कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान – प्रिंट संस्कृति और आधुनिक विश्व नोट्स


🟢 प्रिंट संस्कृति का उदय और विकास

🔵 प्रिंट संस्कृति क्या है?

  • प्रिंट संस्कृति से तात्पर्य है ऐसी संस्कृति जिससे जानकारी, ज्ञान और विचारों को छपे हुए माध्यमों के द्वारा फैलाया गया।
  • इसने साक्षरता, शिक्षा, समाज सुधार और राजनीतिक चेतना के प्रसार में क्रांतिकारी बदलाव लाया।

🔵 प्रिंट से पहले की दुनिया – पांडुलिपियों का युग

  • प्रारंभिक समय में जानकारी का प्रसार मौखिक रूप से या हाथ से लिखी पांडुलिपियों के माध्यम से होता था।
  • पांडुलिपियाँ बनाना महंगा, समय-लाभहीन और सीमित था।
  • इन्हें केवल धनी और पढ़े-लिखे वर्ग ही पढ़ सकते थे।
  • ये आम जनता की पहुँच से बहुत दूर थीं।

🔵 चीन में छपाई की शुरुआत

  • चीन में पहली बार छपाई की तकनीक का विकास हुआ – 7वीं शताब्दी में तांग वंश के दौरान।
  • प्रारंभिक छपाई लकड़ी के ब्लॉकों (woodblocks) द्वारा होती थी।
  • बि शेंग नामक व्यक्ति ने मोवेबल क्ले टाइप विकसित किया।
  • छपाई का उपयोग मुख्यतः धार्मिक ग्रंथों और आधिकारिक दस्तावेजों के लिए होता था।

🔵 जापान में छपाई

  • जापान में बौद्ध धर्मग्रंथों, चित्र पुस्तकों, पाठ्यपुस्तकों और उपन्यासों की छपाई हुई।
  • छपाई ने शहरी संस्कृति और व्यापार वर्ग को प्रेरित किया।

🔵 यूरोप में छपाई का प्रवेश

  • छपाई की तकनीक रेशम मार्ग (Silk Route) के माध्यम से 13वीं शताब्दी में यूरोप पहुँची।
  • प्रारंभ में ताश के पत्ते, धार्मिक चित्र और शिक्षाप्रद सामग्री छापी जाती थी।

🔵 गुटेनबर्ग की छपाई मशीन (1440)

  • जोहान्स गुटेनबर्ग ने 1440 में पहला मोवेबल टाइप प्रिंटिंग प्रेस बनाया।
  • उसकी पहली छपी पुस्तक थी – गुटेनबर्ग बाइबिल
  • यह तकनीक तेज़, सस्ती और सुलभ थी।

🔵 प्रिंट क्रांति (Print Revolution)

  • पुस्तकों की कीमत घटी और आम लोगों की पढ़ने की पहुँच बढ़ी।
  • प्रोटेस्टेंट सुधार आंदोलन (Reformation) का मुख्य कारण प्रिंट ही बना।
  • मार्टिन लूथर की 95 थीसिस व्यापक रूप से छापी गईं और कैथोलिक चर्च के विरोध में वितरित हुईं।

🔵 प्रकाशन और नवजागरण (Enlightenment)

  • रूसो, वोल्टेयर और लॉक जैसे विचारकों ने तर्क, स्वतंत्रता और मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए प्रिंट का प्रयोग किया।
  • इसने फ्रांसीसी क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार की।

🔵 फ्रांसीसी क्रांति और प्रिंट

  • राजनीतिक पैम्फलेट, अख़बार और चित्र लोगों को जागरूक करने लगे।
  • प्रिंट ने जनमत निर्माण और राजनीतिक चेतना को बल दिया।
  • “स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व” जैसे विचारों का प्रसार हुआ।

🔵 उपन्यासों का उदय

  • 18वीं और 19वीं शताब्दी में उपन्यास लोकप्रिय हुए।
  • चार्ल्स डिकेंस, जेन ऑस्टिन जैसे लेखकों के उपन्यासों ने मध्य वर्ग की जीवन शैली और सामाजिक मुद्दों को दर्शाया।

🟣 आधुनिक समाज पर प्रिंट का प्रभाव

🟡 साक्षरता और शिक्षा का प्रसार

  • प्रिंटिंग ने किताबों को सस्ता और सरल बनाया जिससे शिक्षा जनसामान्य तक पहुँची।
  • स्कूलों में प्रिंटेड पाठ्यपुस्तकों का प्रयोग शुरू हुआ।
  • पढ़ना एक व्यक्तिगत और घरेलू गतिविधि बन गई।

🟡 प्रिंट और धर्म

  • बाइबिल और अन्य धार्मिक ग्रंथ स्थानीय भाषाओं में छपने लगे।
  • लोग स्वयं ग्रंथ पढ़ने लगे और चर्च की व्याख्या का एकाधिकार खत्म हुआ।
  • प्रोटेस्टेंट आंदोलन को बहुत बल मिला।

🟡 प्रिंट और सेंसरशिप

  • शासकों और धार्मिक संस्थाओं को अपनी सत्ता पर खतरा महसूस होने लगा।
  • उन्होंने सेंसरशिप कानूनों का सहारा लिया।
  • बावजूद इसके, गुप्त साहित्य और प्रतिबंधित पुस्तकें भी आम जनता में लोकप्रिय रहीं।

🟡 राजनीतिक परिवर्तन और प्रिंट

  • अख़बार और पैम्फलेट ने लोगों को राजनीति में भागीदारी की प्रेरणा दी।
  • अमेरिकी और फ्रांसीसी क्रांतियों में प्रिंट ने मुख्य भूमिका निभाई।

🟡 पढ़ने वाले जनसमूह का उदय

  • औरतों और बच्चों को पढ़ने का अवसर मिला।
  • पुस्तकालय, पुस्तक मेलें और साहित्यिक सभाएं आम हो गईं।

🟡 भारत में प्रिंट की शुरुआत

  • पुर्तगालियों ने भारत में 1556 में पहला प्रिंटिंग प्रेस गोवा में लगाया।
  • शुरू में धार्मिक ग्रंथ लैटिन और तमिल में छपे।

🟡 स्थानीय भाषाओं में छपाई का विकास

  • बंगाल गजट (1780) भारत का प्रथम समाचार पत्र था।
  • राजा राममोहन राय ने प्रिंट के माध्यम से सामाजिक सुधारों का प्रचार किया।

🟡 प्रिंट और सामाजिक सुधार

  • विद्यासागर, ज्योतिबा फुले, पेरियार, डॉ. अंबेडकर जैसे सुधारकों ने प्रिंट को अशिक्षा, जातिवाद और स्त्री-विरोधी परंपराओं के खिलाफ इस्तेमाल किया।
  • प्रिंट ने दलितों और स्त्रियों को आवाज़ दी।

🟡 महिलाओं की भूमिका पर बहस

  • कुछ लेखक महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों के पक्ष में थे, तो कुछ इसके खिलाफ।
  • महिलाएं खुद कहानियाँ, आत्मकथाएँ, उपन्यास लिखने लगीं।

🟡 राष्ट्रवाद और प्रिंट

  • प्रिंट ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • केसरी (बाल गंगाधर तिलक), यंग इंडिया (गांधीजी) जैसे पत्रों ने लोगों को देशभक्ति और आंदोलन के लिए प्रेरित किया।
  • गाँव-गाँव तक ब्रिटिश विरोधी विचार फैले।

🟡 अंग्रेजी शासन में सेंसरशिप

  • वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट (1878) भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों पर नियंत्रण के लिए लाया गया।
  • संपादकों को कारावास और जुर्माना झेलना पड़ा, फिर भी देशभक्ति प्रेस पनपती रही।

🟡 भारतीय उपन्यास और प्रिंट

  • बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, मुंशी प्रेमचंद, शरत चंद्र चट्टोपाध्याय जैसे लेखकों के उपन्यासों ने सामाजिक न्याय, गरीबी और स्वतंत्रता आंदोलन को उठाया।

🟡 प्रिंट और व्यापारिक विस्तार

  • प्रिंटिंग उद्योग एक लाभदायक व्यापार बन गया।
  • कलकत्ता, बंबई, मद्रास, लाहौर में बड़े प्रेस बने।

🟡 लोकप्रिय चित्र और दृश्य संस्कृति

  • सस्ते चित्र और कैलेंडर ने अशिक्षितों तक संदेश पहुँचाया।
  • देवी-देवताओं, स्वतंत्रता सेनानियों और पौराणिक प्रसंगों की छवियाँ आम जनजीवन का हिस्सा बनीं।

🟡 प्रिंट और आधुनिक चेतना

  • प्रिंट ने ज्ञान को लोकतांत्रिक बनाया।
  • इसने वैज्ञानिक सोच, मानवाधिकार, लोकतंत्र और स्वतंत्रता आंदोलन को बल दिया।
  • डिजिटल युग में भी प्रिंट संस्कृति का प्रभाव कायम है।

🔵 निष्कर्ष

🔸 प्रिंट संस्कृति ने दुनिया को ज्ञान, विचार और क्रांति से जोड़ा।
🔸 इसने सामाजिक बंधनों को तोड़ा और नई चेतना को जन्म दिया।
🔸 भारत में प्रिंट ने स्वतंत्रता आंदोलन, सामाजिक सुधार और महिला सशक्तिकरण को जन्म दिया।
🔸 आधुनिक विश्व की नींव प्रिंट संस्कृति पर ही रखी गई है।


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