कक्षा 12 – इतिहास (Course C)CBSE chapter 1 नमूना प्रश्नपत्र


🏛️ CBSE नमूना प्रश्नपत्र 2025

कक्षा 12 – इतिहास (Course C)

अध्याय 1 – औपनिवेशिकता और ग्रामीण क्षेत्र : आधिकारिक अभिलेखों का अध्ययन
पूर्णांक : 40
समय : 1 घंटा 30 मिनट


✳️ खंड – A : अत्यंत लघु उत्तरीय प्रश्न (1 × 5 = 5 अंक)

(प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 20–30 शब्दों में दीजिए)


प्र.1. बंगाल में 1793 ई. में स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  • लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा 1793 में लागू किया गया।
  • ज़मींदारों को स्थायी भू-स्वामी माना गया।
  • हर वर्ष निश्चित राजस्व देना अनिवार्य था।
  • राजस्व दर स्थायी रूप से निश्चित की गई।
  • ज़मींदार किसानों से किराया वसूल करते थे।
    (1 अंक)

प्र.2. औपनिवेशिक भारत में ‘रैयत’ कौन थे?
उत्तर:

  • रैयत वे वास्तविक कृषक थे जो भूमि की खेती करते थे।
  • रैयतवाड़ी व्यवस्था में वे सीधे सरकार को लगान देते थे।
  • वे भूमि के स्वामी माने जाते थे परन्तु उच्च करों से पीड़ित रहते थे।
    (1 अंक)

प्र.3. 1875 के दक्कन विद्रोह (Deccan Riots) का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर:

  • महाजनों द्वारा अत्यधिक सूद वसूली, कर्ज़ का बोझ और भूमि की नीलामी।
  • कपास के भाव गिरने से किसानों की आय कम हुई और ऋण बढ़ा।
    (1 अंक)

प्र.4. दक्कन विद्रोह आयोग (Deccan Riots Commission) की भूमिका क्या थी?
उत्तर:

  • 1878 में गठित किया गया।
  • विद्रोह के कारणों की जाँच की।
  • किसानों, महाजनों और अधिकारियों से साक्ष्य लिए।
  • ब्याज दर सीमित करने और किसानों की रक्षा के सुझाव दिए।
    (1 अंक)

प्र.5. ‘आधिकारिक अभिलेख’ (Official Archives) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:

  • औपनिवेशिक शासन द्वारा रखे गए प्रशासनिक दस्तावेज़, रिपोर्ट और पत्राचार को आधिकारिक अभिलेख कहते हैं।
  • ये इतिहास अध्ययन के प्रमुख प्राथमिक स्रोत हैं।
    (1 अंक)

✳️ खंड – B : लघु उत्तरीय प्रश्न (3 × 4 = 12 अंक)

(प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 80–100 शब्दों में दीजिए)


प्र.6. स्थायी बंदोबस्त का बंगाल के ज़मींदारों और किसानों पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर:

  • अनेक ज़मींदार राजस्व न दे पाने के कारण अपनी ज़मीनों से वंचित हुए।
  • कई ज़मींदार शहरों में रहने लगे – अनुपस्थित ज़मींदारी बढ़ी।
  • किसानों पर ऊँचे किराये और बेगारी का बोझ पड़ा।
  • उत्पादन में गिरावट आई, कृषि सुधार नहीं हुए।
  • ज़मींदार-किसान संबंधों में तनाव बढ़ा।
    (3 अंक)

प्र.7. दक्कन क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था (Ryotwari System) की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर:

  • थॉमस मनरो द्वारा लागू की गई।
  • प्रत्येक किसान को भूमि का स्वामी माना गया।
  • सरकार सीधे किसान से राजस्व वसूल करती थी।
  • भूमि की गुणवत्ता के आधार पर कर तय होता था।
  • कर बहुत अधिक होने से किसान कर्ज़ में डूब गए।
    (3 अंक)

प्र.8. दक्कन विद्रोह के बाद किसानों की सहायता के लिए कौन से कानूनी कदम उठाए गए?

उत्तर:

  • दक्कन कृषक राहत अधिनियम (1879) लागू किया गया।
  • ब्याज दरों पर सीमा तय की गई।
  • गैर-कृषकों को भूमि बेचने पर रोक लगाई गई।
  • किसानों को न्यायालय में महाजनों के अन्याय को चुनौती देने का अधिकार मिला।
    (3 अंक)

प्र.9. आधिकारिक अभिलेखों से इतिहासकारों को औपनिवेशिक ग्रामीण जीवन के बारे में क्या जानकारी मिलती है?

उत्तर:

  • भूमि स्वामित्व, कर-प्रणाली और सामाजिक संबंधों का विवरण मिलता है।
  • प्रशासनिक रिपोर्टों से राज की नीतियाँ ज्ञात होती हैं।
  • इन अभिलेखों को आलोचनात्मक दृष्टि से पढ़ने पर किसानों की आवाज़ भी झलकती है।
  • ये औपनिवेशिक दृष्टिकोण को समझने के साथ-साथ प्रतिरोध की झलक भी देते हैं।
    (3 अंक)

✳️ खंड – C : दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 × 3 = 15 अंक)

(प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 150–200 शब्दों में दीजिए)


प्र.10. बंगाल में स्थायी बंदोबस्त लागू करने के कारणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर:

  • 1765 में दीवानी अधिकार मिलने के बाद कंपनी को स्थिर आय की आवश्यकता थी।
  • वार्षिक बंदोबस्त असफल रहा, किसानों की स्थिति बिगड़ती गई।
  • अंग्रेज़ अधिकारी मानते थे कि स्थायी भू-स्वामी कृषि में सुधार करेंगे।
  • लॉर्ड कॉर्नवालिस और शोर ने एक स्थायी व्यवस्था तैयार की जिसमें ज़मींदारों को स्थायी अधिकार दिए गए।
  • उद्देश्य था – नियमित राजस्व प्राप्त करना और कृषि उत्पादन बढ़ाना।
  • परंतु ज़मींदारों ने भूमि सुधार नहीं किए और किसानों का शोषण बढ़ गया।
    (5 अंक)

प्र.11. दक्कन विद्रोह (1875) के कारण, घटनाक्रम और परिणाम स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
(क) कारण:

  • रैयतवाड़ी व्यवस्था में अधिक कर।
  • 1865 के बाद कपास के दाम गिरना।
  • महाजनों द्वारा अत्यधिक ब्याज और बेईमानी से खाता रखना।

(ख) घटनाक्रम:

  • मई 1875 में अहमदनगर के सूपा गाँव से विद्रोह प्रारंभ हुआ।
  • किसानों ने महाजनों के घरों पर आक्रमण कर ऋण-पत्र जला दिए।
  • आंदोलन पुणे व आसपास फैल गया।
  • सरकारी अधिकारियों को नुकसान नहीं पहुँचाया गया।

(ग) परिणाम:

  • सरकार ने इसे आर्थिक समस्या माना।
  • 1878 में दक्कन दंगे आयोग गठित हुआ।
  • 1879 में कृषक राहत अधिनियम लागू हुआ।
  • पहली बार ब्रिटिश सरकार ने किसानों की शिकायतों को स्वीकार किया।
    (5 अंक)

प्र.12. औपनिवेशिक भारत के इतिहास के पुनर्निर्माण में आधिकारिक अभिलेखों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर:

  • ब्रिटिश शासन ने व्यापक रिपोर्टें, सर्वेक्षण और कानून-संबंधी दस्तावेज़ तैयार किए।
  • इनसे शासन की नीतियाँ, आर्थिक ढांचा और सामाजिक नियंत्रण स्पष्ट होता है।
  • अभिलेखों में औपनिवेशिक दृष्टिकोण परिलक्षित होता है परंतु किसान-जीवन की झलक भी मिलती है।
  • इतिहासकार “पंक्तियों के बीच पढ़ने” (Reading Against the Grain) की विधि अपनाते हैं।
  • इससे छिपे हुए जनमत, विरोध और ग्रामीण वास्तविकता सामने आती है।
  • अतः ये स्रोत अपूर्ण होते हुए भी औपनिवेशिक भारत को समझने में अत्यंत उपयोगी हैं।
    (5 अंक)

✳️ खंड – D : स्रोत आधारित प्रश्न (8 अंक)


निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़िए और नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

“सूपा गाँव में किसान एकत्र हुए और महाजनों के घरों की ओर गए। उन्होंने हिसाब की किताबें दिखाने को कहा। जब महाजन माने नहीं, तो किसानों ने ऋण पत्र और खाते जला दिए। उन्होंने कसम खाई कि वे अन्यायपूर्ण शर्तों पर लिए गए कर्ज़ नहीं लौटाएँगे। फिर भी उन्होंने सरकारी अधिकारियों या पुलिस को कोई हानि नहीं पहुँचाई।”

(क) यहाँ किस ऐतिहासिक घटना का वर्णन है?
उत्तर: 1875 का दक्कन विद्रोह
(1 अंक)

(ख) किसानों की मुख्य शिकायतें क्या थीं?
उत्तर:

  • महाजनों द्वारा अत्यधिक ब्याज और झूठे खाते रखना।
  • भूमि की जब्ती और कर्ज़ का बोझ।
    (2 अंक)

(ग) औपनिवेशिक सरकार ने इस घटना पर क्या प्रतिक्रिया दी?
उत्तर:

  • 1878 में दक्कन दंगे आयोग की स्थापना की।
  • 1879 में दक्कन कृषक राहत अधिनियम पारित किया गया।
    (2 अंक)

(घ) इस स्रोत से किसानों के प्रतिरोध के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर:

  • यह अनुशासित और अहिंसक आंदोलन था।
  • राज्य विरोधी न होकर आर्थिक न्याय की मांग पर आधारित था।
    (2 अंक)

(ङ) इतिहासकार ऐसे आधिकारिक स्रोतों से क्या सीख सकते हैं?
उत्तर:

  • ग्रामीण जीवन, शोषण और औपनिवेशिक नीति की वास्तविकता समझी जा सकती है।
  • किसानों के दृष्टिकोण और उनके संघर्ष की झलक मिलती है।
    (1 अंक)

✳️ खंड – E : मानचित्र आधारित प्रश्न (5 अंक – वैकल्पिक)

प्र.13. भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित को अंकित कीजिए –
(a) बंगाल – स्थायी बंदोबस्त क्षेत्र
(b) मद्रास प्रेसीडेंसी – रैयतवाड़ी क्षेत्र
(c) बॉम्बे दक्कन – दक्कन विद्रोह क्षेत्र
(d) पुणे – किसान प्रतिरोध का केंद्र
(e) कलकत्ता – औपनिवेशिक प्रशासनिक केंद्र

(प्रत्येक सही स्थान – 1 अंक = 5 अंक)


📊 अंक वितरण सारणी (Marking Scheme Summary)

खंडप्रश्न प्रकारअंककुल
Aअत्यंत लघु उत्तर (1×5)15
Bलघु उत्तर (3×4)312
Cदीर्घ उत्तर (5×3)515
Dस्रोत आधारित88
Eमानचित्र प्रश्न (वैकल्पिक)55
कुल योग40 / 45 (यदि मानचित्र जोड़ा जाए)


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