🧾 इतिहास – कक्षा 12 (कोर्स C)
अध्याय – 2: विद्रोही और राज – 1857 का विद्रोह और उसकी अभिव्यक्तियाँ
समय: 3 घंटे पूर्णांक: 40
🧩 खंड – A : बहुत लघु उत्तरीय प्रश्न (1 × 4 = 4 अंक)
(प्रत्येक उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें)
प्र.1. 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
प्र.2. दिल्ली में विद्रोह के दौरान किसे प्रतीकात्मक नेता घोषित किया गया था?
प्र.3. दो प्रमुख विद्रोही नेताओं और उनके क्षेत्रों के नाम लिखिए।
प्र.4. किस ब्रिटिश नीति के कारण 1856 में अवध का विलय किया गया?
✏️ खंड – B : लघु उत्तरीय प्रश्न (3 × 4 = 12 अंक)
(प्रत्येक उत्तर लगभग 80–100 शब्दों में दें)
प्र.5. 1857 से पहले भारतीय सिपाहियों की ब्रिटिशों के प्रति तीन प्रमुख शिकायतें बताइए।
प्र.6. 1857 के विद्रोह में बेगम हज़रत महल की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
प्र.7. अवध के तालुकेदारों और किसानों ने विद्रोह में किस प्रकार भाग लिया?
प्र.8. विद्रोह के बाद ब्रिटिशों द्वारा किए गए प्रशासनिक परिवर्तन बताइए।
📘 खंड – C : दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (6 × 2 = 12 अंक)
(प्रत्येक उत्तर लगभग 150–180 शब्दों में दें)
प्र.9. 1857 के विद्रोह के प्रमुख कारणों की चर्चा कीजिए।
प्र.10. “1857 का विद्रोह केवल सिपाही विद्रोह नहीं बल्कि एक जन-आंदोलन था।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
🖋️ खंड – D : विश्लेषणात्मक / निबंध प्रकार (8 × 1 = 8 अंक)
(उत्तर लगभग 200–250 शब्दों में दें)
प्र.11. ब्रिटिश और भारतीय दृष्टिकोण से 1857 के विद्रोह को किस प्रकार अभिव्यक्त किया गया, इसका विश्लेषण कीजिए।
या
प्र.11. बताइए कि किस प्रकार 1857 का विद्रोह भारतीय एकता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बना।
🗺️ खंड – E : मानचित्र प्रश्न (4 × 1 = 4 अंक)
निम्नलिखित स्थानों को भारत के 1857 के मानचित्र पर अंकित कीजिए –
- मेरठ – जहाँ से विद्रोह आरम्भ हुआ।
- दिल्ली – जहाँ बहादुर शाह ज़फ़र को सम्राट घोषित किया गया।
- लखनऊ – जहाँ बेगम हज़रत महल ने नेतृत्व किया।
- झाँसी – जहाँ रानी लक्ष्मीबाई ने विद्रोह का नेतृत्व किया।
✅ उत्तर–सूची / मार्किंग स्कीम
खंड – A (प्रत्येक 1 अंक)
उ.1. तात्कालिक कारण था – एनफील्ड राइफल के कारतूस, जिनमें गाय और सुअर की चर्बी होने की अफवाह थी, जिससे हिंदू–मुस्लिम दोनों आहत हुए।
उ.2. बहादुर शाह ज़फ़र, अंतिम मुगल सम्राट को दिल्ली में विद्रोह का प्रतीकात्मक नेता घोषित किया गया।
उ.3.
- रानी लक्ष्मीबाई – झाँसी
- नाना साहेब – कानपुर
उ.4. लॉर्ड डलहौज़ी की “लैप्स की नीति” (Doctrine of Lapse) के कारण 1856 में अवध का विलय हुआ।
खंड – B (प्रत्येक 3 अंक)
उ.5.
सिपाहियों की शिकायतें:
- वेतन व पदोन्नति में भेदभाव।
- धार्मिक हस्तक्षेप, जैसे कारतूस विवाद।
- समुद्र पार सेवा से जातीय/धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचना।
- उनके परिवार भी किसान वर्ग से थे, जो राजस्व नीति से प्रभावित थे।
उ.6.
- बेगम हज़रत महल अवध की विद्रोही नेता थीं।
- उन्होंने अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कादर के नाम से शासन किया।
- तालुकेदारों, किसानों और सैनिकों को संगठित किया।
- हिंदू–मुस्लिम एकता का आह्वान किया।
- ब्रिटिशों के पुनः कब्जे तक लखनऊ विद्रोह का केंद्र बना रहा।
उ.7.
- ब्रिटिशों द्वारा भूमि जब्ती से तालुकेदार असंतुष्ट थे।
- किसानों पर कर का बोझ बढ़ा।
- विद्रोहियों ने वादा किया कि पुराने अधिकार पुनः लौटाए जाएंगे।
- इस प्रकार अवध का ग्रामीण क्षेत्र विद्रोह का मुख्य आधार बना।
उ.8.
विद्रोह के बाद के प्रशासनिक परिवर्तन:
- ईस्ट इंडिया कंपनी समाप्त की गई (1858 का अधिनियम)।
- शासन ब्रिटिश क्राउन के अधीन आया।
- भारत सचिव (Secretary of State for India) की नियुक्ति हुई।
- फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई गई।
- भारतीय सेना का पुनर्गठन कर एकता रोकी गई।
खंड – C (प्रत्येक 6 अंक)
उ.9. 1857 के विद्रोह के कारण:
(क) राजनीतिक कारण:
- लैप्स की नीति से राज्यों का विलय।
- मुगल सत्ता का अपमान।
(ख) आर्थिक कारण:
- भारी कर व्यवस्था और किसानों का शोषण।
- कारीगरों का विनाश ब्रिटिश वस्त्रों से।
(ग) सैनिक कारण:
- भेदभावपूर्ण व्यवहार।
- कारतूस विवाद से धार्मिक आघात।
(घ) धार्मिक/सामाजिक कारण:
- ईसाई धर्म में जबरन परिवर्तन का भय।
- जातीय परंपराओं में हस्तक्षेप।
(ङ) तात्कालिक कारण:
- एनफील्ड राइफल कारतूस विवाद (मेरठ, मई 1857)।
उ.10. “1857 का विद्रोह केवल सिपाही विद्रोह नहीं था”:
- आरंभ भले ही सिपाहियों ने किया, पर जल्द ही किसान, तालुकेदार, व्यापारी, राजा–रजवाड़े जुड़ गए।
- साधारण जनता ने सरकारी कागज़ जलाए, तार काटे, ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया।
- विविध नेतृत्व:
- रानी लक्ष्मीबाई (झाँसी)
- नाना साहेब (कानपुर)
- बेगम हज़रत महल (लखनऊ)
- कुंवर सिंह (बिहार)
- हिंदू–मुस्लिम एकता की भावना प्रबल थी।
- उद्देश्य था ब्रिटिश शासन का अंत और पुराने शासन की पुनर्स्थापना।
- अतः यह केवल सिपाही विद्रोह नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर का जन–आंदोलन था।
खंड – D (8 अंक)
उ.11. 1857 के विद्रोह की अभिव्यक्तियाँ (Representations):
(क) ब्रिटिश दृष्टिकोण:
- इसे “सिपाही विद्रोह” या “Mutiny” कहा गया।
- चित्रों व साहित्य में ब्रिटिश बहादुरी और भारतीय क्रूरता दिखाई गई।
- कानपुर कांड जैसी घटनाओं को बढ़ा–चढ़ाकर दिखाया गया।
- “Relief of Lucknow” जैसे चित्रों में ब्रिटिश वीरता का बखान हुआ।
- उद्देश्य – औपनिवेशिक शासन को उचित ठहराना।
(ख) भारतीय दृष्टिकोण:
- इसे स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के रूप में देखा गया।
- रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बहादुर शाह ज़फ़र आदि की वीरता का गुणगान।
- लोकगीतों, कविताओं, लोककथाओं में इसका महिमामंडन।
- यह विद्रोह एकता, बलिदान और देशभक्ति का प्रतीक बना।
- राष्ट्रवाद की प्रथम चेतना का सूत्रपात हुआ।
(ग) निष्कर्ष:
- ब्रिटिशों के लिए यह बगावत, भारतीयों के लिए स्वतंत्रता संग्राम था।
- दोनों दृष्टिकोणों का अंतर औपनिवेशिक बनाम स्वदेशी भावना को दर्शाता है।
खंड – E : मानचित्र प्रश्न (4 अंक)
सही रूप से चिन्हित करें:
1️⃣ मेरठ – विद्रोह का प्रारंभ।
2️⃣ दिल्ली – बहादुर शाह ज़फ़र का केंद्र।
3️⃣ लखनऊ – बेगम हज़रत महल का नेतृत्व।
4️⃣ झाँसी – रानी लक्ष्मीबाई का क्षेत्र।
(प्रत्येक सही स्थान के लिए 1 अंक × 4 = 4 अंक)
🏆 कुल अंक = 40
📚 अध्ययन सुझाव (Board Preparation Tips):
- तिथियाँ और स्थान मानचित्र के साथ याद करें।
- उत्तर बिंदुवार (pointwise) लिखें।
- उदाहरण और नेता अवश्य शामिल करें।
- 1 अंक के प्रश्न NCERT से बार–बार दोहराएँ।
- ब्रिटिश और भारतीय दोनों दृष्टिकोणों की तुलना का अभ्यास करें।
