इतिहास कक्षा 11 — कोर्स A
अध्याय 1 : प्रारम्भिक समाज — मेसोपोटामिया
1. प्रारम्भिक समाजों का परिचय
1.1 प्रारम्भिक समाज क्या थे?
- प्रारम्भिक समाज वे समुदाय थे जो कृषि के विकास के बाद बने।
- लगभग 10,000 ईसा पूर्व नये पाषाण युग (Neolithic Revolution) में मनुष्य ने खानाबदोश जीवन छोड़कर स्थायी खेती शुरू की।
- इसी परिवर्तन ने गांव, शहर, उत्पादन, व्यापार, शासन, संस्कृति और सभ्यता की नींव रखी।
- विश्व की प्रथम जटिल सभ्यताएँ थीं:
- मेसोपोटामिया
- मिस्र
- सिन्धु घाटी
- चीन
- इन सबमें मेसोपोटामिया सबसे प्राचीन और प्रलेखित सभ्यता थी, क्योंकि यहाँ सबसे पहले लेखन विकसित हुआ।
1.2 प्रारम्भिक समाजों का अध्ययन क्यों?
- इससे शासन, अर्थव्यवस्था, शहरीकरण, कानून, संस्कृति और तकनीक की उत्पत्ति समझ में आती है।
- यह दिखाता है कि मनुष्य ने प्राकृतिक चुनौतियों से कैसे निपटा।
- सबसे पहली नगर-सभ्यताओं की संरचना और सामाजिक विभाजन समझ में आते हैं।
- वैज्ञानिक, तकनीकी, गणितीय और साहित्यिक योगदानों को समझा जा सकता है।
- प्रारम्भिक समाज आधुनिक समाज की बुनियादी संरचनाओं के निर्माण की कहानी बताते हैं।
2. मेसोपोटामिया और उसका भूगोल
2.2 स्थान
- “मेसोपोटामिया” शब्द का अर्थ है “दो नदियों के बीच की भूमि”।
- टिगरिस नदी
- यूफ्रेटिस नदी
- यह क्षेत्र आज का इराक, सीरिया, तुर्की और ईरान का कुछ भाग है।
- इसे फ़र्टाइल क्रेसेंट (उपजाऊ अर्धचंद्राकार क्षेत्र) भी कहा जाता है।
2.3 प्रमुख भू-आकृतिक क्षेत्र
मेसोपोटामिया को तीन बड़े भागों में बाँटा जा सकता है:
- उत्तरी मेसोपोटामिया (असीरिया क्षेत्र)
- पहाड़ी भाग, पर्याप्त वर्षा।
- गेहूँ, जौ की वर्षा आधारित खेती।
- लकड़ी, धातु और पत्थर उपलब्ध।
- मध्य मेसोपोटामिया (अक्कद क्षेत्र)
- अर्ध-शुष्क क्षेत्र।
- सिंचाई पर निर्भर खेती।
- नदी मार्ग से व्यापार आकर्षक।
- दक्षिणी मेसोपोटामिया (सुमेर और बेबीलोन)
- समतल, अत्यधिक उपजाऊ मैदान।
- वर्षा कम होने के कारण नहरें आवश्यक।
- बड़े नगरों का उद्भव यहीं हुआ।
2.4 पर्यावरणीय चुनौतियाँ
- नदियों की अनियमित बाढ़।
- कुछ क्षेत्रों में बार-बार सूखा।
- अत्यधिक सिंचाई से मिट्टी का लवणीकरण।
- कुछ भागों में लकड़ी, धातु और पत्थर की कमी।
2.5 भूगोल का सभ्यता पर प्रभाव
- उपजाऊ भूमि → अधिक उत्पादन → जनसंख्या वृद्धि → गाँव → नगर।
- नहरों और बांधों के लिए संगठित श्रम → प्रशासन की शुरुआत।
- कच्चे माल की कमी → दूर-दराज़ से व्यापार।
- नदियों के रास्ते यात्रा और आदान-प्रदान को बढ़ावा।
3. शहरीकरण का महत्व
3.1 शहरीकरण क्या है?
- शहरीकरण का अर्थ है विशाल बसाहटों, नगरों और प्रशासनिक ढाँचे का विकास।
- मेसोपोटामिया में विश्व के प्रथम नगर बने:
- उरुक
- उर
- निप्पुर
- लगश
- किश
- बेबीलोन
3.2 मेसोपोटामिया में शहरीकरण की विशेषताएँ
- जनसंख्या का घनत्व
- हजारों की संख्या में लोग एक नगर में रहते थे।
- अलग-अलग पेशे, अलग-अलग आवासीय इलाके।
- नगर नियोजन
- मंदिर, ज़िगुरैट, बाजार, कार्यशालाएँ, महल।
- राजनैतिक व्यवस्था
- कर संग्रह, न्याय, सुरक्षा, सैनिक व्यवस्था।
- आर्थिक विविधता
- किसान
- कारीगर
- व्यापारी
- सैनिक
- लेखक (scribe)
- पुरोहित
- संस्कृति की उन्नति
- लेखन, गणित, कला, साहित्य, धर्म।
- सामाजिक श्रेणियाँ
- राजा
- पुरोहित
- अधिकारी
- व्यापारी, कारीगर
- किसान
- दास
3.3 शहरीकरण क्यों महत्वपूर्ण था?
- सामूहिक सिंचाई परियोजनाओं के लिए संगठन।
- व्यापार, उत्पादन और प्रशासन को सुव्यवस्थित किया।
- वैज्ञानिक और सांस्कृतिक उपलब्धियाँ विकसित हुईं।
- नगर ज्ञान और शक्ति के केन्द्र बने।
4. वस्तुओं और नगरों का प्रबंधन
4.1 पुनर्वितरण व्यवस्था (Redistributive Economy)
- मंदिर और महल दोनों ही उत्पादन, भंडारण और वितरण का केन्द्र थे।
- किसान अनाज, वस्त्र, तेल आदि कर स्वरूप देते थे।
- श्रमिकों को परिश्रम के बदले राशन मिलता था।
4.2 मंदिर की भूमिका (Ziggurat मंदिर)
- धार्मिक केंद्र के साथ-साथ:
- आर्थिक संस्था
- भंडारगृह
- प्रशासनिक कार्यालय
- भूमि प्रबंधन
- पुरोहित नहरों की देखरेख और श्रम के वितरण का नियंत्रण करते थे।
4.3 महल प्रणाली
- राजा का अधिकार स्थापित होने पर महलों का महत्व बढ़ा।
- महल के कार्य:
- कर व्यवस्था
- विशाल निर्माण
- सेना का संचालन
- न्याय
- राजनीतिक गठबंधन
4.4 श्रम संगठन
- किसान
- गड़रिये
- कारीगर
- सैनिक
- लेखक
- नहर श्रमिक
4.5 व्यापार
- कच्चे माल की कमी → अन्य क्षेत्रों से व्यापार।
- व्यापारिक साझेदार:
- भारत की सिंधु घाटी (मेलुह्हा)
- ईरान
- तुर्की (अनातोलिया)
- बहरीन (दिलमुन)
- ओमान (मगन)
4.6 मानकीकरण
- वजन व माप निर्धारित किए गए:
- शेकेल
- मीना
- टैलेंट
5. लेखन का विकास
5.1 शुरुआत
- लगभग 3200 ईसा पूर्व उरुक क्षेत्र में लेखन शुरू हुआ।
- प्रारम्भिक उपयोग:
- कर रिकॉर्ड
- व्यापार विवरण
- भंडार प्रबंधन
5.2 लेखन के चरण
- चित्रलिपियाँ (Pictographs)
- वस्तुओं के चित्र।
- शब्द संकेत (Logographic)
- शब्दों को दर्शाने वाले चिन्ह।
- कीलाक्षर लिपि (Cuneiform)
- मिट्टी की तख्तियों पर नुकीली कलम से खांचे।
5.3 लेखन सामग्री
- मिट्टी की तख्तियाँ
- सरकंडे की कलम
- बाद में धातु व पत्थर पर भी लेखन
5.4 किस-किस विषय पर लेखन?
- कर
- व्यापार
- कानून
- ऋण-पत्र
- साहित्य
- धार्मिक ग्रंथ
- इतिहास
- गणित और ज्योतिष
5.5 प्रमुख साहित्य
- गिलगमेश का महाकाव्य
- सृष्टि कथाएँ
- महाप्रलय का वर्णन
- हम्मुराबी की संहिता
6. लेखन प्रणाली और उसका उपयोग
6.1 आर्थिक उपयोग
- कर विवरण
- अनाज, तेल, ऊन का लेखा
- वेतन और राशन रजिस्टर
- व्यापारिक सौदे
6.2 राजनीतिक उपयोग
- शाही आदेश
- कानून
- संधियाँ
- सीमा निर्धारण
6.3 सांस्कृतिक उपयोग
- महाकाव्य
- मिथक
- प्रार्थनाएँ
- अनुष्ठान
6.4 शिक्षा प्रणाली (E-dubba)
- लेखक विद्यालयों में विद्यार्थी हजारों चिन्ह सीखते थे।
- गणित, व्याकरण, कानून, प्रशासन सिखाया जाता था।
- लेखक समाज के उच्च वर्ग माने जाते थे।
6.5 सामाजिक प्रभाव
- प्रशासन मजबूत हुआ।
- ज्ञान का संचय और संरक्षण संभव हुआ।
- साक्षर वर्ग का उदय हुआ।
7. दक्षिणी मेसोपोटामिया में शहरीकरण
7.1 दक्षिणी क्षेत्र में नगर क्यों विकसित हुए?
- सर्वाधिक उपजाऊ भूमि।
- नदी से प्राप्त गाद।
- सिंचाई योग्य विशाल समतल क्षेत्र।
- व्यापार के लिए नदी मार्ग उपलब्ध।
7.2 प्रमुख नगर
- उरुक
- उर
- लगश
- निप्पुर
- लारसा
7.3 शहरी विकास की विशेषताएँ
- विशाल मंदिर और ज़िगुरैट।
- नहरों का जाल।
- कांस्य तकनीक का विकास।
- संगठित व्यापार नेटवर्क।
- पूर्णकालिक कारीगर।
7.4 कृषि उन्नति
- हल के उन्नत रूप।
- बीज बोने की तकनीक।
- दिनांक और वर्ष गणना से कृषि योजना।
- जौ, खजूर, दालें, सब्जियाँ।
7.5 तकनीकी नवाचार
- चाक पर घुमाई जाने वाली मिट्टी की कला।
- कांस्य (तांबा + टिन) का उपयोग।
- नावें और पाल।
- लेखांकन टोकन → लेखन प्रणाली।
8. नगरों में जीवन
8.1 सामाजिक वर्ग
- राजा
- पुरोहित
- अधिकारी
- व्यापारी, कारीगर
- किसान
- दास
8.2 परिवार और विवाह
- पितृसत्तात्मक समाज।
- विवाह अनुबंध बनाए जाते थे।
- महिलाएँ संपत्ति रख सकती थीं।
- तलाक विशेष परिस्थितियों में संभव।
8.3 आवास
- कच्ची ईंटों के घर।
- आँगन वाला घर आम था।
- संपन्न लोग दो-मंज़िला घरों में।
- गरीब छोटे एक कमरे में रहते थे।
8.4 रोज़मर्रा के पेशे
- व्यापारी
- कुम्हार
- बुनकर
- बढ़ई
- धातुकार
- लेखक
- पुरोहित
- नाविक
- गड़रिये
8.5 भोजन
- जौ की रोटी
- बीयर
- खजूर
- मांस (कभी-कभी)
- सब्जियाँ
- मछली
8.6 धर्म
- अनेक देवताओं में विश्वास।
- प्रमुख देवता:
- अनु (आकाश)
- एनलिल (वायु)
- एन्की (बुद्धि)
- इनाना/इश्तर (प्रेम व युद्ध)
- प्रकृति के सभी पहलुओं को देवताओं से जोड़ा गया।
- ज़िगुरैट पवित्र स्थल माने जाते थे।
8.7 शिक्षा
- लेखन, गणित, प्रशासन का प्रशिक्षण।
- कठोर अनुशासन।
- शिक्षा उच्च वर्ग में सीमित।
8.8 कानून व्यवस्था
- उर-नम्मू की संहिता
- हम्मुराबी की संहिता (सबसे प्रसिद्ध)
- संपत्ति संरक्षण
- दंड के स्पष्ट नियम
- न्याय प्रणाली व्यवस्थित
9. नगर, संस्कृति और मेसोपोटामिया की लेखन परंपरा
9.1 सांस्कृतिक उपलब्धियाँ
- विश्व के सबसे प्राचीन साहित्यिक ग्रंथ।
- भव्य ज़िगुरैट और वास्तुकला।
- गणित में 60 आधारित प्रणाली।
- खगोलीय गणनाएँ।
- चिकित्सा विज्ञान के प्रारम्भिक ग्रंथ।
9.2 वैज्ञानिक ज्ञान
- ग्रह-नक्षत्रों की चाल।
- ग्रहण पूर्वानुमान।
- ज्यामिति, बीजगणित।
- गुणा-भाग तालिकाएँ।
9.3 कला
- सिलेंडर सीलें।
- धातु कारीगरी।
- चित्रलिपि कला।
- सोना, चांदी, लैपिस लाजुली के आभूषण।
9.4 व्यापार व सांस्कृतिक संपर्क
- सिंधु घाटी, ईरान, तुर्की, ओमान, बहरीन के साथ व्यापार।
- विचारों, तकनीकों और संस्कृति का आदान-प्रदान।
9.5 नगर सांस्कृतिक केंद्र क्यों बने?
- विद्वानों, पुरोहितों और व्यवसायियों का संगम।
- प्रशासन, शिक्षा और कला का विकास।
- विशाल पुस्तकालय, संग्रहालय और अभिलेखागार।
10. निष्कर्ष
- मेसोपोटामिया मानव इतिहास की प्रथम महान नगर-सभ्यता थी।
- इसका भूगोल, नदियाँ और उपजाऊ भूमि इसके विकास के मुख्य आधार थे।
- लेखन, गणित, कानून, प्रशासन और व्यापार की शुरुआत ने इसे अत्याधुनिक बनाया।
- शहरीकरण, सामाजिक संरचनाएँ और धार्मिक संस्थाएँ व्यवस्थित रूप में उभरीं।
- मेसोपोटामिया की उपलब्धियों ने आने वाली सभ्यताओं—मिस्र, यूनान, रोम, भारत—सभी को प्रभावित किया।
- इसके अध्ययन से आधुनिक समाज, शासन, नगर, कानून और संस्कृति की उत्पत्ति समझने में मदद मिलती है।
