political science CBSE class 11 course A Chapter:3 (भाग 1)


कक्षा 11 राजनीतिक विज्ञान नोट्स – चुनाव और प्रतिनिधित्व


1. परिचय: चुनाव और प्रतिनिधित्व को समझना

  • चुनाव लोकतंत्र की नींव हैं, जो नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार देती हैं।
  • प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है कि जनता की आवाज विधानमंडल और नीति निर्माण में सुनी जाए।
  • चुनाव सरकारों को वैधानिकता प्रदान करते हैं और जवाबदेही को मजबूत करते हैं।
  • चुनावों के माध्यम से नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होती है और नेतृत्व में शांतिपूर्ण बदलाव संभव होता है।
  • यह पारदर्शिता, समानता, निष्पक्षता और समावेशन जैसे सिद्धांतों को बनाए रखते हैं।
  • भारत में चुनाव कई स्तरों पर होते हैं: पंचायती राज, नगर निकाय, राज्य विधानसभा और संसद
  • चुनाव आयोग इस प्रक्रिया की स्वतंत्र निगरानी करता है ताकि निष्पक्षता बनी रहे।

2. चुनाव और लोकतंत्र

  • लोकतंत्र जनसत्ताधिकार (popular sovereignty) पर आधारित है, जहाँ नागरिक प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं।
  • चुनाव जनता की इच्छा व्यक्त करने का मुख्य माध्यम हैं।
  • लोकतांत्रिक चुनाव विविध प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हैं, जो देश की बहुलता को दर्शाता है।
  • चुनाव तानाशाही और अल्पसंख्यक अत्याचार को रोकते हैं।
  • यह नागरिकों में राजनीतिक जागरूकता और नागरिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देता है।
  • चुनाव शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन की अनुमति देते हैं, जो स्थिर लोकतंत्र का संकेत है।
  • चुनाव सरकारों को पुरस्कार या दंड देने का माध्यम भी हैं, उनके प्रदर्शन के आधार पर।
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास बढ़ाते हैं।

3. भारत में चुनाव प्रणाली

  • भारत में मिश्रित चुनाव प्रणाली का उपयोग होता है, विभिन्न पदों के लिए अलग-अलग तंत्र हैं।
  • मुख्य प्रणालियाँ:
    • फर्स्ट पास्ट द पोस्ट (FPTP) – लोकसभा और राज्य विधानसभा के लिए।
    • प्रोपरशनल रिप्रेजेंटेशन (PR) – राज्यसभा और कुछ स्थानीय निकायों के लिए।
  • चुनाव आयोग संपूर्ण प्रक्रिया की निगरानी करता है और सुनिश्चित करता है कि यह निष्पक्ष हो।
  • भारत में प्रत्यक्ष चुनाव – लोकसभा और राज्य विधानसभा के सदस्य।
  • अप्रत्यक्ष चुनाव – राज्यसभा और राष्ट्रपति।
  • प्रणाली का उद्देश्य सरलता, समावेशिता और दक्षता का संतुलन बनाए रखना है।

4. फर्स्ट पास्ट द पोस्ट (FPTP) प्रणाली

  • FPTP एक सरल बहुसंख्यक प्रणाली है, जिसमें सबसे अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार जीतता है।
  • प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
  • यह तेजी से परिणाम सुनिश्चित करता है और स्पष्ट विजेता देता है।
  • फायदे:
    • सरल और आसानी से समझने योग्य।
    • अक्सर सिंगल पार्टी बहुमत सरकार प्रदान करता है, जिससे स्थिर शासन संभव होता है।
    • प्रतिनिधि सीधे अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए जवाबदेह होते हैं।
  • आलोचना:
    • वोटों की तुलना में परिणाम अनुपातहीन हो सकते हैं।
    • छोटे दल और अल्पसंख्यक समूह अल्पप्रतिनिधित्व के शिकार हो सकते हैं।
    • यह दो-दलीय प्रणाली को बढ़ावा देता है, जिससे विविधता सीमित होती है।

5. अनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR)

  • PR प्रणाली में सीटें प्राप्त वोटों के अनुपात के आधार पर आवंटित होती हैं।
  • मुख्य रूप से राज्यसभा चुनाव और कुछ स्थानीय निकायों में प्रयोग।
  • फायदे:
    • अल्पसंख्यक और छोटे दलों के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
    • समावेशी और गठबंधन राजनीति को बढ़ावा देता है।
    • जनता की राय का सटीक प्रतिबिंब देता है।
  • नुकसान:
    • परिणाम फ्रैगमेंटेड हो सकते हैं, गठबंधन सरकारों की संभावना बढ़ती है।
    • प्रणाली जटिल होती है और मतदाताओं के लिए समझना कठिन हो सकता है।
  • PR प्रणाली में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (STV) या पार्टी लिस्ट का प्रयोग होता है।

6. भारत ने FPTP क्यों अपनाया?

  • इसे सरलता और विविधता वाले देश में लागू करना आसान था।
  • FPTP निर्णायक परिणाम देता है और राजनीतिक अस्थिरता को कम करता है।
  • ऐतिहासिक कारण: ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से विरासत में मिला।
  • यह एकल पार्टी बहुमत सरकार बनाता है, जिससे प्रभावी शासन संभव होता है।
  • मतदाता सीधे अपने प्रतिनिधि को जवाबदेह ठहराते हैं।
  • मतगणना और परिणाम घोषणा में आसानी।

7. आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र

  • कुछ निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित होते हैं।
  • ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
  • आरक्षित सीटों की संख्या राज्य या देश में SC/ST जनसंख्या के अनुपात के अनुसार तय होती है।
  • यह समावेशी लोकतंत्र को बढ़ावा देता है और सामाजिक असमानताओं को कम करता है।
  • मतदान की स्वतंत्रता बनी रहती है, केवल उम्मीदवारी में प्रतिबंध।
  • पंचायत और नगरपालिका चुनावों में महिला आरक्षण लिंग समानता को बढ़ावा देता है।
  • यह नेतृत्व कौशल विकसित करने में मदद करता है और नीति निर्माण में विविध दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है।

8. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव

  • चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष और सुलभ होने चाहिए।
  • गुप्त मतदान से मतदाता को दबाव या धमकी से सुरक्षा।
  • चुनाव आयोग मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू करता है।
  • मतदाता सूची को नियमित रूप से अपडेट किया जाता है।
  • उम्मीदवारों के चुनावी खर्च पर निगरानी होती है।
  • स्वतंत्र मीडिया कवर और जनता की निगरानी चुनावी प्रक्रिया को मजबूत बनाती है।
  • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और तकनीक दक्षता बढ़ाती हैं और त्रुटियाँ कम करती हैं।
  • न्यायिक निरीक्षण चुनावी अनियमितताओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र में जनता का विश्वास बनाए रखते हैं।

9. चुनाव आयोग की भूमिका

  • स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करता है।
  • लोकसभा, राज्य विधानसभा, राज्यसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों की निगरानी।
  • चुनाव के दौरान मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का पालन कराना।
  • राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के अनुपालन और वित्त की निगरानी।
  • मतदाता पंजीकरण और जागरूकता कार्यक्रम सुनिश्चित करना।
  • चुनाव परिणाम विवादों का निपटान
  • चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता बनाए रखना।

10. भारत में चुनावों की चुनौतियाँ

  • चुनावी धांधली: वोट खरीदना, डराना और प्रशासनिक शक्ति का दुरुपयोग।
  • धन और शक्ति का प्रभाव परिणामों पर।
  • कुछ क्षेत्रों में कम मतदान प्रतिशत
  • महिलाओं और वंचित समूहों के प्रतिनिधित्व की कमी
  • बड़ी और विविध जनसंख्या में चुनाव प्रबंधन।
  • फर्जी खबर और गलत सूचना का प्रभाव।
  • केंद्रीय, राज्य और स्थानीय निकायों के बीच समन्वय की चुनौती

11. निष्कर्ष

  • चुनाव और प्रतिनिधित्व भारत के लोकतंत्र की कड़ी हैं।
  • FPTP प्रणाली, अनुपातिक प्रतिनिधित्व और आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र समानता, समावेशिता और स्थिरता सुनिश्चित करते हैं।
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव जवाबदेही, वैधता और पारदर्शिता बनाए रखते हैं।
  • चुनाव आयोग इस प्रक्रिया की निष्ठा और निष्पक्षता बनाए रखता है।
  • भारत की चुनाव प्रणाली सरलता, प्रतिनिधित्व और समावेशिता का संतुलन बनाए रखती है।
  • लगातार सुधार और मतदाता जागरूकता लोकतंत्र को और मजबूत बनाते हैं।
  • अंततः, चुनाव सुनिश्चित करते हैं कि सरकार जनता की इच्छा को प्रतिबिंबित करे और जवाबदेह बनी रहे।

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