1. राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (Directive Principles of State Policy – DPSP)
- भारतीय संविधान का भाग IV (Articles 36-51) राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के लिए समर्पित है।
- इन सिद्धांतों का उद्देश्य राज्य के लिए नीति निर्धारण में मार्गदर्शन देना है।
- DPSP कानूनी बाध्यकारी नहीं हैं, परंतु राज्य इनके पालन के लिए प्रयास करता है।
- इनका मुख्य उद्देश्य समाज में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करना है।
- ये अधिकारों और स्वतंत्रताओं के लिए सहायक और पूरक भूमिका निभाते हैं।
- DPSP लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के आदर्शों को साकार करने के लिए राज्य को दिशा निर्देश देते हैं।
- संविधान सभा में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इन्हें “भारतीय समाज के लिए नैतिक और नीति-निर्देशक नियम” बताया।
2. DPSP के उद्देश्य (Objectives of DPSP)
- समानता सुनिश्चित करना: आर्थिक और सामाजिक असमानताओं को कम करना।
- सामाजिक न्याय: कमजोर वर्गों को समाज में समान अवसर प्रदान करना।
- आर्थिक नीति निर्धारण: संसाधनों का न्यायसंगत वितरण।
- स्वास्थ्य और शिक्षा: नागरिकों के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं सुनिश्चित करना।
- स्वराज और स्वावलंबन: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विकास के लिए योजना बनाना।
- संविधान के आदर्शों को साकार करना: मौलिक अधिकारों के साथ संतुलन बनाना।
3. DPSP में शामिल प्रमुख प्रावधान (What do the Directive Principles contain?)
- सामाजिक और आर्थिक न्याय (Articles 38-39)
- समाज में न्याय सुनिश्चित करना।
- बच्चों, महिलाओं और कमजोर वर्गों की सुरक्षा।
- समान अवसर और न्यूनतम जीवन स्तर प्रदान करना।
- संसाधनों का न्यायसंगत वितरण।
- स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण (Articles 41-45)
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता।
- वृद्धावस्था, बेरोजगारी और दुर्बलता में सहायता।
- प्राथमिक शिक्षा का अनिवार्य बनाना।
- बाल श्रम निषेध और बाल कल्याण।
- आर्थिक नीति (Articles 39, 43-43A)
- उत्पादन और वितरण में न्याय सुनिश्चित करना।
- उद्योग और व्यापार के नियमन से गरीबों की रक्षा।
- किसान और श्रमिक कल्याण के लिए विशेष उपाय।
- सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करना।
- राजनीतिक और प्रशासनिक सुधार (Articles 44-48)
- राज्य में न्यायसंगत, समान और स्वदेशी नीति।
- गोमांस व अन्य धार्मिक संवेदनशील मामलों में सांस्कृतिक संतुलन।
- स्वास्थ्य और पोषण पर विशेष ध्यान।
- पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन (Article 48A)
- पर्यावरण, वन और पशु जीवन की सुरक्षा।
- प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी उपयोग और संरक्षण।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध और शांति (Article 51)
- विश्व शांति के लिए राज्य की नीति।
- अंतर्राष्ट्रीय कानून और अनुबंधों का पालन।
4. DPSP के प्रकार (Types of Directive Principles)
- सामाजिक और आर्थिक DPSP
- गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार।
- कमजोर वर्गों के कल्याण हेतु विशेष योजनाएं।
- राजनीतिक DPSP
- लोकतंत्र के आदर्श और शासन सुधार।
- पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता।
- सांस्कृतिक और नैतिक DPSP
- भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों का संरक्षण।
- धार्मिक सहिष्णुता और सामजिक समरसता।
- आर्थिक DPSP
- औद्योगिक और कृषि नीतियों में न्याय।
- सहकारी समितियों और रोजगार के अवसर।
- पर्यावरण DPSP
- प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण का संरक्षण।
- सतत विकास और प्रदूषण नियंत्रण।
5. मौलिक अधिकार और DPSP के बीच संबंध (Relationship between Fundamental Rights and Directive Principles)
- मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकार सुनिश्चित करते हैं।
- DPSP सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देते हैं।
- दोनों के उद्देश्य अलग हैं लेकिन पूरक और संतुलित हैं।
- कभी-कभी मौलिक अधिकार और DPSP में टकराव (Conflict) उत्पन्न हो सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि DPSP और मौलिक अधिकार समानांतर और सहायक हैं।
- Article 37: DPSP “गैर-बाध्यकारी” हैं पर राज्य को इन्हें लागू करना चाहिए।
- उदाहरण: शिक्षा का अधिकार (Article 21A) मौलिक अधिकार है, जबकि समान शिक्षा के लिए DPSP मार्गदर्शक है।
- आर्थिक सुधार और सामाजिक कल्याण नीति में DPSP का योगदान मौलिक अधिकारों के प्रयोग को सशक्त बनाता है।
6. DPSP और राज्य की नीति (Impact on State Policy)
- राज्य की योजनाएं DPSP के आधार पर बनाई जाती हैं।
- ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और श्रमिक कल्याण पर ध्यान।
- गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए मार्गदर्शन।
- पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों और शांतिपूर्ण नीति का पालन।
7. निष्कर्ष (Conclusion)
- DPSP भारतीय संविधान के सामाजिक और आर्थिक न्याय के आदर्श हैं।
- ये राज्य के नीति निर्माण और नागरिक कल्याण में मार्गदर्शन देते हैं।
- मौलिक अधिकारों और DPSP का संतुलन भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का आधार है।
- राज्य को DPSP को लागू करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।
- DPSP नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने, समाज में समानता लाने और लोकतंत्र को सशक्त बनाने का माध्यम हैं।
- ये भारत को सशक्त, न्यायपूर्ण और समावेशी राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
