संगठन
- घुड़सवार सेना प्रमुख शक्ति
- हल्की व भारी घुड़सवार टुकड़ियाँ।
- दुश्मन पर तेज और अचानक हमला।
- दशमलव प्रणाली
- 10 (आर्बन)
- 100 (जून)
- 1,000 (मिंगघान)
- 10,000 (तुमेन)
- आदेश और नियंत्रण में सुविधा।
- अनुशासन
- सैनिक बचपन से प्रशिक्षित।
- हर इकाई अपने सदस्यों की जिम्मेदार।
- हथियार और रणनीति
- मिश्रित धनुष, भाले, तलवार, फंदे।
- नकली पलायन, चारों ओर से घेराबंदी, तेज आक्रमण।
- सूचना और संचार
- ‘याम’ प्रणाली—घुड़सवारी स्टेशन।
- संदेश तेजी से भेजे जाते।
- घेराबंदी तकनीक
- चीन व फ़ारस के अभियंताओं से तकनीकें अपनाईं।
- गुलेल, आग के तीर, सुरंगें और नाकाबंदी।
6. निष्कर्ष
- मंगोल साम्राज्य ने यूरेशिया के इतिहास को गतिशीलता, अनुकूलन क्षमता और युद्ध कला से बदला।
- केवल विजेता नहीं—बल्कि व्यापारी, यात्रियों और विद्वानों के संरक्षक भी।
- चंगेज़ खान ने विभाजित जनजातियों को एकजुट कर विश्व का विशालतम भू-साम्राज्य बनाया।
- उनकी मृत्यु के बाद साम्राज्य विभिन्न ख़ानातों में विभाजित हुआ, जो अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली रहे।
- मंगोलों ने बेहतर संचार व्यवस्था, धार्मिक सहिष्णुता, और कुशल प्रशासन को बढ़ावा दिया।
- विनाश के साथ-साथ उन्होंने व्यापार, संस्कृति और ज्ञान के आदान-प्रदान को भी बल दिया।
- घुमंतू समाजों ने सिद्ध किया कि गतिशीलता और अनुकूलन क्षमता भी सभ्यता को दिशा दे सकती है।
