CBSE कक्षा 12 – इतिहास (पाठ्यक्रम A)अध्याय 2 (sample paper)


🏛️ CBSE कक्षा 12 – इतिहास (पाठ्यक्रम A)

अध्याय 2 : राजा, किसान और नगर – प्रारंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ (ई.पू. 600 – ई. 600)

अधिकतम अंक : 80  समय : 3 घंटे


🧾 सामान्य निर्देश

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  2. उत्तर संक्षेप में तथा बिंदुवार लिखें।
  3. मानचित्र प्रश्न अनिवार्य है।
  4. कुछ दीर्घ उत्तर प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिया गया है।

खंड A – अति लघु उत्तर प्रश्न (1 × 5 = 5 अंक)

(उत्तर 20–30 शब्दों में)

प्र.1. ब्राह्मी लिपि का पठन किसने किया और कब?
उत्तर: जेम्स प्रिंसेप ने 1830 के दशक में ब्राह्मी लिपि को पढ़ा, जिससे अशोक के शिलालेख समझे जा सके।
(1)

प्र.2. अशोक के शिलालेखों में प्रयुक्त प्रियदर्शी शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर: प्रियदर्शी का अर्थ है “देवताओं का प्रिय” — यह सम्राट अशोक का उपाधि-रूप नाम था।
(1)

प्र.3. छठी शताब्दी ई.पू. के दो प्रमुख महाजनपदों के नाम लिखिए।
उत्तर: मगध और कोशल।
(1)

प्र.4. मौर्यकाल में राज्य की आय का मुख्य स्रोत क्या था?
उत्तर: भूमि कर (भाग) राज्य की प्रमुख आय का स्रोत था।
(1)

प्र.5. पंच-चिह्नित सिक्कों की मुख्य विशेषता क्या थी?
उत्तर: इन सिक्कों पर मुहर से चिह्न पंच किए जाते थे, न कि ढाले या उकेरे जाते थे।
(1)


खंड B – लघु उत्तर प्रश्न (3 × 5 = 15 अंक)

(उत्तर 60–80 शब्दों में)

प्र.6. मगध के एक शक्तिशाली महाजनपद के रूप में उभरने के कारण बताइए।
उत्तर:

  • उपजाऊ गंगा घाटी से कृषि अधिशेष प्राप्त हुआ।
  • लौह अयस्क भंडार हथियार व औज़ार बनाने में सहायक रहे।
  • गंगा व सोन नदियाँ व्यापार व परिवहन में उपयोगी थीं।
  • बिंबिसार, अजातशत्रु जैसे कुशल शासकों ने राज्य का विस्तार किया।
  • दुर्गयुक्त राजधानी राजगृह ने सुरक्षा प्रदान की।
    (3)

प्र.7. मौर्यकालीन इतिहास के तीन प्रमुख स्रोतों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. अर्थशास्त्र (कौटिल्य) – प्रशासन व अर्थव्यवस्था की जानकारी देता है।
  2. अशोक के शिलालेख – अशोक की नीतियों का प्रत्यक्ष प्रमाण।
  3. मेगस्थनीज़ की इंडिका – पाटलिपुत्र नगर, समाज और शासन का वर्णन।
    (3)

प्र.8. अशोक के धम्म की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  • सदाचार, करुणा और अहिंसा पर आधारित था।
  • सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता पर बल दिया गया।
  • जनकल्याण कार्यों जैसे अस्पताल, कुएँ, धर्मशालाएँ का निर्माण।
  • उद्देश्य था नैतिक समाज की स्थापना, न कि केवल बौद्ध धर्म का प्रचार।
    (3)

प्र.9. प्रारंभिक भारतीय अर्थव्यवस्था में शिल्प संघों (श्रेणियों) की भूमिका क्या थी?
उत्तर:

  • कारीगरों व व्यापारियों के संगठित समूह।
  • उत्पादन की गुणवत्ता व मूल्य नियंत्रण करते थे।
  • धन उधार देने और निवेश करने का कार्य भी करते थे।
  • सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते थे।
    (3)

प्र.10. इस काल में दीर्घ दूरी के व्यापार की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:

  • भारत के रोम, अरब, दक्षिण-पूर्व एशिया से समुद्री संबंध।
  • भृगुकच्छ, आरिकमेडु, कावेरीपट्टनम जैसे प्रमुख बंदरगाह।
  • निर्यात: मसाले, वस्त्र, मोती, हाथीदाँत।
  • आयात: स्वर्ण, मदिरा, काँच के पात्र।
  • रोमी सिक्कों की प्राप्ति व्यापारिक साक्ष्य देती है।
    (3)

खंड C – दीर्घ उत्तर प्रश्न (5 × 5 = 25 अंक)

(उत्तर 120–150 शब्दों में)

प्र.11. मौर्य प्रशासन की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • केन्द्रीयकृत राजतंत्र – राजा सर्वोच्च सत्ता का धारक।
  • मंत्रिपरिषद शासक की सहायता करती थी।
  • साम्राज्य प्रान्तों में विभाजित था, जहाँ राजकुमार या राज्यपाल शासन करते थे।
  • अमात्य कर, व्यापार, न्याय आदि देखते थे।
  • गुप्तचर विभाग व्यवस्था पर निगरानी रखता था।
  • अर्थशास्त्र में कानून, कर और शासन की सख्त नीतियाँ वर्णित हैं।
    (5)

प्र.12. मौर्यों के बाद राजसत्ता की नई अवधारणाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:

  • दैवी राजसत्ता का विचार – जैसे कनिष्क स्वयं को “देवपुत्र” कहता था।
  • राजा धर्म और समाज के रक्षक माने जाने लगे।
  • वैदिक यज्ञों (राजसूय, अश्वमेध) द्वारा वैधता प्राप्त की जाती थी।
  • मुद्राएँ, शिलालेख, मंदिर निर्माण से शक्ति प्रदर्शन।
  • राजसत्ता धर्म और नैतिकता से जुड़ गई।
    (5)

प्र.13. ई.पू. 600 – ई. 600 के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में हुए परिवर्तन बताइए।
उत्तर:

  • कृषि का विस्तार – लौह हल, सिंचाई, जंगलों की सफाई।
  • भूमिदान प्रथा – ब्राह्मणों व मठों को भूमि दान (ब्राह्मदेय, देवदान)।
  • भूमिधर वर्ग का उदय और किसानों की निर्भरता बढ़ी।
  • सामाजिक विभाजन गहरा हुआ।
  • अधिशेष उत्पादन से नगरों और व्यापार का विकास हुआ।
    (5)

प्र.14. इस काल में नगरों और व्यापार का विकास कैसे हुआ?
उत्तर:

  • मौर्यों के बाद शहरी पुनर्जागरण – मथुरा, उज्जैन, अमरावती प्रमुख नगर।
  • कारीगर व व्यापारी संघ संगठित हुए।
  • मुद्राएँ (पंच-चिह्नित, स्वर्ण, रोमी) लेन-देन में सहायक रहीं।
  • समुद्री व्यापार रोम व दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैला।
  • सड़क व नदी परिवहन से संपर्क सुगम हुआ।
  • नगर आर्थिक व सांस्कृतिक केन्द्र बने।
    (5)

प्र.15. शिलालेखों से प्राचीन भारत के इतिहास की पुनर्निर्माण में क्या सहायता मिली?
उत्तर:

  • शिलालेख समकालीन साक्ष्य प्रदान करते हैं।
  • इनमें राजा के आदेश, दान, विजय व नीतियाँ अंकित हैं।
  • राज्य की भौगोलिक सीमा व प्रशासनिक व्यवस्था ज्ञात होती है।
  • भाषा, लिपि व सामाजिक शब्दावली की जानकारी मिलती है।
  • सीमाओं के बावजूद ये मुख्य ऐतिहासिक स्रोत हैं।
    (5)

खंड D – स्रोत आधारित प्रश्न (4 अंक)

प्र.16. नीचे दिए गए अंश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

“ईंटों के आकार, तौल और माप में एकरूपता से यह सिद्ध होता है कि किसी न किसी प्रकार का केंद्रीय अधिकार अवश्य रहा होगा। परंतु बाद के युगों की तरह यहाँ किसी राजा की प्रशंसा करने वाले भवन या स्मारक नहीं मिलते।”

(क) ‘एकरूपता’ का क्या संकेत है?
(ख) इतिहासकार इससे क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
(ग) प्रारंभिक शासकों की पहचान कठिन क्यों है?

उत्तर:
(क) एकरूपता का अर्थ है उत्पादन व माप में समान मानक
(ख) इससे केंद्रीय सत्ता या प्रशासनिक नियंत्रण का संकेत मिलता है।
(ग) क्योंकि इस काल में राजाओं के नाम वाले शिलालेख या स्मारक नहीं मिलते।
(4)


खंड E – मानचित्र प्रश्न (6 अंक)

प्र.17. भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित को स्थित कीजिए और नामांकित कीजिए –
(क) पाटलिपुत्र (ख) उज्जैन (ग) तक्षशिला (घ) मथुरा (ङ) भृगुकच्छ (च) कावेरीपट्टनम

उत्तर कुंजी:

  • पाटलिपुत्र – बिहार (आधुनिक पटना के पास)
  • उज्जैन – मध्य प्रदेश
  • तक्षशिला – पाकिस्तान (रावलपिंडी के निकट)
  • मथुरा – उत्तर प्रदेश
  • भृगुकच्छ – गुजरात (नर्मदा नदी मुहाना)
  • कावेरीपट्टनम – तमिलनाडु (पूर्वी तट पर)
    (6)

खंड F – मूल्य आधारित / विश्लेषणात्मक प्रश्न (8 अंक)

प्र.18.
“ई.पू. 600 से ई. 600 का काल भारत की राजनीतिक और आर्थिक संरचना की नींव रखता है।”
इस कथन की विवेचना कीजिए।

उत्तर:

  • महाजनपदों का उदय – संगठित राज्यों की स्थापना।
  • मगध साम्राज्य और बाद में मौर्य साम्राज्य का एकीकरण।
  • मुद्रा आधारित अर्थव्यवस्था और दीर्घ व्यापार का विकास।
  • नगरों का प्रसार – पाटलिपुत्र, मथुरा, उज्जैन।
  • व्यापारी, कारीगर, भूमिधर वर्गों का उदय।
  • शिलालेख व सिक्के प्रशासनिक परिष्कार के साक्ष्य हैं।
  • इस प्रकार यह काल राजनीतिक व आर्थिक नींव स्थापित करने वाला सिद्ध हुआ।
    (8)

अंक वितरण सारांश

खंडप्रश्न प्रकारप्रति प्रश्न अंककुल अंक
Aअति लघु उत्तर15
Bलघु उत्तर315
Cदीर्घ उत्तर525
Dस्रोत आधारित44
Eमानचित्र66
Fमूल्य आधारित88
सैद्धांतिक कुल63
आंतरिक मूल्यांकन (प्रोजेक्ट + मौखिक)17
कुल योग80 अंक

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