Lesson – 5 विधायिका (Legislature) – कक्षा 11 राजनीति विज्ञान course A


📘 विधायिका (Legislature) – कक्षा 11 राजनीति विज्ञान


🌟 विधायिका क्या है? (What is Legislature?)

विधायिका (Legislature) शासन का वह अंग है जो कानून बनाता है,
जनता के प्रतिनिधियों से मिलकर बना होता है, और सरकार की नीतियों को संवैधानिक स्वीकृति देता है।

👉 विधायिका का मुख्य कार्य है –

“कानून बनाना और सरकार की गतिविधियों पर नियंत्रण रखना।”

भारतीय संविधान में संसद (Parliament) को केंद्रीय विधायिका कहा गया है,
जबकि राज्यों की विधायिका को विधानमंडल (State Legislature) कहते हैं।


🇮🇳 संसद (Parliament of India)

भारत में संसद एक संसदीय शासन प्रणाली की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है।
यह जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है और कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है

भारतीय संसद का गठन संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार होता है, जिसमें तीन घटक हैं —

  1. राष्ट्रपति (President)
  2. राज्यसभा (Rajya Sabha)
  3. लोकसभा (Lok Sabha)

❓ संसद की आवश्यकता क्यों? (Why a Parliament?)

  1. जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व:
    संसद जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों से मिलकर बनती है, इसलिए यह लोकतंत्र की आत्मा है।
  2. कानून निर्माण:
    यह देश के लिए आवश्यक कानून बनाती है और पुराने कानूनों में संशोधन करती है।
  3. नीति निर्धारण:
    संसद देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नीतियों को दिशा देती है।
  4. सरकार पर नियंत्रण:
    संसद कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करती है, ताकि सत्ता का दुरुपयोग न हो।
  5. वित्तीय नियंत्रण:
    देश का बजट संसद की मंजूरी से ही पास होता है।
  6. राष्ट्रीय एकता और समरसता:
    संसद विभिन्न राज्यों, भाषाओं और संस्कृतियों को एक लोकतांत्रिक मंच पर जोड़ती है।

❓ दो सदन क्यों? (Why Two Houses?)

भारत की संसद द्विसदनीय (Bicameral Legislature) है, अर्थात इसमें दो सदन हैं —
राज्यसभा (ऊपरी सदन) और लोकसभा (निचला सदन)

🔹 द्विसदनीय प्रणाली के लाभ

  1. संतुलन और नियंत्रण:
    दोनों सदनों के बीच पारस्परिक नियंत्रण से निर्णय अधिक संतुलित होते हैं।
  2. राज्यों का प्रतिनिधित्व:
    राज्यसभा में राज्यों के हितों का प्रतिनिधित्व होता है।
  3. जनता का प्रतिनिधित्व:
    लोकसभा जनता की इच्छा को अभिव्यक्त करती है।
  4. विधायी प्रक्रिया में गुणवत्ता:
    दो बार विचार होने से कानून अधिक परिष्कृत बनते हैं।
  5. त्वरित निर्णयों पर रोक:
    किसी एक सदन की जल्दबाजी से पारित कानून को दूसरे सदन में पुनर्विचार का अवसर मिलता है।

🏛️ राज्यसभा (Rajya Sabha)

🔸 परिचय

राज्यसभा को संसद का ऊपरी सदन (Upper House) कहा जाता है।
यह स्थायी सदन (Permanent House) है, जो कभी भंग नहीं होता।

🔸 संरचना (Composition)

  • राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं।
  • इनमें से 238 सदस्य राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से चुने जाते हैं,
    और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं (कला, साहित्य, विज्ञान आदि क्षेत्रों से)।
  • हर दो वर्ष में इसके 1/3 सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं।

🔹 राज्यसभा की शक्तियाँ (Powers of Rajya Sabha)

  1. विधायी शक्तियाँ:
    • लोकसभा के समान लगभग सभी विधेयकों पर विचार और संशोधन कर सकती है।
    • वित्त विधेयक पर केवल सुझाव दे सकती है (अंतिम निर्णय लोकसभा का होता है)।
  2. कार्यपालिका पर नियंत्रण:
    • मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है, पर राज्यसभा में भी प्रश्नोत्तर, ध्यानाकर्षण जैसे माध्यमों से नियंत्रण रख सकती है।
  3. संविधान संशोधन में भूमिका:
    • संविधान संशोधन विधेयक दोनों सदनों में समान रूप से पारित होना आवश्यक है।
  4. विशेष शक्तियाँ (अनुच्छेद 249):
    • राज्यसभा यह प्रस्ताव पारित कर सकती है कि राष्ट्रीय हित में संसद राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाए।
  5. नई सर्विसेज़ की सिफारिश (अनुच्छेद 312):
    • अखिल भारतीय सेवाओं (All India Services) की स्थापना का प्रस्ताव राज्यसभा ही कर सकती है।

🏠 लोकसभा (Lok Sabha)

🔸 परिचय

लोकसभा संसद का निचला सदन (Lower House) है, परंतु इसकी शक्तियाँ राज्यसभा से अधिक हैं।
इसे जनता का सदन (House of the People) कहा जाता है।

🔸 संरचना

  • अधिकतम सदस्य संख्या: 552
    • 530 सदस्य राज्यों से
    • 20 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों से
    • 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो-इंडियन समुदाय से (अब प्रावधान समाप्त)
  • कार्यकाल: 5 वर्ष (आपातकाल में बढ़ाया जा सकता है)
  • अध्यक्ष: लोकसभा अध्यक्ष (Speaker)

🔹 लोकसभा की शक्तियाँ (Powers of Lok Sabha)

  1. विधायी शक्तियाँ:
    • कानून बनाने में प्रमुख भूमिका।
    • वित्त विधेयक केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  2. वित्तीय शक्तियाँ:
    • वार्षिक बजट (Annual Budget) लोकसभा में प्रस्तुत होता है।
    • कोई भी कर संसद की अनुमति के बिना नहीं लगाया जा सकता।
    • यदि राज्यसभा 14 दिन में वित्त विधेयक को पारित नहीं करती, तो वह स्वतः पारित माना जाता है।
  3. कार्यपालिका पर नियंत्रण:
    • मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
    • अविश्वास प्रस्ताव, प्रश्नकाल, शून्यकाल जैसे साधनों से सरकार की जवाबदेही तय की जाती है।
  4. संविधान संशोधन में भूमिका:
    • संविधान में संशोधन के लिए लोकसभा की सहमति आवश्यक है।
  5. अन्य शक्तियाँ:
    • राष्ट्रपति के महाभियोग में भागीदारी।
    • उपराष्ट्रपति के चुनाव में भागीदारी।
    • प्रधानमंत्री का चयन लोकसभा के बहुमत से होता है।

📜 विधायी प्रक्रिया (Legislative Process)

🔸 1. सामान्य विधेयक (Ordinary Bill)

  1. विधेयक किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  2. दोनों सदनों से पारित होकर राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर वह कानून (Act) बन जाता है।
  3. यदि दोनों सदनों में मतभेद हो, तो संयुक्त सत्र बुलाया जा सकता है।

🔸 2. वित्त विधेयक (Money Bill)

  1. केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  2. राज्यसभा इसे 14 दिनों के भीतर वापस भेज सकती है।
  3. राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह कानून बनता है।

🔸 3. संविधान संशोधन विधेयक

  1. दोनों सदनों से विशेष बहुमत से पारित होना आवश्यक है।
  2. कुछ संशोधनों के लिए राज्यों की विधानसभाओं की सहमति भी जरूरी है।

⚖️ कार्यपालिका पर संसदीय नियंत्रण (Parliamentary Control over Executive)

भारतीय लोकतंत्र में कार्यपालिका संसद के प्रति उत्तरदायी होती है।
संसद कार्यपालिका की गतिविधियों पर विभिन्न तरीकों से नियंत्रण रखती है।

🔹 नियंत्रण के प्रमुख साधन

  1. प्रश्नकाल (Question Hour):
    प्रतिदिन संसद में प्रश्न पूछकर सरकार से उत्तर लिया जाता है।
  2. शून्यकाल (Zero Hour):
    इसमें सदस्य किसी भी मुद्दे पर तुरंत ध्यान आकर्षित कर सकते हैं।
  3. अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion):
    यदि लोकसभा सरकार पर अविश्वास जताती है, तो मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है।
  4. निंदा प्रस्ताव (Censure Motion):
    सरकार के किसी विशेष कार्य की आलोचना करने के लिए।
  5. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव (Calling Attention):
    किसी तात्कालिक जनसमस्या पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना।
  6. वित्तीय नियंत्रण:
    बजट पर चर्चा और अनुमोदन के माध्यम से सरकार की नीतियों पर निगरानी रखी जाती है।

🧾 संसद की समितियाँ (Committees of Parliament)

संसद के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई स्थायी (Standing) और अस्थायी (Ad-hoc) समितियाँ बनाई जाती हैं।

🔹 प्रमुख समितियाँ

  1. लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee):
    सरकार के व्यय की जाँच करती है।
  2. अनुमान समिति (Estimates Committee):
    बजट के व्यय की व्यवहार्यता पर विचार करती है।
  3. लोक उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings):
    सार्वजनिक उपक्रमों के कार्यों की समीक्षा करती है।
  4. पिटीशन्स समिति (Committee on Petitions):
    जनता की याचिकाओं पर विचार करती है।
  5. नैतिकता समिति (Committee on Ethics):
    सांसदों के आचरण की निगरानी करती है।

इन समितियों के कारण संसद का काम अधिक व्यवस्थित, विशेषज्ञतापूर्ण और प्रभावी बनता है।


🌍 निष्कर्ष (Conclusion)

भारतीय विधायिका लोकतांत्रिक शासन की रीढ़ है।
यह जनता की इच्छाओं को व्यक्त करती है,
कार्यपालिका को उत्तरदायी बनाती है,
और देश की नीतियों को संविधान के अनुरूप दिशा देती है।

दोनों सदनों के बीच सहयोग और संतुलन से भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली सुदृढ़ बनी रहती है।



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