CBSE कक्षा 12 – इतिहास (कोर्स A)अध्याय 3: (sample paper)


🏛️ CBSE कक्षा 12 – इतिहास (कोर्स A)

अध्याय 3: संबंध, जाति और वर्ग – प्रारंभिक समाज (ई.पू. 600 से ई. 600 तक)
अधिकतम अंक: 80 समय: 3 घंटे


निर्देश (Instructions)

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  2. उत्तरों को संक्षेप में बिंदुवार लिखें।
  3. जहाँ आवश्यक हो, मानचित्र और चित्र का प्रयोग करें।
  4. प्रत्येक प्रश्न के अंक दिए गए हैं।

खंड A – अति लघु उत्तर प्रश्न (1 × 5 = 5 अंक)

(20–30 शब्द प्रत्येक)

प्र1. प्रारंभिक भारतीय समाज में “संबंध (Kinship)” का क्या अर्थ है?
उत्तर: संबंध से आशय है रक्त संबंध (consanguinity) या विवाह संबंध (affinity) जो परिवार और समाज की संरचना तय करते हैं। (1)

प्र2. महाभारत का समालोचित संस्करण किसने तैयार किया?
उत्तर: इसे भांडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट, पुणे ने 20वीं शताब्दी में तैयार किया। (1)

प्र3. प्रारंभिक भारतीय समाज में “द्विज” का क्या अर्थ है?
उत्तर: द्विज या “द्वैजन्मा” पहले तीन वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) को कहते हैं, जिन्होंने उपनयन संस्कार किया। (1)

प्र4. प्रारंभिक भारतीय समाज में आदर्श परिवार संरचना क्या थी?
उत्तर: परिवार पितृसत्तात्मक और संयुक्त था, जिसका नेतृत्व सबसे बड़े पुरुष सदस्य करता था। (1)

प्र5. ऐसा कौन सा सामाजिक व्यवहार था जो ग्रंथों के नियमों के बावजूद क्षेत्रीय रूप से भिन्न था?
उत्तर: कुछ दक्षिणी क्षेत्रों में मातृकुल विवाह (cousin marriage) प्रचलित था, जबकि उत्तरी भारत में निषिद्ध। (1)


खंड B – लघु उत्तर प्रश्न (3 × 5 = 15 अंक)

(60–80 शब्द प्रत्येक)

प्र6. प्रारंभिक भारतीय समाज में विवाह के मुख्य नियम बताइए।
उत्तर:

  • समान जाति में विवाह (Endogamy)
  • गोत्र या कुल के बाहर विवाह (Exogamy)
  • आदर्श विवाह एक पत्नी वाला (Monogamy); राजाओं/उच्च वर्ग में बहुपत्नी (Polygyny)
  • विधवाओं का पुनर्विवाह ऊँची जातियों में सीमित।
  • क्षेत्रीय विविधताएँ थीं; कुछ समुदायों में सगी रिश्तेदारों से विवाह। (3)

प्र7. चार वर्ण और उनके कार्य बताइए।
उत्तर:

  1. ब्राह्मण: पुजारी, शिक्षक, ज्ञान संरक्षक।
  2. क्षत्रिय: शासक और योद्धा।
  3. वैश्य: व्यापारी और कृषक।
  4. शूद्र: सेवक, श्रमिक, कारीगर।
  • स्थिति धार्मिक शुद्धता और पेशे पर निर्भर। (3)

प्र8. “जन्म से परे (Beyond Birth)” का अर्थ बताइए।
उत्तर:

  • जन्म आधारित वर्ण व्यवस्था के बावजूद आर्थिक और राजनीतिक शक्ति से ऊँचाई संभव थी।
  • असफलता या पराजय से नीचता आ सकती थी।
  • सामाजिक स्थिति संसाधन, व्यवसाय और आचार पर भी निर्भर थी। (3)

प्र9. महाभारत ने इतिहासकारों को प्रारंभिक भारतीय समाज को समझने में कैसे मदद की?
उत्तर:

  • संबंध, उत्तराधिकार, विवाह, और लिंग भूमिकाएँ स्पष्ट।
  • सामाजिक पदानुक्रम और नैतिक मूल्य प्रदर्शित।
  • दिखाता है कि धार्मिक नियम और वास्तविक जीवन में अंतर था।
  • उदाहरण: द्रौपदी का अपमान महिलाओं की स्थिति और पुरुष अधिकार दिखाता है। (3)

प्र10. महाभारत को गतिशील ग्रंथ क्यों माना जाता है?
उत्तर:

  1. यह मौखिक परंपरा से लिखित रूप में विकसित हुआ।
  2. यह सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक चिंताओं के अनुसार बदलता रहा। (3)

खंड C – दीर्घ उत्तर प्रश्न (5 × 5 = 25 अंक)

(120–150 शब्द प्रत्येक)

प्र11. प्रारंभिक भारतीय समाज में परिवार और उत्तराधिकार प्रणाली का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • परिवार पितृसत्तात्मक और संयुक्त था, नेतृत्व सबसे बड़े पुरुष का।
  • संपत्ति पुरुषों के वंशानुक्रम में चली।
  • परिवार महिलाओं के जीवन में पिता, पति, और पुत्रों का नियंत्रण।
  • संयुक्त परिवार सुरक्षा, श्रम साझा और संस्कार निरंतरता प्रदान करता था।
  • उत्तराधिकार विवाद महाभारत में परिलक्षित।
  • विवाह, विधवा स्थिति और पुनर्विवाह ग्रंथ और स्थानीय परंपरा द्वारा नियंत्रित। (5)

प्र12. जाति व्यवस्था के भीतर और बाहर सामाजिक भेदों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:

  • चार वर्ण: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
  • कुछ समूह (चंडाल आदि) वर्ण व्यवस्था के बाहर; अस्पृश्यता का उदाहरण।
  • महिलाओं की स्थिति जाति शुद्धता पर आधारित
  • धन और संसाधन भी वर्ग भेद उत्पन्न करते थे।
  • बौद्ध और जैन धर्म ने जाति आधारित भेदभाव को चुनौती दी। (5)

प्र13. संसाधन और आर्थिक स्थिति ने सामाजिक स्थिति निर्धारित करने में क्या भूमिका निभाई?
उत्तर:

  • कृषि उत्पादन ने शहरी केंद्रों का समर्थन किया।
  • भूमि उपहार और संसाधन नियंत्रण ने ब्राह्मणीय प्रभाव बढ़ाया।
  • व्यापारी और कारीगरों को धन आधारित प्रतिष्ठा प्राप्त।
  • गिल्ड्स ने व्यापार और पेशेवर पहचान नियंत्रित की।
  • सामाजिक स्थिति धन, पेशा और संसाधनों की पहुंच से तय होती। (5)

प्र14. प्रारंभिक भारतीय विचारकों ने सामाजिक असमानताओं की व्याख्या कैसे की?
उत्तर:

  • धर्मशास्त्र: असमानता धर्म और ईश्वरीय व्यवस्था द्वारा न्यायसंगत।
  • प्रत्येक व्यक्ति के गुण और कर्तव्य (गुण और कर्म) तय।
  • समाज की शांति और व्यवस्था के लिए वर्गीकरण आवश्यक।
  • बौद्ध और जैन धर्म ने आचार को जन्म से ऊपर रखा।
  • सामाजिक अनुबंध ने समाज की स्थिरता और न्याय सुनिश्चित किया। (5)

प्र15. नैतिक और सामाजिक मूल्यों को समझने में महाभारत का महत्व बताइए।
उत्तर:

  • कर्तव्य, निष्ठा, न्याय, और नैतिकता के द्वंद्व प्रदर्शित।
  • उत्तराधिकार, परिवार और लिंग भूमिकाओं में संघर्ष।
  • धर्म और सामाजिक नियमों के बीच संबंध को दिखाता।
  • संस्कृति, रीतियाँ और शासन की ऐतिहासिक जानकारी।
  • आज भी भारतीय नैतिक और दार्शनिक सोच को मार्गदर्शन देता। (5)

खंड D – स्रोत आधारित प्रश्न (4 अंक)

प्र16. निम्न उद्धरण पढ़ें और उत्तर दें:

“द्विज (twice-born) को उपनयन संस्कार और कर्तव्य पालन करना चाहिए। शूद्र इन संस्कारों से वंचित थे और उनके पास ज्ञान तक सीमित पहुँच थी।”

(क) “द्विज” का क्या अर्थ है?
उत्तर: पहले तीन वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) जिन्होंने उपनयन संस्कार किया।

(ख) शूद्रों पर कौन-सी पाबंदियाँ थीं?
उत्तर: वे पवित्र संस्कार, वैदिक शिक्षा और धार्मिक अधिकारों से वंचित थे।

(ग) यह उद्धरण सामाजिक असमानता को कैसे दर्शाता है?
उत्तर: जन्म और धर्म आधारित सामाजिक पदानुक्रम और भेदभाव दिखाता है। (4)


खंड E – मानचित्र कार्य (6 अंक)

प्र17. भारत के मानचित्र पर स्थान चिन्हित कीजिए:

  • (क) पाटलिपुत्र
  • (ख) मथुरा
  • (ग) उज्जैन
  • (घ) काशी (वाराणसी)
  • (ङ) तक्षशिला
  • (च) कावेरीपट्टिनम

उत्तर (Map labels):

  • पाटलिपुत्र: बिहार (पटना क्षेत्र)
  • मथुरा: उत्तर प्रदेश
  • उज्जैन: मध्य प्रदेश
  • काशी: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
  • तक्षशिला: रावलपिंडी, पाकिस्तान के पास
  • कावेरीपट्टिनम: तमिलनाडु, कोरमंडल तट

खंड F – मूल्य आधारित / विश्लेषणात्मक प्रश्न (8 अंक)

प्र18.
“प्रारंभिक भारतीय समाज में सामाजिक पदानुक्रम कठोर नहीं था; यह आर्थिक, राजनीतिक और नैतिक परिवर्तनों के अनुसार बदलता रहा।”
उदाहरण सहित चर्चा करें।

उत्तर:

  • वर्ण व्यवस्था धार्मिक पदानुक्रम देती थी, लेकिन सामाजिक गतिशीलता संभव।
  • धन और राजनीतिक शक्ति से ऊपर उठना संभव।
  • महाभारत में उत्तराधिकार और विवाह विवाद सामाजिक नियमों में लचीलापन दिखाते।
  • व्यापार, शहरीकरण और गिल्ड ने वर्ण से परे वर्गीय स्थिति बनाई।
  • बौद्ध और जैन धर्म ने आचार को जन्म से ऊपर रखा।
  • ग्रंथ और प्रथाओं की गतिशीलता दिखाती है कि सामाजिक व्यवस्था लचीली थी। (8)

अंक योजना (Marking Scheme Summary)

खंडप्रश्न प्रकारअंक प्रति प्रश्नकुल अंक
Aअति लघु उत्तर15
Bलघु उत्तर315
Cदीर्घ उत्तर525
Dस्रोत आधारित44
Eमानचित्र कार्य66
Fमूल्य आधारित / विश्लेषणात्मक88
कुल63 + 17 आंतरिक = 80

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